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बीजापुर में जल जीवन मिशन का काम धीमा, जानिए क्यों नहीं पूरा हुआ लक्ष्य - नक्सल समस्या

Jal Jeevan Mission Work बीजापुर में जल जीवन मिशन का काम कछुआ गति से चल रहा है. आलम यह है कि कई जगहों पर सिर्फ 5 फीसदी काम ही हुआ है. ग्रामीणों का आरोप है कि कुछ गांवों में बिना काम के ही ठेकेदारों ने पैसे निकाल लिए और करप्शन किया है.

Jal Jeevan Mission Work Slow
बीजापुर में कछुआ गति से चल रहा जल जीवन मिशन का काम
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 20, 2024, 6:30 PM IST

बीजापुर : बस्तर के कई जिलों में जल जीवन मिशन का काम पूरा नहीं हुआ है. नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में तो हालात ज्यादा खराब हैं. बीजापुर के चार ब्लॉक के 563 गांवों में जल जीवन मिशन के तहत काम होना है. अब तक केवल 27 गांवों में ही पानी की सप्लाई शुरु की गई है. यानी महज पांच फीसदी काम ही हुआ है.

जल जीवन मिशन का काम : बीजापुर जिले के चार ब्लॉक भोपालपटनम में 128, उसूर में 121, बीजापुर में 95 और भैरमगढ़ के 219 गांवों में नल कनेक्शन लगने हैं. लेकिन सिर्फ 27 गांव में पानी पहुंचा है. इस काम को 2020 में चालू किया गया था. मार्च 2024 को काम पूरा करना था.लेकिन अब तक काम नहीं हुआ. कई गांवों में सोलर पम्प के माध्यम से घरों तक पानी पहुंचाने की योजना थी.लेकिन ये काम भी अधूरा ही है. क्रेडा विभाग को इस काम के लिए 17782.62 लाख रुपए का भुगतान भी हो चुका है.

27 गांवों तक पहुंचा साफ पानी: जल जीवन मिशन के तहत भोपालपटनम ब्लॉक में इंद्रावती नदी से 17 गांवों में फिल्टर युक्त पानी पहुंचाया जा रहा है. जिसमें भोपालपटनम नगर पंचायत, अर्जुनली, मम्मिड़गुड़ा, पेद्दामाटूर, चेरपल्ली, मोदकपल्ली, भट्टिगुड़ा, तिमेड़, रामपुराम, भट्टपल्ली, गुंलपेटा, उल्लूर, चन्दनगिरी, सांड्रापल्ली, गोल्लागुड़ा, चिल्लामरका, गोटाइगुड़ा, रुद्राराम गांव शामिल हैं.

''बीजापुर जिले में 563 आबाद गांव हैं. हर घर में नल-जल देना है. काम थोड़ा धीमे चल रहा है. ठेकेदारो को नोटिस भी जारी किया गया है. अति संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण टेंडर के लिए ठेकेदार नहीं आ रहे.180 गांवों में टेंडर प्रक्रिया चल रही है.'' डीसी.नारनोरे, ईई पीएचई

नक्सल समस्या बड़ा कारण : बीजापुर के ज्यादातर गांवों में सोलर पम्प के माध्यम से पानी की आपूर्ति करनी है.जिसमें 1558 सोलर पैनल लगाने का टारगेट था.लेकिन सिर्फ 384 सोलर पैनल ही लगाए गए हैं. इसके लिए 1782 लाख रुपए क्रेडा विभाग के पास जमा हैं. सोलर पैनल लगाने के लिए 180 गावों के लिए कई बार निविदाएं निकाली जा चुकी हैं.लेकिन नक्सल समस्या होने के कारण कोई भी ठेकेदार काम को लेना नहीं चाहता.जो काम पूरे हुए हैं वो रोड साइड वाले ही हैं.अंदरूनी क्षेत्रों में किसी भी ठेकेदार ने टेंडर नहीं भरा.

बीजापुर : बस्तर के कई जिलों में जल जीवन मिशन का काम पूरा नहीं हुआ है. नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में तो हालात ज्यादा खराब हैं. बीजापुर के चार ब्लॉक के 563 गांवों में जल जीवन मिशन के तहत काम होना है. अब तक केवल 27 गांवों में ही पानी की सप्लाई शुरु की गई है. यानी महज पांच फीसदी काम ही हुआ है.

जल जीवन मिशन का काम : बीजापुर जिले के चार ब्लॉक भोपालपटनम में 128, उसूर में 121, बीजापुर में 95 और भैरमगढ़ के 219 गांवों में नल कनेक्शन लगने हैं. लेकिन सिर्फ 27 गांव में पानी पहुंचा है. इस काम को 2020 में चालू किया गया था. मार्च 2024 को काम पूरा करना था.लेकिन अब तक काम नहीं हुआ. कई गांवों में सोलर पम्प के माध्यम से घरों तक पानी पहुंचाने की योजना थी.लेकिन ये काम भी अधूरा ही है. क्रेडा विभाग को इस काम के लिए 17782.62 लाख रुपए का भुगतान भी हो चुका है.

27 गांवों तक पहुंचा साफ पानी: जल जीवन मिशन के तहत भोपालपटनम ब्लॉक में इंद्रावती नदी से 17 गांवों में फिल्टर युक्त पानी पहुंचाया जा रहा है. जिसमें भोपालपटनम नगर पंचायत, अर्जुनली, मम्मिड़गुड़ा, पेद्दामाटूर, चेरपल्ली, मोदकपल्ली, भट्टिगुड़ा, तिमेड़, रामपुराम, भट्टपल्ली, गुंलपेटा, उल्लूर, चन्दनगिरी, सांड्रापल्ली, गोल्लागुड़ा, चिल्लामरका, गोटाइगुड़ा, रुद्राराम गांव शामिल हैं.

''बीजापुर जिले में 563 आबाद गांव हैं. हर घर में नल-जल देना है. काम थोड़ा धीमे चल रहा है. ठेकेदारो को नोटिस भी जारी किया गया है. अति संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण टेंडर के लिए ठेकेदार नहीं आ रहे.180 गांवों में टेंडर प्रक्रिया चल रही है.'' डीसी.नारनोरे, ईई पीएचई

नक्सल समस्या बड़ा कारण : बीजापुर के ज्यादातर गांवों में सोलर पम्प के माध्यम से पानी की आपूर्ति करनी है.जिसमें 1558 सोलर पैनल लगाने का टारगेट था.लेकिन सिर्फ 384 सोलर पैनल ही लगाए गए हैं. इसके लिए 1782 लाख रुपए क्रेडा विभाग के पास जमा हैं. सोलर पैनल लगाने के लिए 180 गावों के लिए कई बार निविदाएं निकाली जा चुकी हैं.लेकिन नक्सल समस्या होने के कारण कोई भी ठेकेदार काम को लेना नहीं चाहता.जो काम पूरे हुए हैं वो रोड साइड वाले ही हैं.अंदरूनी क्षेत्रों में किसी भी ठेकेदार ने टेंडर नहीं भरा.

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