मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : जनकपुर ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बनाने के बाद मौजूदा आदिवासी महिला सरपंच को पद से हटा दिया गया.जिसके बाद महिला सरपंच जयमनिया बैगा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. महिला सरपंच की याचिका हाईकोर्ट ने स्वीकार कर ली है.जिस पर फैसला आना बाकी है. आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम 1961 (क्रमांक 37 सन् 1961) की धारा 5 में प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए राज्य शासन ने ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बनाया है.
सरपंच ने कही अन्याय की बात : जयमनिया बैगा ने राज्य सरकार पर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ अन्याय करने की बात कही है. साथ ही आरोप लगाया है कि सरकार ने नगर पालिका अधिनियम 1961 के खिलाफ समिति का गठन किया है. राजपत्र में प्रकाशित नगर पंचायत के कार्यवाहक समिति पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई है.
साय सरकार में आदिवासी उपेक्षित : जनकपुर की सरपंच रही जयमनिया बैगा ने बताया कि वो एक महिला आदिवासी सरपंच हैं. प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय भी आदिवासी समाज से हैं. क्षेत्र की विधायक रेणुका सिंह भी आदिवासी समाज से हैं. भरतपुर सोनहत विधानसभा भी आदिवासी समाज के लिए आरक्षित है. लेकिन यहां अन्याय भी आदिवासी के साथ हुआ है.
''जनकपुर ग्राम पंचायत का पद भी आदिवासी महिला के लिए आरक्षित है. मैंने चुनाव जीतकर सरपंच का पद संभाला था. चुनाव को 6 महीने बचे थे. ऐसे में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित पद पर सामान्य वर्ग के अशोक सिंह का नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर मनोनयन करना गलत है. जबकि नगर पंचायत के लिए अभी आरक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है.'' जयमनिया बैगा, पूर्व महिला सरपंच
आपको बता दें कि इस बारे में बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष दुर्गाशंकर मिश्रा ने प्रदेशाध्यक्ष को पत्र भी लिखा है.जिसमें आदिवासी महिला सरपंच को न्याय दिलाने की बात कही है. दुर्गाशंकर के मुताबिक जिलाध्यक्ष बीजेपी अनिल केशरवानी ने मनमाने ढंग से अध्यक्ष और सदस्यों को नगरीय प्रशासन और विकास विभाग के यहां जो सूची भेजी थी, वो गलत है. जिला अध्यक्ष एमसीबी और जिला संगठन के पदाधिकारियों के अलावा मण्डल जनकपुर के पदाधिकारियों की परमिशन नहीं ली गई है . बिना किसी परमिशन के ही महिला आदिवासी आरक्षित सीट पर सामान्य वर्ग के पुरूष को अध्यक्ष बना दिया गया है.