जयपुर. ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका की ओर से कोविड-19 वैक्सीन के दुर्लभ मामलों में गंभीर साइड इफेक्टस होने की बात स्वीकारे जाने के बाद भारत में भी हड़कंप मच गया है. कोविड के दौरान वैक्सीन लगवाने वाले लोगों में खबर के बाद भय का माहौल बना हुआ है. कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने जब स्वीकार किया कि कोविशील्ड से कुछ मामलों में थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है. इस रेयर बीमारी में शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है, लेकिन चिकित्सकों का मानना है कि जब तक डिटेल रिसर्च सामने नहीं आती तब तक वैक्सीन पर सवाल नहीं उठाए जा सकते.
आईसीएमआर की रिपोर्ट अलग : एसएमएस अस्पताल में मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. सुधीर मेहता ने कहा कि भारत में 70 से 80 प्रतिशत लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन ही लगी है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भी अपनी एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें वैक्सीन से साइड इफेक्ट की बात नहीं थी. अभी जो न्यूज सामने आ रही है वह प्रीमैच्योर है. अभी लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. लोगों को ऐसी खबर से अभी दहशत में नहीं होना चाहिए. अभी फाइनल रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए.
एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल और कार्डियोलॉजी के सीनियर प्रोफेसर डॉ. राजीव बगरहट्टा ने कहा कि सबसे पहले तो यह बात जरूरी है कि कोरोना का हार्ट अटैक से कितना संबंध है. कोरोना के समय कुछ मरीज ऐसे सामने आए थे कि जिनको हार्ट अटैक नहीं आना चाहिए था, लेकिन उन्हें अटैक आया. कोरोना के ढाई साल बीत जाने के बाद पोस्ट कोविड इफेक्ट के रूप में हार्ट अटैक सामने आ रहे हैं, ऐसे में ये कहना अभी जल्दबाजी होगी कि इसका कारण वैक्सीन है.
हार्ट अटैक की समस्या बढ़ी : मामले को लेकर एसएमएस अस्पताल के अन्य चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना के बाद हार्ट अटैक की समस्या तो बढ़ी है, लेकिन इसका कारण वैक्सीन ही है, इसको लेकर कोई भी तथ्य अभी तक सामने नहीं आया है. हालांकि हार्ट अटैक के कई कारण हैं, जिसमें डायबिटीज का बढ़ना, स्मोकिंग करना या फिर लाइफस्टाइल भी कारण हैं. ऐसे में जब तक डिटेल रिसर्च इस मामले को लेकर नहीं होगी तब तक यह नहीं कहा जा सकता कि वैक्सीन के कारण ही हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं.