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कौन हैं जेडीयू विधायक अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय के भाई..कोर्ट ने मर्डर केस मामले में किया बरी - AMARENDRA PANDEY

जेडीयू विधायक पप्पू पांडेय के भाई सतीश पांडेय को कोर्ट ने बरी कर दिया है. 2010 को दो लोगों की हत्या से जुड़ा मामला.

Amarendra Pandey
JDU विधायक के भाई सतीश पांडेय बरी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 12, 2025, 3:49 PM IST

Updated : Feb 12, 2025, 4:52 PM IST

गोपालगंज: जिले के व्यवहार न्यायालय के एडीजे 10 मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट ने 15 वर्ष पुराने दोहरे हत्याकांड मामले में साक्ष्य के अभाव में जेडीयू विधायक अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पाण्डेय के भाई सतीश पांडे को बरी कर दिया गया है. साथ ही कोर्ट ने पर्याप्त अवसर दिए जाने के बावजूद अभियोजन द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है.

जेडीयू विधायक के भाई बरी: दरअसल इस संदर्भ में बताया जाता है कि 11 जनवरी 2010 को ब्रजेश राय तथा उनके रिश्तेदार अशोक राय की यादोपुर चौक के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मामले को लेकर ब्रजेश राय के भाई अजीत राय के बयान पर आमोद तिवारी, वीरेंद्र यादव, रामाशीष यादव, सुरेंद्र यादव और दो-तीन अज्ञात के खिलाफ नगर थाने में कांड संख्या 18 /2010 दर्ज कराई गई थी.

8 साल में एक भी साक्ष्य पेश नहीं: बाद में कांड के अनुसंधानकर्ता ने 16 जुलाई 2010 को सतीश पांडेय और लवकुश साह के खिलाफ चार्जशीट समर्पित किया था. मामले में 3 मार्च 2016 को दोनों के खिलाफ आरोप गठन हुआ था, लेकिन आरोप गठन के आठ वर्ष बाद तक भी अभियोजन पक्ष कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका.

सतीश पांडेय को बनाया गया था अभियुक्त: कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि आठ वर्ष की लंबी अवधि बीत जाने के बाद भी अभियोजन की ओर से साक्ष्य प्रस्तुत करने में रुचि नहीं दिखाई गई. वहीं कांड के आईओ ने अनुसंधान के दौरान मृतक ब्रजेश राय की पत्नी प्रतिभा राय, गिरफ्तार शंभु मिश्रा और ओम प्रकाश मिश्रा के स्वीकारोक्ति बयान के आधार पर सतीश पांडेय को भी अभियुक्त बना दिया गया था.

दो आरोपियों की हो चुकी है हत्या: ब्रजेश राय व अशोक राय हत्याकांड के मुख्य आरोपित इमिलिया मांझा के आमोद तिवारी की हत्या वर्ष 2013 में अपराधियों ने फुलवरिया प्रखंड कार्यालय स्थित प्रमुख के चैंबर में घूस कर दी थी. इसी प्रकार उचकागांव थाने के बड़वा मठ के पास नौ मई 2020 को शंभू मिश्र की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गयी थी.

क्या है पूरा मामला?: बताया जाता है कि ब्रजेश राय 11 जनवरी 2010 को जीप से अशोक राय, ललन राय और विनय राय के साथ अपने घर सरेया राजवाही कॉलोनी जा रहे थे. इसी दौरान जादोपुर चौक के पास एक बोलेरो से पहुंचे अपराधियों ने अत्याधुनिक हथियारों से ब्रजेश राय और अशोक राय की हत्या कर दी थी. मामले को लेकर ब्रजेश राय के भाई अजीत राय ने फुलवरिया के गणेश स्थान मांझा के आमोद तिवारी, रामपुर टेंगराही के विरेन्द्र यादव, रामा सुरेन्द्र यादव और दो तीन अज्ञात अपराधियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी.

कौन हैं सतीश पांडेय?: गोपालगंज जिले के हथुआ थाना क्षेत्र के नयागांव तुलसिया गांव के रहने वाले सतीश पांडेय जेडीयू विधायक अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय के बड़े भाई हैं. सतीश अपराध की दुनिया में सक्रिय रहे हैं. शुरुआत में बिहार पुलिस में भर्ती हुई थी. उसके बाद यह कई सालों तक सिवान के डीएम के अंगरक्षक बने.

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JDU का सवाल- 'तेजस्वी बताएं कि उनके माता-पिता के शासनकाल में सतीश पांडे पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई?'

गोपालगंज: जिले के व्यवहार न्यायालय के एडीजे 10 मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट ने 15 वर्ष पुराने दोहरे हत्याकांड मामले में साक्ष्य के अभाव में जेडीयू विधायक अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पाण्डेय के भाई सतीश पांडे को बरी कर दिया गया है. साथ ही कोर्ट ने पर्याप्त अवसर दिए जाने के बावजूद अभियोजन द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है.

जेडीयू विधायक के भाई बरी: दरअसल इस संदर्भ में बताया जाता है कि 11 जनवरी 2010 को ब्रजेश राय तथा उनके रिश्तेदार अशोक राय की यादोपुर चौक के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मामले को लेकर ब्रजेश राय के भाई अजीत राय के बयान पर आमोद तिवारी, वीरेंद्र यादव, रामाशीष यादव, सुरेंद्र यादव और दो-तीन अज्ञात के खिलाफ नगर थाने में कांड संख्या 18 /2010 दर्ज कराई गई थी.

8 साल में एक भी साक्ष्य पेश नहीं: बाद में कांड के अनुसंधानकर्ता ने 16 जुलाई 2010 को सतीश पांडेय और लवकुश साह के खिलाफ चार्जशीट समर्पित किया था. मामले में 3 मार्च 2016 को दोनों के खिलाफ आरोप गठन हुआ था, लेकिन आरोप गठन के आठ वर्ष बाद तक भी अभियोजन पक्ष कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका.

सतीश पांडेय को बनाया गया था अभियुक्त: कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि आठ वर्ष की लंबी अवधि बीत जाने के बाद भी अभियोजन की ओर से साक्ष्य प्रस्तुत करने में रुचि नहीं दिखाई गई. वहीं कांड के आईओ ने अनुसंधान के दौरान मृतक ब्रजेश राय की पत्नी प्रतिभा राय, गिरफ्तार शंभु मिश्रा और ओम प्रकाश मिश्रा के स्वीकारोक्ति बयान के आधार पर सतीश पांडेय को भी अभियुक्त बना दिया गया था.

दो आरोपियों की हो चुकी है हत्या: ब्रजेश राय व अशोक राय हत्याकांड के मुख्य आरोपित इमिलिया मांझा के आमोद तिवारी की हत्या वर्ष 2013 में अपराधियों ने फुलवरिया प्रखंड कार्यालय स्थित प्रमुख के चैंबर में घूस कर दी थी. इसी प्रकार उचकागांव थाने के बड़वा मठ के पास नौ मई 2020 को शंभू मिश्र की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गयी थी.

क्या है पूरा मामला?: बताया जाता है कि ब्रजेश राय 11 जनवरी 2010 को जीप से अशोक राय, ललन राय और विनय राय के साथ अपने घर सरेया राजवाही कॉलोनी जा रहे थे. इसी दौरान जादोपुर चौक के पास एक बोलेरो से पहुंचे अपराधियों ने अत्याधुनिक हथियारों से ब्रजेश राय और अशोक राय की हत्या कर दी थी. मामले को लेकर ब्रजेश राय के भाई अजीत राय ने फुलवरिया के गणेश स्थान मांझा के आमोद तिवारी, रामपुर टेंगराही के विरेन्द्र यादव, रामा सुरेन्द्र यादव और दो तीन अज्ञात अपराधियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी.

कौन हैं सतीश पांडेय?: गोपालगंज जिले के हथुआ थाना क्षेत्र के नयागांव तुलसिया गांव के रहने वाले सतीश पांडेय जेडीयू विधायक अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय के बड़े भाई हैं. सतीश अपराध की दुनिया में सक्रिय रहे हैं. शुरुआत में बिहार पुलिस में भर्ती हुई थी. उसके बाद यह कई सालों तक सिवान के डीएम के अंगरक्षक बने.

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Last Updated : Feb 12, 2025, 4:52 PM IST
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