ETV Bharat / state

घनिष्ठ संबंध में शंका व्यक्त करना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का आदेश - High Court Order Suicide Case

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले को लेकर अहम निर्णय दिया है. मामला घनिष्ठ संबंध और अवैध संबंध की शंका से जुड़ा है. हाईकोर्ट ने एफआईआर निरस्त करने का आदेश जारी किया है.

High Court Order Suicide Case
आत्महत्या के मामले में हाईकोर्ट का आदेश (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 3, 2024, 5:54 PM IST

जबलपुर: दो परिवारों में घनिष्ठा के बावजूद यदि अवैध संबंध की मात्र शंका व्यक्त की जाती है और उस व्यक्ति को धमकी दी जाती है फिर इसके बाद यदि वह आत्महत्या कर लेता है तो ऐसे मामले आत्महत्या के लिए उकसाने की श्रेणी में नहीं आते. ऐसे ही मामले में हाईकोर्ट जस्टिस जी एस अहलूवालिया की एकलपीठ ने संबंधित व्यक्ति के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त किये जाने के आदेश जारी किये हैं.

होमगार्ड जवान ने की थी आत्महत्या

दमोह निवासी पुष्पेंद्र उर्फ कल्लू गौतम ने कोर्ट में धारा 306 के तहत लंबित प्रकरण को निरस्त किये जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट की शरण ली थी. कल्लू गौतम ने याचिका में कहा था कि हटा थाने में दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार होमगार्ड कर्मी मदन डिम्हा ने सल्फास का सेवन कर लिया था. होमगार्ड कर्मी को शराब के नशे में उपचार लिए 4 अक्टूबर 2023 को अस्पताल ले जाया गया था और उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई थी.

अवैध संबंध का लगाया था आरोप

याचिका में बताया गया कि होमगार्ड जवान का कल्लू गौतम के दामाद के घर पर आना-जाना था. होमगार्ड जवान उसके दामाद को चाचा तथा बच्चों को भाई-बहन मानता था. दामाद की बेटी से अवैध संबंध का आरोप लगाते हुए फरियादी ने होम गार्ड कर्मी को फोन पर धमकाया था. अवैध संबंध के बारे में समाज को बताने के अलावा नौकरी से हटवा देने की धमकी थी. इस संबंध में होमगार्ड कर्मी ने अपनी पत्नी को बताया था. इसके बाद होमगार्ड कर्मी ने आत्महत्या कर ली थी और होमगार्ड जवान के परिवार की शिकायत पर कल्लू गौतम पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया था.

ये भी पढ़ें:

गर्भवती नाबालिग की हथेली ने खोला राज तो प्रेमी को मिली सुसाइड केस में जमानत

"किशोर अपराधियों पर दया दिखाना चिंताजनक" दुष्कर्म मामले में MP हाईकोर्ट की टिप्पणी

हाईकोर्ट ने दिए एफआईआर निरस्त करने के निर्देश

हाईकोर्ट जस्टिस जी एस अहलूवालिया की एकलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा है कि "यह मामला आत्महत्या के लिए उकसाने की श्रेणी में नहीं आता है. यह बात सिर्फ काल्पनिक होगी कि दामाद की बेटी ने इस संबंध में बताया होगा. घनिष्ठ संबंध होने के बावजूद भी अवैध संबंध की शंका व्यक्त करना आत्महत्या के लिए उकसाने की श्रेणी में नहीं आती है. एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर और कोर्ट में लंबित प्रकरण को निरस्त करने के आदेश जारी किए हैं.

जबलपुर: दो परिवारों में घनिष्ठा के बावजूद यदि अवैध संबंध की मात्र शंका व्यक्त की जाती है और उस व्यक्ति को धमकी दी जाती है फिर इसके बाद यदि वह आत्महत्या कर लेता है तो ऐसे मामले आत्महत्या के लिए उकसाने की श्रेणी में नहीं आते. ऐसे ही मामले में हाईकोर्ट जस्टिस जी एस अहलूवालिया की एकलपीठ ने संबंधित व्यक्ति के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त किये जाने के आदेश जारी किये हैं.

होमगार्ड जवान ने की थी आत्महत्या

दमोह निवासी पुष्पेंद्र उर्फ कल्लू गौतम ने कोर्ट में धारा 306 के तहत लंबित प्रकरण को निरस्त किये जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट की शरण ली थी. कल्लू गौतम ने याचिका में कहा था कि हटा थाने में दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार होमगार्ड कर्मी मदन डिम्हा ने सल्फास का सेवन कर लिया था. होमगार्ड कर्मी को शराब के नशे में उपचार लिए 4 अक्टूबर 2023 को अस्पताल ले जाया गया था और उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई थी.

अवैध संबंध का लगाया था आरोप

याचिका में बताया गया कि होमगार्ड जवान का कल्लू गौतम के दामाद के घर पर आना-जाना था. होमगार्ड जवान उसके दामाद को चाचा तथा बच्चों को भाई-बहन मानता था. दामाद की बेटी से अवैध संबंध का आरोप लगाते हुए फरियादी ने होम गार्ड कर्मी को फोन पर धमकाया था. अवैध संबंध के बारे में समाज को बताने के अलावा नौकरी से हटवा देने की धमकी थी. इस संबंध में होमगार्ड कर्मी ने अपनी पत्नी को बताया था. इसके बाद होमगार्ड कर्मी ने आत्महत्या कर ली थी और होमगार्ड जवान के परिवार की शिकायत पर कल्लू गौतम पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया था.

ये भी पढ़ें:

गर्भवती नाबालिग की हथेली ने खोला राज तो प्रेमी को मिली सुसाइड केस में जमानत

"किशोर अपराधियों पर दया दिखाना चिंताजनक" दुष्कर्म मामले में MP हाईकोर्ट की टिप्पणी

हाईकोर्ट ने दिए एफआईआर निरस्त करने के निर्देश

हाईकोर्ट जस्टिस जी एस अहलूवालिया की एकलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा है कि "यह मामला आत्महत्या के लिए उकसाने की श्रेणी में नहीं आता है. यह बात सिर्फ काल्पनिक होगी कि दामाद की बेटी ने इस संबंध में बताया होगा. घनिष्ठ संबंध होने के बावजूद भी अवैध संबंध की शंका व्यक्त करना आत्महत्या के लिए उकसाने की श्रेणी में नहीं आती है. एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर और कोर्ट में लंबित प्रकरण को निरस्त करने के आदेश जारी किए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.