मेरठ: मेरठ के मोदीपुरम जनता कॉलोनी में शनिवार को चार्जिंग के समय मोबाइल फटने से घर में आग लग गई थी. इस आग में झुलस कर परिवार के चार बच्चों की मौत हो गई थी. इस हादसे से कॉलोनी वाले इतने दुखी हैं कि उन्होंने आज होली का त्योहार नहीं मनाया. पूरी कॉलोनी में गम का माहौल है.
कॉलोनी के लोगों का कहना है कि आज को होली है लेकिन, किसी ने खेली नहीं. मोहल्ले और आसपास की गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ है. इस तरह मासूम की जान जाने के बाद पुरी कॉलोनी के लोगों ने होली ना मानने की बात कही है.
बच्चों की बेहतर जिंदगी के लिए परिवार मुजफ्फरनगर के सिखेड़ा में पुश्तैनी घर छोड़कर मेरठ के पल्लवपुरम की कॉलिनी में रह रहा था. लेकिन, हादसे में परिवार के सारे अरमान चूर हो गए. बताया जा रहा है कि हादसे के बाद सिखेड़ा में भी सन्नाटा पसरा हुआ है. हादसे के बाद सिखेड़ा गांव से लोग मेरठ पहुंच गए हैं.
बता दें, जॉनी हादसे में जान गंवाने वाले बच्चों का सगा पिता नहीं था. बच्चे सिखेड़ा गांव के अनुसूचित जाति के मिंटू पुत्र रत्न सिंह थे. मिंटू मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करता था. परिवार में पत्नी बबिता के अलावा बेटी सारिका, निहारिका, बेटा गोलू,ओर छोटा बेटा कल्लू थे. डेढ़ साल पहले मिंटू का बीमारी के चलते निधन हो गया था. मिंटू परिवार में इकलौता था.
पति की मौत के बाद पत्नी बबीता अपने पारिवारिक देवर के साथ अपने बच्चों को लेकर मेरठ पल्लवपुरम में रोजी रोटी कमाने के लिए और अपने बच्चों का पालन पोषण करने के लिए मेरठ आ गई थी. बबिता ने अपने देवर जॉनी के साथ अपनी आगे की जिंदगी नए तरीके के साथ शुरू की. पिता के रूप में जॉनी ही पत्नी और बच्चों का पालन पोषण कर रहा था.
जॉनी मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पाल रहा था. हादसे के बाद पंजाब में मजदूरी कर रहे मिंटू के ताऊ को सूचना दी गई. अधिकतर परिवार के लोग दूसरे राज्यों में मजदूरी करते हैं. हादसे की खबर मिलने के बाद परिवार के लोग मेरठ पहुंच रहे हैं.
हादसे के बाद कॉलिनी के लोगों का कहना है कि जॉनी का परिवार पिछले डेढ़ साल से जनता कॉलोनी में रह रहा है. कॉलोनी में लगभग 100 घर हैं. तरुण ने बताया कि जिस दौरान ये हादसा हुआ वो छत पर थे. जॉनी के घर पर अचानक तेज धमाका हुआ तो वह भाग कर पहुंचे. जॉनी चिल्ला रहा था.
सारिका को छोड़कर वो तीनों बच्चो को लेकर अस्पताल भागा. बच्चे बुरी तरह तड़प रहे थे. कॉलोनी निवासी जॉनी, बबिता,सारिका को लेकर अस्पताल लेकर गए. देर रात सीएफओ संतोष कुमार ने घटनास्थल पर पहुंच कर निरीक्षण किया.
मुजफ्फरनगर के गांव सिखेड़ा में रविवार की रात चारों बच्चो का शव जैसे ही पहुंचे तो माहौल गमगीन हो गया. बच्चो के शव देख सभी की आंखे नम हो गईं. जब बच्चों को गांव में दफनाया गया तो पूरा गांव उदास नजर आ रहा था. लोगो का कहना था कि अकसर ये परिवार गांव में आता था और सभी के दुख सुख में शामिल होता था. बच्चे हमारे बच्चों के साथ खेलते थे. छोटे-छोटे बच्चे इस तरह हादसे का शिकार हो जाएंगे ये मालूम नहीं था.
जॉनी का कहना है कि जिस समय ये हादसा हुआ उस समय वो अपनी पत्नी के साथ किचन में होली के पकवान बना रहे थे. अचानक एक धमाका हुआ और कमरे में आग लग गई. मोबाइल चार्जिंग पर लगा था और चार्जर फटा जिससे आग लगी. सारिका को छोड़ सभी बच्चे कमरे में खेल रहे थे.
आग लगने के बाद बस चीखने चिल्लाने की आवाज जैसे आयी तो कुछ समझ नहीं आया और हम सब एक दूसरे को बचाने के लिए कोशिश करते रहे. लेकिन, कुछ नहीं बचा सके. पूरा परिवार जलकर खाक हो गया.
बता दें कि हादसे में जॉनी 40 प्रतिशत झुलस गया था, जबकि उसकी पत्नी 50 प्रतिशत से अधिक जल गई. जिसको दिल्ली रेफर कर दिया गया, जहां उसकी भी हालत गंभीर बताई जा रही है. जॉनी मेडिकल हॉस्पिटल में भर्ती है जहां उसका उपचार चल रहा है.
इस मामले में पुलिस अधीक्षक ने टीम बनाई है जो अपनी जांच कर रही है. वहीं, जिलाधिकारी दीपक मीणा ने भी इस हादसे पर दुख जताते हुए जांच के आदेश दिए हैं. एसएसपी रोहित सजवाण सीओ रुचिता सिंह ने भी जांच के लिए टीम बनाने की बात कही है.
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