जयपुर. चिकित्सा शिक्षा विभाग ने हरिबक्श कांवटिया अस्पताल प्रसव प्रकरण में सीनियर रेजीडेंट डॉ. सुषमा का निलंबन निरस्त किया है. विभाग का कहना है कि ड्यूटी रोस्टर में गफलत के कारण डॉ. सुषमा के निलंबन को लेकर उत्पन्न हुई स्थिति तथा पूरे प्रकरण की पुनः जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. दरअसल, हरिबक्श कांवटिया अस्पताल में एक महिला का 3 अप्रैल, 2024 को अस्पताल के गेट पर प्रसव हो गया था. इस प्रकरण की जांच में प्रथम दृष्टया सीनियर रेजीडेंट डॉ. सुषमा को भी दोषी मानते हुए निलंबित किया गया था.
चिकित्सा विभाग का कहना है कि जांच के लिए तत्काल एक कमेटी गठित की गई थी और कमेटी की जांच के अनुसार डॉ. सुषमा कि ड्यूटी रोस्टर के अनुसार प्रातः 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक थी और यह प्रकरण 3 अप्रैल को शाम करीब 6.30 बजे घटित हुआ. उस समय डॉ. सुषमा ऑनकॉल ड्यूटी पर थीं और जूनियर डॉक्टर द्वारा सूचित करने पर अस्पताल पहुंच गई थीं. हालांकि, पूरे मामले में असली दोषी कौन है, चिकित्सा विभाग इसकी जांच अभी तक नहीं कर पाया है. ऐसे में चिकित्सा विभाग की जांच पर सवाल खड़े होने लगे हैं.
पहले दोषी पाई गई : प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक मेडिकल कॉलेज, जयपुर की रिपोर्ट में डॉ. सुषमा को प्रकरण घटित होने के समय फ्लोर ड्यूटी पर अनुपस्थित होना बताया गया, लेकिन दोबारा हुई जांच में पाया गया कि वह घटना के समय ऑनकॉल ड्यूटी पर थीं और सूचना मिलने पर अस्पताल में उपस्थित भी हो गई थीं. प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक मेडिकल कॉलेज जयपुर की पुनः जांच के बाद प्रेषित रिपोर्ट में इस स्थिति से अवगत करवाया गया.
इसके बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह के निर्देश पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने डॉ. सुषमा का निलंबन वापस लेने के आदेश जारी कर दिए हैं. साथ ही ड्यूटी रोस्टर को लेकर पैदा हुई असमंजस की स्थिति तथा पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच के लिए नई कमेटी का गठन किया है. अतिरिक्त मिशन निदेशक, एनएचएम, अरुण गर्ग की अध्यक्षता में गठित इस नई कमेटी में उप निदेशक चिकित्सा शिक्षा खेमाराम यादव, महिला चिकित्सालय जयपुर की वरिष्ठ आचार्य डॉ. आशा वर्मा एवं डॉ. ज्योत्सना व्यास तथा जनाना अस्पताल की आचार्य डॉ. अदिति बंसल सदस्य होंगे. यह कमेटी 7 दिन में प्रकरण में जांच कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.