जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में गोंड राजाओं ने ऐसी जल संरचनाएं बनाई थीं जिनमें कभी पानी खत्म नहीं होता था. इन दिनों की भीषण गर्मी में जहां जल स्रोत सूख रहे हैं. वहीं जबलपुर के ताल तालाबों में पानी लबालब भरा हुआ है. आज से लगभग 400 साल पहले के राजाओं ने जिस सोच विचार के साथ इन जल संरचनाओं को बनाया था वह विरासत वर्तमान हुक्मरानों से संभाली तक नहीं जा रही है. जबलपुर के ये तालाब प्राकृतिक सौंदर्य और इंजीनियरिंग के बेशकीमती नमूने हैं.
गर्मी अपने शबाब पर
गर्मी इस समय अपने पूरे शबाब पर है. इस गर्मी में सबसे बड़ी जरूरत पानी की होती है, लेकिन जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है वैसे-वैसे जल स्रोतों का पानी घटना शुरू हो जाता है. साथ ही कई जगहों पर पानी तो निकला ही बंद हो जाता है. लोगों को बूंद बूंद पानी के लिए कई किलोमीटर का सफर करना पड़ता है. कई लोगों को पानी की कमी की वजह से पलायन तक करना पड़ता है. वहीं जबलपुर में गर्मियों के दिनों में पानी की कोई समस्या नहीं रहती है. जबलपुर का तापमान लगभग 45 डिग्री के लगभग है. इसके बाद भी यहां दो दर्जन से ज्यादा तालाबों में पानी लबालब भरा हुआ है.
![JABALPUR UNIQUE WATER MANAGEMENT](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/01-06-2024/mp-jab-01-water-managment-7211635_01062024131525_0106f_1717227925_1068.jpg)
गोंड राजाओं का वाटर मैनेजमेंट
ये तालाब प्राकृतिक तालाब नहीं है. इन तालाबों को बड़ी कुशल इंजीनियरिंग के साथ बनाया गया है. तालाबों के नाम से यह जाना जा सकता है कि इस तालाब को किसने बनवाया था. यह कहानी गोंडवाना काल की है. जिस तरीके से खजुराहो में मंदिरों की एक श्रृंखला मिलती है और उसके बारे में यह कहा जाता है कि उन मंदिरों को पीढ़ी दर पीढ़ी अलग-अलग राजाओं ने बनवाया था. कुछ ऐसा ही सिलसिला जबलपुर के तालाबों का भी है. इन्हें भी अलग-अलग समय काल में जबलपुर के अलग-अलग गोंड राजाओं ने बनवाएं हैं.
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एक तालाब दूसरे तालाब से जुड़ा हुआ था
इन तालाबों की संरक्षण के लिए आवाज उठा रहे उत्तम पांडे ने हमें बताया कि जबलपुर में कुल मिलाकर 52 ताल और तालाब हुआ करते थे. इनमें से कुछ 100 एकड़ से ज्यादा के फैलाव में फैले थे और कुछ उपयोग के अनुसार छोटे-छोटे थे. वहीं कुछ तालाबों की श्रृंखला ऐसी है जिसमें पहाड़ के ऊपर एक तालाब बना हुआ है, फिर उसके ठीक नीचे बने तालाब को पानी का रास्ता बनाया गया है. यही रास्ता नीचे जाकर एक तीसरे तालाब में मिल जाता है. यह श्रृंखला मदन महल पहाड़ी में दो जगह देखने को मिलती है.
तालाब जुड़े होने से लबालब भरा पानी
देवताल पार्क में एक तालाब है जो काफी ऊंचाई पर है. उससे पानी निकालकर देवताल में आता है और देवताल से पानी निकालकर सूपा ताल में पहुंचता है. फिर सुपर ताल से भी यह दूसरे छोटी-छोटे तालाब तक पहुंचता था. यह पूरा पानी बरसात के समय संग्रहित किया जाता था, जो साल भर इस पूरे इलाके में रहने वाले लोगों को पीने और खेती के लिए पानी उपलब्ध करवाता था. यह व्यवस्था बाकायदा बनाई गई थी जिसे आज भी देखा जा सकता है. जिन तालाबों का जिक्र हमने किया है उन सभी में अभी भी पानी है बल्कि इतना पानी है कि देवताल में इस पानी की वजह से कमल खिले हुए हैं. सूपाताल में अभी भी इतनी गहराई में पानी है कि इसमें लोग मछलियां पकड़ने के लिए आते हैं.
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राजाओं और रानियां के नाम पर बने तालाब
इतिहास का अध्ययन करने वाले संजीव पांडे बताते हैं कि "इनमें से कुछ तालाब राजाओं और रानियां के नाम पर भी बनाए गए हैं. यह पूरी जल संरचना जबलपुर के 15 किलोमीटर इलाके में फैली हुई है. मतलब बहुत स्पष्ट है कि पूरे क्षेत्र में उसे जमाने की एक समृद्ध संस्कृति रहा करती थी. जिनके पास भीषण गर्मी में भी भरपूर पानी हुआ करता था."
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जबलपुर के तालाबों के नाम
संग्रामसागर अधारताल, रानीताल, उखरी तालाब चेरीताल, हनुमानताल, फूटाताल, हाथीताल, सूपाताल, देवताल, कोलाताल, बघाताल, ठाकुरताल, गुलौआ ताल, माढोताल, मठाताल, सुआताल, खम्बताल, गोकलपुर तालाब, शाहीतालाब, महानद्दा तालाब, कदम तलैया, भानतलैया, श्रीनाथ की तलैया, तिलकभूमि तलैया, बैनीसिंह की तलैया, तीनतलैया, लोको तलैया, ककरैया तलैया, जूडीतलैया, गंगासागर, मढाताल इत्यादि तालाब हैं.