रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने वृहद झारखंड राज्य बनाने का सपना देखा था. झारखंड राज्य का गठन तो हुआ पर उन्होंने जिस नए झारखंड की कल्पना की थी, वह आज भी अधूरा है, अब इसी सपने को पूरा करने के लिए झामुमो आंदोलन शुरू करने वाला है.
दरअसल, शिबू सोरेन के प्रस्तावित झारखंड राज्य में बिहार के कई जिलों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तत्कालीन मध्य प्रदेश के भी कुछ जिले शामिल थे. लेकिन जब साल 2000 में झारखंड राज्य का गठन हुआ तो बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत दक्षिण बिहार के जिलों को शामिल कर झारखंड को अलग राज्य बना दिया गया.
ऐसे में झारखंड आंदोलन के दौरान प्शचिम बंगाल-ओडिशा और पश्चिम बंगाल के कुड़मी बहुल जिलों के आदिवासियों को साथ लेकर वृहद झारखंड बनाने के गुरुजी का सपना अधूरा रह गया. झारखंड गठन के बाद जेएमएम सत्ता की राजनीति में इतना उलझ गया कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन का वृहद झारखंड का सपना पीछे छूट गया. लेकिन अब झामुमो की ओर से अब साफ कर दिया गया है कि शिबू सोरेन के इस सपने को पार्टी भूला नहीं है.
ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि जेएमएम ने वृहद झारखंड का सपना नहीं छोड़ा है, बल्कि नई रणनीति के साथ अब पश्चिम बंगाल और ओडिशा के आदिवासी-मूलवासी इलाकों में ऑटोनॉमस काउंसिल बनाने की मांग को लेकर आंदोलन तेज करेगी. जेएमएम नेता ने साफ लहजे में कहा कि जब ऑटोनॉमस काउंसिल की मांग पूरी होगी, तो वृहद झारखंड का सपना भी पूरा होगा.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जब हम अलग झारखंड राज्य की मांग कर रहे थे, तो उसमें वर्तमान झारखंड के भूभाग के अलावा पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा और पुरुलिया जिले और ओडिशा के मयूरभंज, सुंदरगढ़ और क्योंझर, मध्य प्रदेश के सरगुजा और जसपुर जिले भी शामिल थे. लेकिन राजनीतिक परिस्थितियों के कारण हमें सिर्फ दक्षिण बिहार का हिस्सा ही मिला.
उन्होंने कहा कि सरगुजा और जसपुर को छत्तीसगढ़ में शामिल कर लिया गया है, लेकिन ओडिशा और पश्चिम बंगाल में आदिवासी-मूलवासी इलाकों में शोषण और असमानता अभी भी बरकरार है. ऐसे में जेएमएम अब नई रणनीति के साथ पश्चिम बंगाल के चार और ओडिशा के तीन जिलों में आंदोलन शुरू करेगा. पश्चिम बंगाल के झारग्राम, पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा और पुरुलिया तथा ओडिशा के मयूरभंज, सुंदरगढ़ और क्योंझर को मिलाकर ऑटोनॉमस काउंसिल बनाने की मांग को लेकर झामुमो आंदोलन शुरू करेगा.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि वृहद झारखंड के सपने को पूरा करने की दिशा में पहला पड़ाव झारखंडी और आदिवासी-मूलवासी संस्कृति से मिलते-जुलते इन दोनों राज्यों के जिलों में ऑटोनॉमस काउंसिल का गठन करना होगा.
यह भी पढ़ें:
झारखंड निर्माण में शिबू सोरेन का योगदान अतुलनीय, जानिए क्यों कहते हैं गुरुजी