जबलपुर : दरअसल, ये पूरा मामला भोपाल के डीएसपी विजय पुंज पर यूपी में दर्ज हुए एक केस और उनके प्रमोशन रोके जाने से जुड़ा है. उनके एडवोकेट मनोज कुमार चांसोरिया ने बताया कि 1995-96 में भोपाल के आसपास लगातार लग्जरी कारों की चोरी हो रही थी. पुलिस के लिए लग्जरी कारों की चोरी एक समस्या बन गई थी. इसके लिए पुलिस ने चोरों को पकड़ने के लिए एक टीम बनाई, जिसे पुलिस अधिकारी विजय पुंज लीड कर रहे थे. विजय पुंज ने इस चोर गिरोह के बारे में जानकारी निकाली तो पता चला कि चोरों का सरगना मध्य प्रदेश नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के जीयानपुर का रहने वाला है. इस दौरान जांच के लिए यूपी गए एमपी पुलिस के जवानों को बंधक बना लिया गया था.
डीएसपी पुंज पर यूपी में दर्ज हुआ था मामला
विजय पुंज की टीम जीयानपुर पहुंची और आरोपी को पकड़ने की कोशिश की लेकिन कथित तौर पर उस समय उत्तर प्रदेश की तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार के एक प्रभावी नेता ने आरोपी को पकड़ने नहीं दिया. मध्य प्रदेश पुलिस आरोपी के छोटे भाई को पकड़ कर लाने लगी. जब यह घटनाक्रम चल रहा था तो उत्तर प्रदेश पुलिस ने मध्य प्रदेश से गए चारों अधिकारियों को बंधक बना लिया और इन पर आरोप लगाया कि ये टीम जिसे पकड़ने आई है उसकी मृत्यु हो गई है और जबरन यह दूसरे आदमी को पकड़ कर ले जा रहे हैं. जबकि एमपी पुलिस के मुताबिक आरोपी भाग चुका था. इसी मामले में विजय पुंज के खिलाफ उत्तर प्रदेश में एक आपराधिक मुकदमा दर्ज हो गया.
रोक दिया गया विजय पुंज का प्रमोशन
यूपी पुलिस द्वारा बनाए गए केस की वजह से विजयपुंज को प्रमोशन नहीं मिला. जब भी प्रमोशन की बात आती तो उनके उत्तर प्रदेश के इस मुकदमे का हवाला देकर प्रमोशन पर रोक लगा दी जाती. इसके बाद परेशान पुलिस अधिकारी ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
कोर्ट ने कहा प्रमोशन दो, डीजीपी-प्रमुख सचिव को फटकार
इस मामले की सुनवाई अप्रैल के महीने में हुई थी और हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि विजय पुंज को प्रमोशन दिया जाए. हाई कोर्ट में आज इस मामले की सुनवाई हुई और सरकारी वकील मानस मणि वर्मा ने हाई कोर्ट से कहा कि विजय कुंज के खिलाफ जो मामला चल रहा था, उसकी जांच हो गई है. जांच रिपोर्ट एक सील बंद लिफाफे में है और यह लिफाफा विभागीय जांच कर रहे अधिकारियों के सामने खोला जाना है लेकिन इसमें राज्य सरकार की कैबिनेट की मंजूरी चाहिए. सरकारी वकील ने कोर्ट में दलील दी कि इस महीने यह लिफाफा खोल दिया जाएगा. इस पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज भड़क गए. उनका कहना है कि 31 अक्टूबर को फरियादी रिटायर हो जाएगा 4 महीने पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जब लिफाफा खोलकर अधिकारी के प्रमोशन के आदेश दे दिए थे तो अब तक मध्य प्रदेश पुलिस के डीजीपी और विभाग के प्रमुख सचिव क्या कर रहे थे? क्या वे सरकार से एक छोटे से मामले में कोऑर्डिनेशन नहीं बना पाए, तो उन्हें पद पर नहीं रहना चाहिए.
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हाई कोर्ट की तीखी टिप्पणी के बाद सरकारी वकील मानस मणि वर्मा ने अगली तारीख मांगी और अब यह मामला 16 अक्टूबर को फिर से सुना जाएगा.