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प्रशासन शहरों के संग अभियान के दौरान किसी को 501 रुपये में नहीं मिला पट्टा, 69ए में दिए गए 10-10 हजार वर्ग गज के पट्टे : मंत्री खर्रा

प्रशासन शहरों के संग अभियान में किसी भी व्यक्ति को 501 रुपये में पट्टा नहीं मिला. प्रकरणों का अध्ययन कर उचित कदम उठाया जाएगा.

प्रशासन शहरों के संग अभियान बोले झाबर सिंह खर्रा
प्रशासन शहरों के संग अभियान बोले झाबर सिंह खर्रा (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 10, 2024, 6:15 PM IST

जयपुर : पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के शासनकाल में चले प्रशासन शहरों के संग अभियान में कई नगरीय निकायों में 10-10 हजार वर्ग गज के पट्टे 69ए में जारी हुए. ऐसे प्रकरणों की सूचना एकत्र करवाकर अध्ययन किया जा रहा है और फिर उचित कदम उठाया जाएगा. प्रदेश में जमीनों के पट्टे जारी करने को लेकर बदले गए नियमों पर बातचीत करते हुए यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने ये आरोप लगाया. साथ ही उन्होंने दावा किया कि प्रशासन शहरों के संग अभियान के दौरान किसी भी व्यक्ति को 501 रुपये में पट्टा नहीं मिला. वो चाहते हैं कि जनता की जेब से यदि पैसा निकाले तो वो सरकार के खजाने में आए. ऊपर के ऊपर हवा ना हो.

प्रदेश के नगरीय निकायों की ओर से जारी किए गए पट्टों में अनियमितता की शिकायतों पर अब जांच शुरू की गई है. यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि सभी नगरीय निकायों से सूचना एकत्र हो रही हैं. डूंगरगढ़ से भी एक जानकारी सामने आई है, जिसमें प्रथम दृष्टया प्रशासन शहरों के संग अभियान के कालखंड में काफी अनियमितताएं हुई हैं. 10-10 हजार वर्ग गज के पट्टे 69ए में जारी हुए हैं. बाकी नगरीय निकायों से भी इस तरह की सूचना मंगवा कर उनका अध्ययन कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

झाबर सिंह खर्रा ने क्या कहा, सुनिए.... (ETV Bharat Jaipur)

इसे भी पढ़ें- यूडीएच मंत्री ने किया साफ, शांति धारीवाल के प्रोजेक्ट रिवरफ्रंट की होगी जांच, पूर्व मंत्री की संलिप्तता दिखी, तो करेंगे उजागर

खर्रा ने कहा कि भरी विधानसभा में सारे विपक्षी दलों के विधायकों को अनुरोध किया था कि एक भी पट्टा किसी व्यक्ति को 501 रुपए में मिला हो तो बताएं. न्यूनतम 50 हजार से लेकर 5 लाख रुपए तक आम व्यक्ति की जेब से निकले हैं, वो कहां गए हैं, उस समय के कर्ताधर्ताओं को अच्छी तरह से पता है, इसलिए जनता की जेब से पैसा निकले और सरकार के खजाने में नहीं आए और ऊपर की ऊपर हवा हो जाए, तो इस तरह के अभियान चलाने का औचित्य क्या है ? उन्होंने कहा कि ये मामला पूरे प्रदेश का है. कुछ नगरीय निकाय से सूचना मंगवाई है, उनका विश्लेषण किया जा रहा है. इस भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए जो भी उचित होगा, वो कदम उठाए जाएंगे, ताकि आम व्यक्ति को कम से कम परेशानी हो और सरकार को भी राजस्व का नुकसान ना हो.

खर्रा ने स्पष्ट किया कि जो भी व्यक्ति पट्टा लेना चाहे, उसकी जेब से जो भी पैसा निकले वो सरकार के खजाने में ही जमा हो. हवा में ना उड़े. इसका पुख्ता इंतजाम करने का प्रयास किया जा रहा है. अब 1500 वर्ग गज से ऊपर की सभी फाइलें सरकार के पास आएंगी और पूरी प्रक्रिया पूर्ण करके कोई भी फाइल आएगी तो उसमें चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.

जयपुर : पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के शासनकाल में चले प्रशासन शहरों के संग अभियान में कई नगरीय निकायों में 10-10 हजार वर्ग गज के पट्टे 69ए में जारी हुए. ऐसे प्रकरणों की सूचना एकत्र करवाकर अध्ययन किया जा रहा है और फिर उचित कदम उठाया जाएगा. प्रदेश में जमीनों के पट्टे जारी करने को लेकर बदले गए नियमों पर बातचीत करते हुए यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने ये आरोप लगाया. साथ ही उन्होंने दावा किया कि प्रशासन शहरों के संग अभियान के दौरान किसी भी व्यक्ति को 501 रुपये में पट्टा नहीं मिला. वो चाहते हैं कि जनता की जेब से यदि पैसा निकाले तो वो सरकार के खजाने में आए. ऊपर के ऊपर हवा ना हो.

प्रदेश के नगरीय निकायों की ओर से जारी किए गए पट्टों में अनियमितता की शिकायतों पर अब जांच शुरू की गई है. यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि सभी नगरीय निकायों से सूचना एकत्र हो रही हैं. डूंगरगढ़ से भी एक जानकारी सामने आई है, जिसमें प्रथम दृष्टया प्रशासन शहरों के संग अभियान के कालखंड में काफी अनियमितताएं हुई हैं. 10-10 हजार वर्ग गज के पट्टे 69ए में जारी हुए हैं. बाकी नगरीय निकायों से भी इस तरह की सूचना मंगवा कर उनका अध्ययन कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

झाबर सिंह खर्रा ने क्या कहा, सुनिए.... (ETV Bharat Jaipur)

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खर्रा ने कहा कि भरी विधानसभा में सारे विपक्षी दलों के विधायकों को अनुरोध किया था कि एक भी पट्टा किसी व्यक्ति को 501 रुपए में मिला हो तो बताएं. न्यूनतम 50 हजार से लेकर 5 लाख रुपए तक आम व्यक्ति की जेब से निकले हैं, वो कहां गए हैं, उस समय के कर्ताधर्ताओं को अच्छी तरह से पता है, इसलिए जनता की जेब से पैसा निकले और सरकार के खजाने में नहीं आए और ऊपर की ऊपर हवा हो जाए, तो इस तरह के अभियान चलाने का औचित्य क्या है ? उन्होंने कहा कि ये मामला पूरे प्रदेश का है. कुछ नगरीय निकाय से सूचना मंगवाई है, उनका विश्लेषण किया जा रहा है. इस भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए जो भी उचित होगा, वो कदम उठाए जाएंगे, ताकि आम व्यक्ति को कम से कम परेशानी हो और सरकार को भी राजस्व का नुकसान ना हो.

खर्रा ने स्पष्ट किया कि जो भी व्यक्ति पट्टा लेना चाहे, उसकी जेब से जो भी पैसा निकले वो सरकार के खजाने में ही जमा हो. हवा में ना उड़े. इसका पुख्ता इंतजाम करने का प्रयास किया जा रहा है. अब 1500 वर्ग गज से ऊपर की सभी फाइलें सरकार के पास आएंगी और पूरी प्रक्रिया पूर्ण करके कोई भी फाइल आएगी तो उसमें चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.

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