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रहस्यमयी है 2000 साल पुराना चौसठ योगिनी मंदिर, विराजमान है भगवान शिव की विवाह प्रतिमा

Chausath Yogini temple Jabalpur: भारत मंदिरों का देश है. जबलपुर में भगवान शिव का अनोखा मंदिर है, जो कई रोचक रहस्यों से भरा हुआ है. यहां 2000 सालों से पूजा अर्चना होती आ रही है. मंदिर के ठीक बीच में भगवान शिव और पार्वती के विवाह की प्रतिमा स्थापित है. जानिये मंदिर को लेकर रोचक जानकारी-

Chausath Yogini temple Jabalpur
चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 8, 2024, 5:19 PM IST

Updated : Mar 8, 2024, 5:54 PM IST

रहस्यमयी है 2000 साल पुराना चौसठ योगिनी मंदिर

जबलपुर। महाशिवरात्रि पर्व का महत्व भगवान शंकर के विवाह से जोड़कर देखा जाता है. जबलपुर के भेड़ाघाट के गौरी शंकर मंदिर में 2000 साल पुरानी एक मूर्ति है जिसमें भगवान शंकर के पूरे विवाह के दृश्य को उकेरा है. बीते 2000 सालों से इस जगह पर महाशिवरात्रि के मौके पर पूजन अर्चन चली आ रहा है. 64 योगिनी मंदिर के ठीक बीच में बने इस मंदिर में यह मूर्ति विराजित है. फिलहाल यह मंदिर पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है लेकिन अभी भी आस्था के अभिभूत लोग यहां पूजन अर्चन करने पहुंचते हैं.

महाशिवरात्रि पर उमड़ रहा भक्तों का सैलाब

आज महाशिवरात्रि है और ऐसा माना जाता है कि आज की ही रात भगवान शंकर का विवाह हुआ था. इसलिए आज का दिन पूरे भारत में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. जबलपुर के शिवालयों में भी पूरे दिन पूजा पाठ का सिलसिला चलता रहता है. लोग शिव मंदिरों में जाकर पूजन अर्चन अभिषेक करते हैं.

Chausath Yogini temple Jabalpur
रहस्यमयी है 2000 साल पुराना चौसठ योगिनी मंदिर

मंदिर को लेकर दंतकथा

जबलपुर के भेड़ाघाट में 64 योगिनी मंदिर है, यह 64 योगनिया एक गोलाकार प्रांगण में विराजमान हैं और इस गोलाकार प्रांगण के ठीक बीच में भगवान शिव का मंदिर है. इस मंदिर के महंत धर्मेंद्र पुरी ने बताया कि ''उनका परिवार (पूर्वज) 300 साल से इस मंदिर की सेवा कर रहा है और इस मंदिर के बारे में यह कहा जाता है कि भगवान शंकर जब विवाह करने के बाद लौटे तो यहां ऋषि सुकणृ रहा करते थे, ऋषि सुकण से मिलने के लिए यहां आए. ऋषि ने भगवान से कहा कि आप यही रहें मैं नर्मदा में स्नान करके लौटता हूं. भगवान पार्वती के साथ यहां रुके रहे लेकिन ऋषि नहीं लौटे. ऋषि ने जल समाधि ले ली. ऋषि का यह सोचना था कि अब जब भगवान यहां आ गए हैं तो वह यहीं रुक जाएं और यहां से आगे ना जाएं, यह एक दंत कथा है जिसे यहां के पुजारी मानते हैं.''

2000 साल से चली आ रही है परंपरा

वहीं, धर्मेंद्र पुरी का कहना है कि ''यह मंदिर फिलहाल पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है. इस मंदिर के बारे में जो वैज्ञानिक अध्ययन किया गया उसके अनुसार इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 2000 साल पहले कुशाण राजाओं ने करवाया था और लगातार कई सालों तक यह निर्माण कार्य चलता रहा. यहां तक की सन 1100 में खुले स्थान पर रखी भगवान शिव की मूर्ति के ऊपर यह मंदिर बनाया गया.''

पूरी दुनिया में सबसे अनोखी मूर्ति

मंदिर के भीतर जो मूर्ति रखी है वह अद्भुत है. एक ही मूर्ति में भगवान शिव की पूरी शादी की छवि नजर आती है. उस मूर्ति में शंकर और पार्वती नदी पर सवार हैं एक तरफ भगवान शंकर के साथ आए हुए बाराती दिखते हैं तो दूसरी तरफ माता पार्वती के सहयोगी नजर आते हैं. इसलिए इस जगह का महत्व धार्मिक दृष्टि से महाशिवरात्रि के दिन ज्यादा बढ़ जाता है और लोग दूर-दूर से यहां महाशिवरात्रि के दिन पूजन अर्चन करने के लिए आते हैं.

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साल भर खुला रहता है मंदिर

मंदिर के भीतर जो मूर्ति रखी है वह पुरातात्विक महत्व की है, इसलिए उसे केवल सजाया जाता है. पूजा अर्चन करने के लिए बाहर स्थान बनाया गया है. श्रद्धालुओं के लिए और दर्शनार्थियों के लिए यह मंदिर साल भर खुला रहता है. भेड़ाघाट आने वाले पर्यटकों के लिए यह ऐतिहासिक स्थान जरूर घूमना चाहिए. इसमें हमारे इतिहास के साथ साथ ही साथ उन कलाकारों की कलाकारी भी देखने को मिलती है, जो आज से लगभग 2000 साल पहले पत्थर में जान फूंक रहे थे.

रहस्यमयी है 2000 साल पुराना चौसठ योगिनी मंदिर

जबलपुर। महाशिवरात्रि पर्व का महत्व भगवान शंकर के विवाह से जोड़कर देखा जाता है. जबलपुर के भेड़ाघाट के गौरी शंकर मंदिर में 2000 साल पुरानी एक मूर्ति है जिसमें भगवान शंकर के पूरे विवाह के दृश्य को उकेरा है. बीते 2000 सालों से इस जगह पर महाशिवरात्रि के मौके पर पूजन अर्चन चली आ रहा है. 64 योगिनी मंदिर के ठीक बीच में बने इस मंदिर में यह मूर्ति विराजित है. फिलहाल यह मंदिर पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है लेकिन अभी भी आस्था के अभिभूत लोग यहां पूजन अर्चन करने पहुंचते हैं.

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आज महाशिवरात्रि है और ऐसा माना जाता है कि आज की ही रात भगवान शंकर का विवाह हुआ था. इसलिए आज का दिन पूरे भारत में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. जबलपुर के शिवालयों में भी पूरे दिन पूजा पाठ का सिलसिला चलता रहता है. लोग शिव मंदिरों में जाकर पूजन अर्चन अभिषेक करते हैं.

Chausath Yogini temple Jabalpur
रहस्यमयी है 2000 साल पुराना चौसठ योगिनी मंदिर

मंदिर को लेकर दंतकथा

जबलपुर के भेड़ाघाट में 64 योगिनी मंदिर है, यह 64 योगनिया एक गोलाकार प्रांगण में विराजमान हैं और इस गोलाकार प्रांगण के ठीक बीच में भगवान शिव का मंदिर है. इस मंदिर के महंत धर्मेंद्र पुरी ने बताया कि ''उनका परिवार (पूर्वज) 300 साल से इस मंदिर की सेवा कर रहा है और इस मंदिर के बारे में यह कहा जाता है कि भगवान शंकर जब विवाह करने के बाद लौटे तो यहां ऋषि सुकणृ रहा करते थे, ऋषि सुकण से मिलने के लिए यहां आए. ऋषि ने भगवान से कहा कि आप यही रहें मैं नर्मदा में स्नान करके लौटता हूं. भगवान पार्वती के साथ यहां रुके रहे लेकिन ऋषि नहीं लौटे. ऋषि ने जल समाधि ले ली. ऋषि का यह सोचना था कि अब जब भगवान यहां आ गए हैं तो वह यहीं रुक जाएं और यहां से आगे ना जाएं, यह एक दंत कथा है जिसे यहां के पुजारी मानते हैं.''

2000 साल से चली आ रही है परंपरा

वहीं, धर्मेंद्र पुरी का कहना है कि ''यह मंदिर फिलहाल पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है. इस मंदिर के बारे में जो वैज्ञानिक अध्ययन किया गया उसके अनुसार इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 2000 साल पहले कुशाण राजाओं ने करवाया था और लगातार कई सालों तक यह निर्माण कार्य चलता रहा. यहां तक की सन 1100 में खुले स्थान पर रखी भगवान शिव की मूर्ति के ऊपर यह मंदिर बनाया गया.''

पूरी दुनिया में सबसे अनोखी मूर्ति

मंदिर के भीतर जो मूर्ति रखी है वह अद्भुत है. एक ही मूर्ति में भगवान शिव की पूरी शादी की छवि नजर आती है. उस मूर्ति में शंकर और पार्वती नदी पर सवार हैं एक तरफ भगवान शंकर के साथ आए हुए बाराती दिखते हैं तो दूसरी तरफ माता पार्वती के सहयोगी नजर आते हैं. इसलिए इस जगह का महत्व धार्मिक दृष्टि से महाशिवरात्रि के दिन ज्यादा बढ़ जाता है और लोग दूर-दूर से यहां महाशिवरात्रि के दिन पूजन अर्चन करने के लिए आते हैं.

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मंदिर के भीतर जो मूर्ति रखी है वह पुरातात्विक महत्व की है, इसलिए उसे केवल सजाया जाता है. पूजा अर्चन करने के लिए बाहर स्थान बनाया गया है. श्रद्धालुओं के लिए और दर्शनार्थियों के लिए यह मंदिर साल भर खुला रहता है. भेड़ाघाट आने वाले पर्यटकों के लिए यह ऐतिहासिक स्थान जरूर घूमना चाहिए. इसमें हमारे इतिहास के साथ साथ ही साथ उन कलाकारों की कलाकारी भी देखने को मिलती है, जो आज से लगभग 2000 साल पहले पत्थर में जान फूंक रहे थे.

Last Updated : Mar 8, 2024, 5:54 PM IST
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