ETV Bharat / state

जन्माष्टमी पर ऐसे करें लड्डू गोपाल का पूजन, पूरी होगी हर मनोकामना, अष्टमी तिथि-रोहिणी नक्षत्र पर बन रहा अद्भुत संयोग - Janamashtami 2024 celebration date - JANAMASHTAMI 2024 CELEBRATION DATE

जन्नमाष्टमी मनाने को लेकर इस बार भी लोग दुविधा में हैं. वाराणसी के विद्वान और काशी विद्युत परिषद के पूर्व महामंत्री पंडित ऋषि द्विवेदी ने इसे लेकर तस्वीर साफ कर दी है. उन्होंने 26 और 27 अगस्त दोनों की तिथियों पर त्यौहार मनाए जाने की बात कही.

26 और 27 अगस्त दोनों दिन मनाई जाएगी जन्माष्टमी.
26 और 27 अगस्त दोनों दिन मनाई जाएगी जन्माष्टमी. (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 24, 2024, 11:22 AM IST

Updated : Aug 26, 2024, 6:07 AM IST

वाराणसी : नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की. अब हर घर में भगवान श्री कृष्ण के आगमन की तैयारियां जोर-शोर से चल रहीं हैं. भादो के महीने में अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण का जन्म माना जाता है, लेकिन सिर्फ तिथि ही नहीं बल्कि वह नक्षत्र भी महत्वपूर्ण होता है, जिसमें श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था. इसे लेकर इस बार थोड़ा कंफ्यूजन है कोई 26 तो कोई 27 अगस्त को जन्माष्टमी मनाने की तैयारी में है. सही तिथि क्या है, घरों में जन्माष्टमी का पर्व कब मनाया जाना उचित होगा, कब मंदिर में मनाया जाएगा, इसे लेकर काशी के विद्वान और काशी विद्युत परिषद के पूर्व महामंत्री पंडित ऋषि द्विवेदी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि सनातन धर्म में भाद्र कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत की मान्यता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस बार जन्माष्टमी व्रत अद्भुत और दुर्लभ है, चूंकि अष्टमी के साथ मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र के संयोग होने से इसे जयंती नामक योग कहा गया है. ऐसा योग अतिदुर्लभ है. देखा जाए तो भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र पद कृष्ट अष्टमी, बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में अद्र्धरात्रि में वृष राशि के चंद्रमा में हुआ था. भगवान विष्णु के दशावतारों में से सर्वप्रमुख पूर्णाअवतार षोडश कलाओं से परिपूर्ण भगवान कृष्ण को माना जाता है, जो द्वापर युग के अंत में हुआ था. इस बार जन्माष्टमी गृहस्थजन 26 अगस्त मनाएं तो गोकुलाष्टमी (उदयकाल में अष्टमी) 27 अगस्त को मथुरा, वृंदावन में मनाई जाएगी.

उन्होंने बताया कि उदयव्यापिनी रोहिणी मतावलम्बी वैष्णवजन श्रीकृष्ण व्रत 27 अगस्त को मनाएंगे. भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि 26 अगस्त को सुबह 08:20 मिनट पर लगेगी जो कि 27 अगस्त को प्रात: 06:34 मिनट तक रहेगी. रोहिणी नक्षत्र 26 अगस्त को रात्रि 09:10 मिनट पर मिल रहा है जो 27 अगस्त को रात्रि 08:23 मिनट तक रहेगी. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत की पारना गृहस्थजन 27 अगस्त को करेंगे. यह सर्वमान्य और पापग्न व्रत बाल, कुमार, युवा, वृद्ध सभी अवस्थाओं वाले नर-नारियों को करना चाहिए. इससे अनेकानेक पापों की निवृत्ति और सुखादिक वृद्धि होती है, जो इस व्रत को नहीं करते उनको पाप लगता है.

ऐसे करें उपवास की तैयारी : पंडित ऋषि ने बताया कि इस दिन व्रतियों को चाहिए कि उपवास से पहले दिन रात्रि में अल्पाहार करें. रात्रि में जितेंद्रीय रहें और व्रत के दिन प्रात: स्नानादि कर सूर्य, सोम, पवन, दिग्पति, भूमि, आकाश, यम और ब्रह्म आदि को प्रणाम करके उत्तरमुख बैठें. हाथ में जल, अक्षत, कुश, फूल लेकर मास, तिथि, पक्ष एवं वार का उच्चारण कर संकल्प लें. संकल्प में मेरे सभी तरह के पापों का शमन व सभी अभिष्टों की सिद्धि के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत करेंगे या करूंगी. यह संकल्प करें और मध्याह्न के समय काले तिल के जल से स्नान करके देवकी जी के लिए सूतिका गृह नियत करें.

ऐसे करें पूजन : पंडित द्विवेदी ने बताया कि व्रत को तैयारी के बाद स्वच्छ व सुशोभित स्थान पर सूतिका संबंधी सब सामग्री यथाक्रम रखें, तत्पश्चात एक सुंदर बिछौना पर अक्षतादि का मंडल बनाकर उस पर कलश स्थापन करें और उसी पर श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद रात्रि में भगवान जन्म के बाद जागरण व भजन इत्यादि करना चाहिए. इस व्रत को करने से पुत्र की इच्छा रखने वाली महिलाओं को पुत्र, धन की कामना वालों को धन यहां तक कि इस व्रत को करने से कुछ भी प्राप्त करना असंभव नहीं रहता और अंत में श्रीकृष्ण के धाम बैकुंठ में स्थान प्राप्त होता है.

मनोकामना अनुसार चुनें मूर्ति : जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण की मूर्ति स्थापित करने की परंपरा है. संतान सुख के लिए बाल कृष्ण की मूर्ति स्थापित की जा सकती है. इसके अलावा अन्य मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मुरली वाले कृष्ण की मूर्ति का चुनाव किया जा सकता है. इच्छानुसार शालिग्राम व शंख की भी स्थापना कर सकते हैं.

इस तरह करें श्रृंगार : फूलों से श्रीकृष्ण का श्रृंगार करना बेहतर माना जाता है. पीले रंग के वस्त्र पहनाएं. इसके बाद चंदन की सुगंध लगाएं. वैजयंती का फूल मिले तो सबसे बेहतर है. श्रृंगार में काले रंग का प्रयोग वर्जित माना जाता है.

यह भी पढ़ें : अयोध्या-कन्नौज रेपकांड में बुलडोजर एक्शन के बाद अब आगरा में भी उठने लगी आवाज, जाटव महापंचायत ने कहा- भाजपा नेता का मैरिज होम भी ध्वस्त हो

वाराणसी : नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की. अब हर घर में भगवान श्री कृष्ण के आगमन की तैयारियां जोर-शोर से चल रहीं हैं. भादो के महीने में अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण का जन्म माना जाता है, लेकिन सिर्फ तिथि ही नहीं बल्कि वह नक्षत्र भी महत्वपूर्ण होता है, जिसमें श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था. इसे लेकर इस बार थोड़ा कंफ्यूजन है कोई 26 तो कोई 27 अगस्त को जन्माष्टमी मनाने की तैयारी में है. सही तिथि क्या है, घरों में जन्माष्टमी का पर्व कब मनाया जाना उचित होगा, कब मंदिर में मनाया जाएगा, इसे लेकर काशी के विद्वान और काशी विद्युत परिषद के पूर्व महामंत्री पंडित ऋषि द्विवेदी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि सनातन धर्म में भाद्र कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत की मान्यता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस बार जन्माष्टमी व्रत अद्भुत और दुर्लभ है, चूंकि अष्टमी के साथ मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र के संयोग होने से इसे जयंती नामक योग कहा गया है. ऐसा योग अतिदुर्लभ है. देखा जाए तो भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र पद कृष्ट अष्टमी, बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में अद्र्धरात्रि में वृष राशि के चंद्रमा में हुआ था. भगवान विष्णु के दशावतारों में से सर्वप्रमुख पूर्णाअवतार षोडश कलाओं से परिपूर्ण भगवान कृष्ण को माना जाता है, जो द्वापर युग के अंत में हुआ था. इस बार जन्माष्टमी गृहस्थजन 26 अगस्त मनाएं तो गोकुलाष्टमी (उदयकाल में अष्टमी) 27 अगस्त को मथुरा, वृंदावन में मनाई जाएगी.

उन्होंने बताया कि उदयव्यापिनी रोहिणी मतावलम्बी वैष्णवजन श्रीकृष्ण व्रत 27 अगस्त को मनाएंगे. भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि 26 अगस्त को सुबह 08:20 मिनट पर लगेगी जो कि 27 अगस्त को प्रात: 06:34 मिनट तक रहेगी. रोहिणी नक्षत्र 26 अगस्त को रात्रि 09:10 मिनट पर मिल रहा है जो 27 अगस्त को रात्रि 08:23 मिनट तक रहेगी. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत की पारना गृहस्थजन 27 अगस्त को करेंगे. यह सर्वमान्य और पापग्न व्रत बाल, कुमार, युवा, वृद्ध सभी अवस्थाओं वाले नर-नारियों को करना चाहिए. इससे अनेकानेक पापों की निवृत्ति और सुखादिक वृद्धि होती है, जो इस व्रत को नहीं करते उनको पाप लगता है.

ऐसे करें उपवास की तैयारी : पंडित ऋषि ने बताया कि इस दिन व्रतियों को चाहिए कि उपवास से पहले दिन रात्रि में अल्पाहार करें. रात्रि में जितेंद्रीय रहें और व्रत के दिन प्रात: स्नानादि कर सूर्य, सोम, पवन, दिग्पति, भूमि, आकाश, यम और ब्रह्म आदि को प्रणाम करके उत्तरमुख बैठें. हाथ में जल, अक्षत, कुश, फूल लेकर मास, तिथि, पक्ष एवं वार का उच्चारण कर संकल्प लें. संकल्प में मेरे सभी तरह के पापों का शमन व सभी अभिष्टों की सिद्धि के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत करेंगे या करूंगी. यह संकल्प करें और मध्याह्न के समय काले तिल के जल से स्नान करके देवकी जी के लिए सूतिका गृह नियत करें.

ऐसे करें पूजन : पंडित द्विवेदी ने बताया कि व्रत को तैयारी के बाद स्वच्छ व सुशोभित स्थान पर सूतिका संबंधी सब सामग्री यथाक्रम रखें, तत्पश्चात एक सुंदर बिछौना पर अक्षतादि का मंडल बनाकर उस पर कलश स्थापन करें और उसी पर श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद रात्रि में भगवान जन्म के बाद जागरण व भजन इत्यादि करना चाहिए. इस व्रत को करने से पुत्र की इच्छा रखने वाली महिलाओं को पुत्र, धन की कामना वालों को धन यहां तक कि इस व्रत को करने से कुछ भी प्राप्त करना असंभव नहीं रहता और अंत में श्रीकृष्ण के धाम बैकुंठ में स्थान प्राप्त होता है.

मनोकामना अनुसार चुनें मूर्ति : जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण की मूर्ति स्थापित करने की परंपरा है. संतान सुख के लिए बाल कृष्ण की मूर्ति स्थापित की जा सकती है. इसके अलावा अन्य मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मुरली वाले कृष्ण की मूर्ति का चुनाव किया जा सकता है. इच्छानुसार शालिग्राम व शंख की भी स्थापना कर सकते हैं.

इस तरह करें श्रृंगार : फूलों से श्रीकृष्ण का श्रृंगार करना बेहतर माना जाता है. पीले रंग के वस्त्र पहनाएं. इसके बाद चंदन की सुगंध लगाएं. वैजयंती का फूल मिले तो सबसे बेहतर है. श्रृंगार में काले रंग का प्रयोग वर्जित माना जाता है.

यह भी पढ़ें : अयोध्या-कन्नौज रेपकांड में बुलडोजर एक्शन के बाद अब आगरा में भी उठने लगी आवाज, जाटव महापंचायत ने कहा- भाजपा नेता का मैरिज होम भी ध्वस्त हो

Last Updated : Aug 26, 2024, 6:07 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.