जबलपुर। मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई शुक्रवार को हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस विनय सराफ ने की. याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ के कहा कि हाईकोर्ट ने पदों में नियुक्ति के लिए 87:13 का फार्मूला लागू नहीं किया है. कोर्ट ने कहा कि इस फार्मूले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की जाती है तो हाईकोर्ट उसकी सुनवाई करेगा. युगलपीठ ने ओबीसी आरक्षण संबंधित याचिका सर्वोच्च न्यायालय में लंबित होने के कारण अगली सुनवाई 12 मार्च को निर्धारित की है.
ओबीसी आरक्षण पर सुनवाई
प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण किये जाने के खिलाफ और पक्ष में 91 याचिकाएं दायर की गईं थीं. मुख्य याचिका के साथ लिंक की गयी याचिकाओं की सुनवाई युगलपीठ द्वारा संयुक्त रूप से की गयी. याचिका में कहा गया था कि ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने से कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो जायेगा,जो सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक बेंच द्वारा पारित आदेश के खिलाफ होगा.
हाईकोर्ट ने ऐसा आदेश पारित नहीं किया
याचिकाओं की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि तत्कालीन महाधिवक्ता के अभिमत प्राप्त कर सरकार ने 87 प्रतिशत पदों पर भर्ती की है और ओबीसी तथा सामान्य वर्ग के लिए 13ः13 प्रतिशत सुरक्षित रखा गया है,जो नियम विरुद्ध है. युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हाईकोर्ट ने ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया है.
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याचिका दायर होने पर करेगी परीक्षण
युगलपीठ ने कहा कि तत्कालीन महाधिवक्ता के अभिमत का परीक्षण हाईकोर्ट नहीं करेगी. सरकार का कोई आदेश है तो उसे प्रस्तुत करें. सरकार के आदेश की वैधानिकता का परीक्षण याचिका दायर करने पर हाईकोर्ट करेगी. युगलपीठ को बताया गया कि ओबीसी आरक्षण संबंधित याचिका स्थानांतरण की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है,जिस पर 4 मार्च को सुनवाई निर्धारित है. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 12 मार्च को निर्धारित की है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी तथा सरकार की तरफ से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह उपस्थित हुए.