सरगुजा: सिंधी समाज का सबसे बड़ा पर्व चेटीचंड मनाया जा रहा है. इस दिन को सिंधी समाज के लोग अपने ईष्ट देव झूलेलाल की जन्म जयंती के रूप में मनाते हैं. इस दिन सिंधी गुरूद्वारों में भगवान झूलेलाल की पूजा करते हैं. भोग प्रसाद का लंगर बांटा जाता है. इस दिन सुबह-सुबह अखंड दीप प्रज्ज्वलित की जाती है. शाम को इस दीप के साथ शहर भ्रमण करते हुए नदी में इसका विसर्जन किया जाता है. सिंधी समाज के ईष्ट झूलेलाल हैं.
सिंधी समाज के ईष्ट देव हैं झूलेलाल: सिंधी समाज के पूर्व युवा उपाध्यक्ष रिंकू मोटवानी ने बताया कि, "झूलेलाल जी सिंधी समाज के ईष्ट देव हैं. वो जल के देवता, वरूण देव के अवतार हैं. जल में सम्पूर्ण शक्तियां समाहित है, इसलिए सिंधी समाज झूलेलाल जी की पूजा करता है. जब सिंधु घाटी में हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ा तो लोग अपनी जान बचाने सिंधु नदी के किनारे पहुंचे. इसी नदी से झूलेलालजी मछली पर बैठकर प्रगट हुए और उन्होंने लोगों की रक्षा की. तभी से इनको सिंधी समाज जल के देवता के रूप में पूजते आ रहे हैं. जन्म से इनका नाम उदयचंद था. संवत 1077 को इनका जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को हुआ था. तभी से इस दिन को सिंधी समाज के लोग धूमधाम से मनाते आ रहे हैं. इसी दिन को झूलेलाल जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाता है."
चेटीचंड पर्व सिंधी समाज के लिए काफी खास होता है. इस दिन को ये समाज नए साल के तौर पर सेलिब्रेट करता है.