जबलपुर। होली के रंग में बाजार रंग गया है. पिचकारियों और रंग की दुकानों के साथ ही विशेष कपड़ों की दुकानें सजकर तैयार हैं. कभी होली ही एकमात्र ऐसा त्यौहार थी जिसमें लोग फटे पुराने कपड़े पहनकर होली मनाते थे. लेकिन अब होली के दिन के लिए भी विशेष कपड़े तैयार किए जाते हैं और बदलते चलन में इन कपड़ों का उपयोग बढ़ता जा रहा है. जबलपुर में ऐसे ही स्टाइलिश कपड़ों से मार्केट सज गया है. लोग 'हैप्पी होली, बुरा न मानो होली है' लिखी हुई टी-शर्ट और कुर्ती खरीद रहे हैं.
होली में पुराने कपड़े पहने जाते थे
होली एकमात्र त्यौहार ऐसा था जिसमें लोग नए कपड़े नहीं पहना करते थे बल्कि इस त्यौहार को मनाने के लिए रिटायर कपड़ों को रखा जाता था. जिन कपड़ों को खूब पहनने के बाद अलग किया जाता है, उन्हें होली के दिन के लिए सुरक्षित रखा जाता था और लोग उन्हीं पुराने कपड़ों को पहनकर होली मनाते थे. या यूं कहें अभी भी बहुत से लोग इसी परंपरा को निभा रहे हैं.
हैप्पी होली वाली शर्ट
लेकिन सोशल मीडिया के जरिए लोगों ने परंपरागत तरीके से होली मनाने की बजाय होली के लिए विशेष कपड़े पहनने का चालान बना लिया और अब इसका फायदा बाजार ने उठाया. अब बाजार में होली के दिन के लिए खास कपड़े तैयार किए हैं, इनमें सफेद टी-शर्ट तैयार की गई है, जिन पर 'हैप्पी होली', 'बुरा ना मानो होली है' जैसे स्लोगन लिखे हुए हैं. वहीं महिलाओं के लिए भी विशेष कुर्ते तैयार किए गए हैं जिसमें होली के दिन के हिसाब से प्रिंट बनाए गए हैं.
होली पर भीड़ से अलग दिखना चाहते हैं लोग
जबलपुर के गडा बाजार में रमेश सिंह ठाकुर ने होली के दिन के लिए पिचकारी बेचने की बजाय ऐसी ही टी शर्टन की दुकान सजा ली. रमेश सिंह ठाकुर का कहना है कि ''बीते कुछ सालों से इन कपड़ों की मांग बढ़ गई थी, इसलिए उन्होंने होली के ठीक पहले होली से जुड़े हुए कपड़ों की दुकान खोली.'' जबलपुर के संजीवनी नगर में रहने वाली नीतू धुर्वे बाजार में होली के दिन के लिए कपड़े खरीदने पहुंची हैं. उनका कहना है कि ''आजकल बच्चे पुराने कपड़ों में होली नहीं खेलना चाहते इसलिए उनके लिए बहोली के दिन के लिए तैयार की गई शर्ट खरीद कर ले जा रही हैं. उनका खुद का मानना है की होली को भी नए कपड़ों में ही बनना चाहिए वह खुद के लिए भी कुर्ता खरीद रही हैं.''
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2000 तक की पिचकरिया बाजार में मौजूद
वहीं, होली के त्यौहार के मध्य नजर बाजार में छोटी बड़ी कई पिचकरिया भी आई हैं. इनमें ₹50 से लेकर ₹2000 तक की पिचकरिया बाजार में बिक रही हैं. भले ही लोग कहते हैं कि रंगों के मामले में रासायनिक रंगों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए लेकिन इसके बाद भी बाजार में बड़े पैमाने पर होली में रासायनिक रंगों का ही प्रयोग होता है. उनके नुकसान भी होते हैं लेकिन होली का मजा नुकसान उठाकर भी लेना चाहते हैं.