ETV Bharat / state

लीची बन सकती है किसानों की आय का नया साधन, जबलपुर के सुधीर को लीची ने दिलाया गजब मुनाफा - JABALPUR LITCHI CULTIVATION

मध्य प्रदेश को एक नई कैश क्रॉप मिल गई है. जबलपुर में सफलतापूर्वक लीची की खेती की गई. अब तक मध्य प्रदेश में बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से ट्रांसपोर्ट किया जाता है. लीची का सफल उत्पादन करने वाले किसान सुधीर साहनी ने बताया कि किसानों के लिए लीची की खेती एक नई कैश क्रॉप हो सकती है.

LITCHI CULTIVATION IN JABALPUR
लीची बन सकती है किसानों की आय का नया साधन (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 5, 2024, 8:19 PM IST

Updated : May 8, 2024, 9:25 AM IST

जबलपुर के किसान ने की लीची की खेती (ETV Bharat)

जबलपुर। अब जबलपुर में भी हो लीची की खेती हो सकती है. जबलपुर के अधारताल इलाके में घरों में लगे हुए लीची के पेड़ पर स्वस्थ, सुंदर और स्वादिष्ट फल आ रहे हैं. अधारताल इलाके में रहने वाले सुधीर साहनी ने अपने घर में लीची का पेड़ लगाया था, अब उसमें से फल आ रहे हैं. अभी तक जबलपुर में लीची की आपूर्ति बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे प्रदेशों से होती है.

हिमालय की तराई है लीची की आबोहवा

भारत में लीची की खेती हिमालय की तराई में होती है. इसलिए बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड की आबोहवा लीची की फसल के लिए अच्छी मानी जाती है. झारखंड से लगे हुए छत्तीसगढ़ के जशपुर इलाके में भी लीची के बगीचे बनाए गए हैं. यहां पर लीची का उत्पादन हो रहा है. मध्य प्रदेश में ज्यादातर लीची बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड से ही आती है.

ट्रांसपोर्टिंग के लिए ठंडक जरूरी

लीची के फल में पानी की मात्रा ज्यादा होती है, इसलिए इसे ठंडक में ही ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है. यदि थोड़ा भी टेंपरेचर ज्यादा हो जाता है तो लीची का फल खराब हो जाता है. व्यापारियों ने बताया कि जबलपुर तक पहुंचने से पहले ही आधे फल खराब हो जाते हैं. इसीलिए जबलपुर के आसपास के बाजारों में लीची की कीमत बहुत अधिक होती है. इन दिनों जबलपुर के बाजार में लीची 200 रुपए प्रति किलो बिक रही है.

Litchi cultivation in Jabalpur
जबलपुर में की गई लीची की खेती (ETV Bharat)

जबलपुर में लीची का उत्पादन

लोगों की धारणा है कि जबलपुर में लीची की खेती नहीं की जा सकती, लेकिन इसके बाद भी जबलपुर के अधारताल क्षेत्र में रहने वाले सुधीर साहनी ने कुछ साल पहले अपने छोटे से बगीचे में लीची का एक पौधा लगाया था. हालांकि उन्हें इस बात की उम्मीद नहीं थी कि उसमें फल आएंगे. लेकिन जैसे-जैसे यह बड़ा हुआ तो इसमें फल लगने शुरू हो गए हैं. सुधीर साहनी बताते हैं कि पिछले साल इसमें एक क्विंटल से ज्यादा फल आए थे. इस साल भी फल आए हैं, लेकिन इनकी संख्या पिछले साल की अपेक्षा कुछ कम है.

व्यावसायिक खेती से बढ़ेगा लीची का उत्पादन

सुधीर साहनी मूल रूप से गुलाब लवर हैं और जबलपुर की गुलाब समिति के मेंबर भी हैं. उनके पास कई वैरायटी के गुलाब हैं. इन पर भी वे प्रयोग करते रहते हैं. लेकिन इसी दौरान उन्होंने फलों पर भी प्रयोग किया और घर में लीची का पौधा लगाया. अब सुधीर का कहना है कि ''जिस ढंग से उनके बगीचे में लीची का उत्पादन हुआ है, उससे यह तो स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश की आबोहवा में भी लीची का उत्पादन किया जा सकता है. यदि इसकी खेती व्यावसायिक तरीके से किया जाए तो लीची का उत्पादन बढ़ाया भी जा सकता है.'' सुधीर ने बताया कि ''उन्होंने लीची के उत्पादन में किसी भी तरह के खाद का इस्तेमाल नहीं किया है.''

Also Read:

बाबा महाकाल को इस आम का लगता है भोग, डॉग गार्ड्स करते हैं इसकी रखवाली, कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश - World Most Expensive Mango Miyazaki

Mallika Alphonso Mango: अल्फांसो, दशहरी को टक्कर दे रही आम प्रेमियों की 'मल्लिका', स्वाद कर रहा मालामाल

अल्लू अर्जुन की चर्चित फिल्म पुष्पा के बाद चर्चा में लाल चंदन, अब इंदौर में भी लहलहाएगा - Indore Red Sandalwood Cultivation

किसानों के लिए नई कैश क्रॉप

सुधीर ने बताया कि ''लीची की यह वेराइटी बहुत लाल नहीं होती. लेकिन अब कुछ ऐसी वैरायटी आ गई हैं जो लाल हो जाती हैं. किसानों को यदि आय दोगुनी करनी है तो उन्हें परंपरागत खेती के साथ फलों की खेती भी करनी होगी.'' उन्होंने बताया कि ''किसानों को लीची के उत्पादन के लिए सरकार का सहयोग मिल जाए तो किसानों को एक नई कैश क्रॉप मिल सकती है.''

जबलपुर के किसान ने की लीची की खेती (ETV Bharat)

जबलपुर। अब जबलपुर में भी हो लीची की खेती हो सकती है. जबलपुर के अधारताल इलाके में घरों में लगे हुए लीची के पेड़ पर स्वस्थ, सुंदर और स्वादिष्ट फल आ रहे हैं. अधारताल इलाके में रहने वाले सुधीर साहनी ने अपने घर में लीची का पेड़ लगाया था, अब उसमें से फल आ रहे हैं. अभी तक जबलपुर में लीची की आपूर्ति बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे प्रदेशों से होती है.

हिमालय की तराई है लीची की आबोहवा

भारत में लीची की खेती हिमालय की तराई में होती है. इसलिए बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड की आबोहवा लीची की फसल के लिए अच्छी मानी जाती है. झारखंड से लगे हुए छत्तीसगढ़ के जशपुर इलाके में भी लीची के बगीचे बनाए गए हैं. यहां पर लीची का उत्पादन हो रहा है. मध्य प्रदेश में ज्यादातर लीची बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड से ही आती है.

ट्रांसपोर्टिंग के लिए ठंडक जरूरी

लीची के फल में पानी की मात्रा ज्यादा होती है, इसलिए इसे ठंडक में ही ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है. यदि थोड़ा भी टेंपरेचर ज्यादा हो जाता है तो लीची का फल खराब हो जाता है. व्यापारियों ने बताया कि जबलपुर तक पहुंचने से पहले ही आधे फल खराब हो जाते हैं. इसीलिए जबलपुर के आसपास के बाजारों में लीची की कीमत बहुत अधिक होती है. इन दिनों जबलपुर के बाजार में लीची 200 रुपए प्रति किलो बिक रही है.

Litchi cultivation in Jabalpur
जबलपुर में की गई लीची की खेती (ETV Bharat)

जबलपुर में लीची का उत्पादन

लोगों की धारणा है कि जबलपुर में लीची की खेती नहीं की जा सकती, लेकिन इसके बाद भी जबलपुर के अधारताल क्षेत्र में रहने वाले सुधीर साहनी ने कुछ साल पहले अपने छोटे से बगीचे में लीची का एक पौधा लगाया था. हालांकि उन्हें इस बात की उम्मीद नहीं थी कि उसमें फल आएंगे. लेकिन जैसे-जैसे यह बड़ा हुआ तो इसमें फल लगने शुरू हो गए हैं. सुधीर साहनी बताते हैं कि पिछले साल इसमें एक क्विंटल से ज्यादा फल आए थे. इस साल भी फल आए हैं, लेकिन इनकी संख्या पिछले साल की अपेक्षा कुछ कम है.

व्यावसायिक खेती से बढ़ेगा लीची का उत्पादन

सुधीर साहनी मूल रूप से गुलाब लवर हैं और जबलपुर की गुलाब समिति के मेंबर भी हैं. उनके पास कई वैरायटी के गुलाब हैं. इन पर भी वे प्रयोग करते रहते हैं. लेकिन इसी दौरान उन्होंने फलों पर भी प्रयोग किया और घर में लीची का पौधा लगाया. अब सुधीर का कहना है कि ''जिस ढंग से उनके बगीचे में लीची का उत्पादन हुआ है, उससे यह तो स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश की आबोहवा में भी लीची का उत्पादन किया जा सकता है. यदि इसकी खेती व्यावसायिक तरीके से किया जाए तो लीची का उत्पादन बढ़ाया भी जा सकता है.'' सुधीर ने बताया कि ''उन्होंने लीची के उत्पादन में किसी भी तरह के खाद का इस्तेमाल नहीं किया है.''

Also Read:

बाबा महाकाल को इस आम का लगता है भोग, डॉग गार्ड्स करते हैं इसकी रखवाली, कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश - World Most Expensive Mango Miyazaki

Mallika Alphonso Mango: अल्फांसो, दशहरी को टक्कर दे रही आम प्रेमियों की 'मल्लिका', स्वाद कर रहा मालामाल

अल्लू अर्जुन की चर्चित फिल्म पुष्पा के बाद चर्चा में लाल चंदन, अब इंदौर में भी लहलहाएगा - Indore Red Sandalwood Cultivation

किसानों के लिए नई कैश क्रॉप

सुधीर ने बताया कि ''लीची की यह वेराइटी बहुत लाल नहीं होती. लेकिन अब कुछ ऐसी वैरायटी आ गई हैं जो लाल हो जाती हैं. किसानों को यदि आय दोगुनी करनी है तो उन्हें परंपरागत खेती के साथ फलों की खेती भी करनी होगी.'' उन्होंने बताया कि ''किसानों को लीची के उत्पादन के लिए सरकार का सहयोग मिल जाए तो किसानों को एक नई कैश क्रॉप मिल सकती है.''

Last Updated : May 8, 2024, 9:25 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.