अलवर. जगन्नाथ महोत्सव के तहत बुधवार को सुबह माता जानकी पुराना कटला स्थित जगन्नाथ मंदिर से रथयात्रा के रूप में रवाना हुई. जानकी माता के रथ के आगे 1100 महिलाएं मंगल कलश लिए शोभायात्रा के रूप में चल रही थी. रथयात्रा प्रारंभ होने से पूर्व मंदिर में माता जानकी को पूजा अर्चना और रीति रिवाज के साथ रथ में विराजित किया गया. माता जानकी की रथ यात्रा दोपहर में रूपवास स्थित रूपहरि मंदिर के पास बनाए गए जनवासा में पहुंची. यहां रूपवास की महिला-पुरुषों ने माता जानकी की अगवानी की.
जगन्नाथ महोत्सव का मुख्य आकर्षण भगवान जगन्नाथ एवं माता जानकी का वरमाला महोत्सव बुधवार रात को सम्पन्न होगा. इससे पूर्व माता जानकी की सवारी जनवासा में पहुंची. यहां रूपवास के ग्रामीणों की ओर से भगवान जगन्नाथ की बारात को भोज दिया. माता जानकी रात तक जनवासा में ही रहेंगी. रात करीब 10 बजे माता जानकी को दुल्हन रूप में सज-धजकर रूपहरि मंदिर स्थित वरमाला स्थल पहुंंचेगी, जहां पंडितों की ओर से भगवान जगन्नाथ एवं माता जानकी का मंत्रोच्चार के साथ वरमाला महोत्सव सम्पन्न कराया जाएगा.
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जगन्नाथ पुरी से अलग है अलवर का जगन्नाथ महोत्सव: देश में जगन्नाथ महोत्सव का मुख्य आयोजन उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी में होता है. साथ ही अलवर देश के अलग-अलग स्थानों पर भी जगन्नाथ महोत्सव का आयोजन होता है. लेकिन अलवर का जगन्नाथ महोत्सव उड़ीसा के जगन्नाथ महोत्सव से अलग है. इन दोनों महोत्सव में अंतर यह है कि उड़ीसा के पुरी में होने वाले आयोजन में भगवान जगन्नाथ व माता जानकी का स्वरूप भाई बहन के रूप में होता है, जबकि अलवर में भगवान जगन्नाथ एवं माता जानकी का पति एवं पत्नी के स्वरूप मान विवाह की रस्में निभाई जाती है.
वरमाला मे पहनाई जाएंगी 15 वरमाला: महंत पंडित धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि भगवान जगन्नाथ व माता जानकी के वरमाला महोत्सव में 15 वरमाला पहनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि परंपरा के अनुसार सबसे पहले कंपनी बाग के फूलों की माला पहनाई जाएगी. इसके बाद मंदिर समिति की ओर से चांदी की वरमाला पहनाई जाएगी. साथ ही वृंदावन से तुलसी की माला के अलावा छत्तीसगढ़, दिल्ली व अन्य जगहों से श्रद्धालुओं की ओर से भेजी गई वरमाला भी महोत्सव में पहनाई जाएगी.
प्रशासन की ओर से अलवर में अवकाश: भगवान जगन्नाथ के मेले के रूप में जिला मजिस्ट्रेट की ओर से एक दिन का अवकाश घोषित किया जाता है. इस दिन भर मेला होने के चलते रूपवास मेला स्थल पर पहुंचने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक रहती है. रात में वरमाला के समय में भी लोग भगवान जगन्नाथ व माता जानकी की वरमाला देखने के लिए घंटों तक इंतजार करने को भी तैयार रहते है.
श्रद्धालुओं ने किया दर्शन: सोमवार सुबह से ही रूपवास स्थित रूप हरि मंदिर में विराजित भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए जिले भर के अलावा अन्य राज्यों के श्रद्धालु भी मंदिर पहुंचे. भगवान जगन्नाथ के रूप बास पहुंचते ही लक्की मेला प्रारंभ हो गया. लोग यहां पहुंच कर मेले का आनंद ले रहे हैं. पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भी यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मन मोह लिया.