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पूर्व भाजपा विधायक नीलम करवरिया के क्रिया कर्म के लिए पूर्व संसद कपिलमुनि और एमलसी सूरजभान को मिली पेरोल - Former MLA Neelam Karwariya

प्रयागराज की मेजा विधानसभा की भाजपा विधायक रहीं नीलम करवरिया के क्रिया क्रम में शामिल होने के लिए उनके जेठ कपिल मुनि और सूरजभान की हाईकोर्ट ने पैरोल मंजूर कर ली है.

पूर्व भाजपा विधायक नीलम करवरिया
पूर्व भाजपा विधायक नीलम करवरिया (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 3, 2024, 8:37 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिवंगत पूर्व भाजपा विधायक नीलम उदयभान करवरिया के क्रिया कर्म के लिए उनके जेठ पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया और देवर पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया का 4 से 10 अक्टूबर तक का पेरोल स्वीकृत किया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान एवं न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीशी की खंडपीठ ने दोनों भाइयों की अर्जियों पर उनके अधिवक्ता सुरेश चंद्र द्विवेदी और सरकारी वकील को सुनकर दिया है. बता दें कि नीलम की गंभीर बीमारी के चलते 26 सितंबर की मौत हो गई थी.

अधिवक्ता द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि हाल ही में न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता एवं न्यायमूर्ति सुरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने नीलम उदयभान करवरिया के अंतिम संस्कार के लिए दोनों भाइयों को पुलिस हिरासत में 28 सितंबर से एक अक्टूबर तक अल्पकालिक जमानत दी थी. उन्हीं शर्तों और नियमों पर दोनों भाइयों को नीलम उदयभान करवरिया के क्रिया कर्म में शामिल होने के लिए अल्पकालिक जमानत दी जानी चाहिए, जो 5 अक्टूबर से आठ अक्टूबर तक आयोजित होना है. सुनवाई के बाद खंडपीठ ने पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया एवं पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया को 4 से 10 अक्टूबर तक अल्पकालिक पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस अवधि में दोनों भाई अपने खर्च पर पुलिस हिरासत में रहेंगे. यह भुगतान जेल में आत्मसमर्पण करने या उससे पहले किया जाएगा. कोर्ट ने रजिस्ट्रार (अनुपालन) यह आदेश आज ही पक्षकारों को तामील कराना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. दोनों भाई 10 अक्टूबर को शाम पांच बजे वरिष्ठ अधीक्षक सेंट्रल जेल नैनी के समक्ष आत्मसमर्पण करेंगे और अगली तिथि पर न्यायालय के समक्ष समर्पण प्रमाणपत्र दाखिल करेंगे.

बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले 1996 में हुए विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड के आरोप में कपिलमुनि करवरिया, उदयभान करवरिया और सूरज भान करवरिया को कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा मिली है. इस साल जुलाई में नीलम करवरिया के पति उदयभान करवरिया को राज्यपाल के आदेश पर सजा माफ करते हुए जेल से समय से पहले ही रिहा कर दिया गया था. इस दौरान उदयभान करवरिया ने लिवर सिरोसिस से बीमार नीलम करवरिया की देखभाल और इलाज कराया.

उल्लेखनीय है कि नीलम करवरिया को 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उम्मीदवार बनाया था. इसमें जीत हासिल कर नीलम करवरिया विधायक चुनी गई थीं. इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में नीलम करवरिया को सपा प्रत्याशी संदीप पटेल ने चुनाव में शिकस्त दे दी थी.

इसे भी पढ़ें-प्रयागराज की पूर्व विधायक नीलम करवरिया का निधन, पति-जेठ व देवर के जेल जाने के बाद खेली थी सियासी पारी

सपा के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की अपील पर सुनवाई 17अक्टूबर को
वहीं, कानपुर से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी और उनके भाई रिजवान सोलंकी की सजा के खिलाफ अपील व राज्य सरकार की सजा बढ़ाने की दाखिल अपील व अन्य मामले की सुनवाई अब 17 अक्टूबर को होगी. गुरुवार को न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. सोलंकी बंधुओं पर कानपुर की एक महिला का घर जलाने के केस में अदालत ने सात साल कैद की सजा सुनाई है, जिसे उन्होंने अपील में चुनौती दी है. सात साल की कैद की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग में राज्य सरकार ने भी शासकीय अपील दाखिल की है. कानपुर की अदालत ने इरफान व अन्य के विरुद्ध सात साल की सजा सुनाई थी. अपील पर वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्ववेदी व अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय व राज्य सरकार की और से अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव व एजीएजेके उपाध्याय पक्ष रख रहे है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिवंगत पूर्व भाजपा विधायक नीलम उदयभान करवरिया के क्रिया कर्म के लिए उनके जेठ पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया और देवर पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया का 4 से 10 अक्टूबर तक का पेरोल स्वीकृत किया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान एवं न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीशी की खंडपीठ ने दोनों भाइयों की अर्जियों पर उनके अधिवक्ता सुरेश चंद्र द्विवेदी और सरकारी वकील को सुनकर दिया है. बता दें कि नीलम की गंभीर बीमारी के चलते 26 सितंबर की मौत हो गई थी.

अधिवक्ता द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि हाल ही में न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता एवं न्यायमूर्ति सुरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने नीलम उदयभान करवरिया के अंतिम संस्कार के लिए दोनों भाइयों को पुलिस हिरासत में 28 सितंबर से एक अक्टूबर तक अल्पकालिक जमानत दी थी. उन्हीं शर्तों और नियमों पर दोनों भाइयों को नीलम उदयभान करवरिया के क्रिया कर्म में शामिल होने के लिए अल्पकालिक जमानत दी जानी चाहिए, जो 5 अक्टूबर से आठ अक्टूबर तक आयोजित होना है. सुनवाई के बाद खंडपीठ ने पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया एवं पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया को 4 से 10 अक्टूबर तक अल्पकालिक पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस अवधि में दोनों भाई अपने खर्च पर पुलिस हिरासत में रहेंगे. यह भुगतान जेल में आत्मसमर्पण करने या उससे पहले किया जाएगा. कोर्ट ने रजिस्ट्रार (अनुपालन) यह आदेश आज ही पक्षकारों को तामील कराना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. दोनों भाई 10 अक्टूबर को शाम पांच बजे वरिष्ठ अधीक्षक सेंट्रल जेल नैनी के समक्ष आत्मसमर्पण करेंगे और अगली तिथि पर न्यायालय के समक्ष समर्पण प्रमाणपत्र दाखिल करेंगे.

बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले 1996 में हुए विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड के आरोप में कपिलमुनि करवरिया, उदयभान करवरिया और सूरज भान करवरिया को कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा मिली है. इस साल जुलाई में नीलम करवरिया के पति उदयभान करवरिया को राज्यपाल के आदेश पर सजा माफ करते हुए जेल से समय से पहले ही रिहा कर दिया गया था. इस दौरान उदयभान करवरिया ने लिवर सिरोसिस से बीमार नीलम करवरिया की देखभाल और इलाज कराया.

उल्लेखनीय है कि नीलम करवरिया को 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उम्मीदवार बनाया था. इसमें जीत हासिल कर नीलम करवरिया विधायक चुनी गई थीं. इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में नीलम करवरिया को सपा प्रत्याशी संदीप पटेल ने चुनाव में शिकस्त दे दी थी.

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सपा के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की अपील पर सुनवाई 17अक्टूबर को
वहीं, कानपुर से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी और उनके भाई रिजवान सोलंकी की सजा के खिलाफ अपील व राज्य सरकार की सजा बढ़ाने की दाखिल अपील व अन्य मामले की सुनवाई अब 17 अक्टूबर को होगी. गुरुवार को न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. सोलंकी बंधुओं पर कानपुर की एक महिला का घर जलाने के केस में अदालत ने सात साल कैद की सजा सुनाई है, जिसे उन्होंने अपील में चुनौती दी है. सात साल की कैद की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग में राज्य सरकार ने भी शासकीय अपील दाखिल की है. कानपुर की अदालत ने इरफान व अन्य के विरुद्ध सात साल की सजा सुनाई थी. अपील पर वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्ववेदी व अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय व राज्य सरकार की और से अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव व एजीएजेके उपाध्याय पक्ष रख रहे है.

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