जयपुर: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के बाद मंगलवार को छोटीकाशी के कृष्ण मंदिरों में नंदोत्सव मनाया गया. आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में भी शृंगार आरती के बाद परंपरा का निर्वहन करते हुए नंदोत्सव की भेंट उछाली गई. इस दौरान श्रद्धालुओं में नंदोत्सव उछाल लूटने की होड़ रही. वहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मंगलवार शाम जयपुर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की शोभायात्रा का शुभारंभ किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि इस तरह के उत्सवों और शोभा यात्राओं से हमारी संस्कृति और विरासत आगे बढ़ती है. आने वाली पीढ़ी को दिशा मिलती है.
शहर में निकली शोभायात्राः छोटी काशी में आराध्य गोविंद देव जी मंदिर से मंगलवार को नंदोत्सव के तहत शोभायात्रा का शुभारंभ हुआ. शोभा यात्रा पर जगह-जगह पुष्प वर्षा की गई. यात्रा में शामिल हुए संकीर्तन मंडलों के भजनों की धुन पर श्रद्धालुओं के साथ-साथ विदेशी पर्यटक भी झूमते हुए नजर आए. ये शोभायात्रा परकोटे के विभिन्न बाजारों से होती हुई गोपीनाथ जी मंदिर पहुंची. शोभायात्रा में 22 झांकियां शामिल हुई. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गोविंद देव जी मंदिर पहुंच मुख्य रथ में विराजित ठाकुर जी की आरती की. वहीं, जयपुर के पूर्व राज परिवार की ओर से परंपरा का निर्वहन करते हुए खुद उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ठाकुर जी का भोग लेकर पहुंची. इस दौरान मुख्यमंत्री ने गोविंद के दरबार में मत्था टेकते हुए प्रदेश की खुशहाली की कामना की। साथ ही मंदिर में आए लोगों का अभिवादन भी स्वीकार किया. इस दौरान जयपुर शहर सांसद मंजू शर्मा और स्थानीय विधायक बालमुकुंद आचार्य भी मौजूद रहे.
शोभायात्राओं से विरासत आगे बढ़ती हैः इस दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि जयपुर की जनता उत्साह और उमंग के साथ इस शोभायात्रा में शामिल हो रही है. पूरे जयपुर में ये यात्रा निकलेगी. उन्होंने कहा कि इस तरह के उत्सवों और शोभा यात्राओं से हमारी संस्कृति और विरासत आगे बढ़ती है और आने वाली पीढ़ी को दिशा मिलती है. सीएम ने कहा कि भगवान कृष्ण ने पूरे संसार को भगवद्गीता के माध्यम से जो उपदेश दिया है, कर्म करने की जो संज्ञा दी है, निश्चित रूप से आज के समय में भगवद्गीता को मन से पढ़कर चलें तो जीवन में सार्थकता आती है. वहीं, सीएम ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ और वहां से वो उज्जैन संदीपनी गुरु के आश्रम में पढ़ने के लिए गए, इसलिए जिस रास्ते से वो गए थे, उसे श्री कृष्ण गमन पथ बनाने का फैसला राजस्थान और मध्य प्रदेश की सरकार ने लिया है.
श्री कृष्ण शोभायात्रा में 22 झांकियां, हाथी, ऊंट, घोड़े, बैल का लवाजामा, कीर्तन मंडल और बैंड शामिल हुए. सबसे आगे प्रथम पूज्य गणपति के प्रतीक के रूप में सजे-धजे गजराज पर पंचरंगा निशान चला. बैलगाड़ी पर शहनाई वादन हुआ. रेगिस्तान के जहाज ऊंट और शक्ति के प्रतीक घोड़े के काफिले के बाद बैंड वादकों ने भजनों की स्वर लहरियां बिखेरी. इसके बाद गणेश जी, तिरुपति बालाजी, सिंधी पंचायत कीर्तन मण्डल, श्री अक्रूर जी की झांकी, भगवान श्री राधाकृष्ण का स्वरूप, संकीर्तन मण्डल, गौसेवा की झांकी भी शोभायात्रा में रही. शोभायात्रा में ठाकुर गोपीनाथ जी, ठाकुर श्याम सुंदर जी, ठाकुर राधा दामोदर जी, ठाकुर विनोदीलालजी, ठाकुर राधारमणजी, ठाकुर मदनमोहनजी झांकी के साथ महाप्रभु जी, देव गोस्वामी, रूप गोस्वामी जी की झांकी भी शामिल हुई.
धूमधाम से मना नंदोत्सवः इससे पहले गोविंददेव जी मंदिर प्रांगण 'नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की' का उद्घोष से गूंज उठा. नंदोत्सव के मौके पर ठाकुर श्रीजी को केसरिया रंग की नवीन पोशाक धारण कराकर विभिन्न फूलों से मनोरम शृंगार किया गया. विशेष अलंकार धारण करवाए गए. सुबह धूप झांकी खुलने पर ठाकुर श्रीजी का वेद मंत्रोच्चार के साथ अधिवास पूजन हुआ. इसके बाद ठाकुर श्रीजी के नंदोत्सव की विशेष भोग झांकी के दर्शन हुए. शृंगार झांकी में आरती के बाद तिल और यवदान पूजन हुआ. उसके बाद मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामीजी के सान्निध्य में नंदोत्सव मनाया गया.
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भगवान के जन्म पर लुटाई बधाई: भगवान श्री कृष्ण की विशेष झांकी सजाते हुए उनके चरणों में फल, टॉफी, बिस्किट, खिलौने, सिक्के और अन्य भेंट की सामग्री अर्पित की गई. यहां पहले आरती की गई. इसके बाद भक्तों के बीच भगवान के जन्म पर बधाई लुटाई गई. इन्हें लूटने के लिए श्रद्धालुओं में भी होड़ रही. गोविंद के दरबार में परंपरा के अनुसार मंदिर महंत परिवार की ओर से महिला और पुरुषों के बीच पहले श्रीफल उछाला गया. इस पर जिस भक्त को ये श्रीफल मिला, उसे जगमोहन में बुलाकर परितोषित दिया गया. इसके बाद ठाकुर जी के समक्ष रखी गई भेंट सामग्री को बधाई के रूप में भक्तों के बीच उछाला गया. इस दौरान गरीब अमीर महिला पुरुष और मंदिर में पहुंचने वाला हर वर्ग भगवान के सामने झोली और हाथ फैलाए खड़ा नजर आया.
भक्तों में दिखा उत्साह: इस दौरान मंदिर के सेवादार किशनलाल ने बताया कि भगवान गोविंद देव जी के दरबार में हाजिरी लगाने का मौका किस्मत वालों को मिलता है. हर साल की तरह इस साल भी जन्मोत्सव के बाद नंदोत्सव मनाया जा रहा है. लोगों में भी नंदोत्सव को लेकर खासा उत्साह है. वो हर साल यहां नंदोत्सव मनाने के लिए पहुंचते हैं. इसके साथ ही बैंड की स्वर लहरियों से ठाकुर जी को रिझाया जा रहा है.
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नंदोत्सव में भेंट उछाल का प्राप्त करने सौभाग्य लेने वाले गौरव धामाणी ने बताया कि नंदोत्सव की परंपरा ठीक उसी तरह है, जिस तरह घर में कोई बच्चा जन्म लेता है और उसके बाद उसका जश्न मनाया जाता है. उसी तरह मंदिर प्रांगण में परंपरा का निर्माण करते हुए नंदोत्सव मनाया जा रहा है. वहीं सेवादार अखिलेश ने बताया कि जन्मभिषेक के बाद कुछ अति उत्साही श्रद्धालु तो घर ही नहीं लौटे. मंदिर के आसपास ही डेरा डालकर बैठे रहे.जब शृंगार आरती के बाद नंदोत्सव हुआ तो ठाकुर जी के प्रसाद को ग्रहण करने की और देखने को मिली. यहां पर जो भी भेंट सामग्री उछाली गई वो सिर्फ सामग्री नहीं, बल्कि ठाकुर जी का प्रसाद है.
अन्य प्रमुख मंदिरों में मनाया नंदोत्सव: गोविंद देवजी मंदिर के अलावा राजधानी के प्रमुख कृष्ण मंदिरों में शामिल गोपीनाथ जी, राधा दामोदर जी, कृष्ण बलराम मंदिर, इस्कॉन टेंपल, अक्षरधाम में भी धूमधाम से नंदोत्सव मनाया गया.शाम को भगवान श्री कृष्ण की भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी. गोविंद देव जी मंदिर से रवाना होकर परकोटे के विभिन्न बाजारों से होते हुए पुरानी बस्ती स्थित गोपीनाथ जी मंदिर पहुंचेगी.