जबलपुर: हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी बैंक अधिकारी को इस आधार पर अग्रिम जमानत दे दी कि वह विवेचना के दौरान जांच अधिकारी को सहयोग करेंगे. जस्टिस देव नारायण मिश्रा की एकलपीठ ने अग्रिम जामानत का आदेश देते हुए कई शर्तें लगाई हैं.
आवेदक के खिलाफ सहकर्मी महिला ने महिला थाना भोपाल में दर्ज कराया है केस
भोपाल निवासी स्वप्निल सरदार की तरफ से अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. अग्रिम जमानत के लिए दायर आवेदन में कहा गया था कि वह भारतीय रिजर्व बैंक में सहायक प्रबंधक के पद पर पदस्थ हैं. सहकर्मी महिला ने उसके खिलाफ महिला थाना भोपाल में उनके खिलाफ मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना का केस दर्ज कराया है.
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आवेदन में कहा गया था कि शिकायतकर्ता महिला कर्मी ने साल 2020 में उनके घर में चोरी की थी. इस मामले में कोर्ट में चालान पेश किए जाने के बाद शिकायतकर्ता महिला को नौकरी से हटा दिया गया है. जिसकी वजह से उसने आवेदक के खिलाफ के क्षुब्ध होकर झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई है.
अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए शिकायतकर्ता पीड़िता की तरफ से कहा गया था कि वह घर में कमाने वाली एकमात्र सदस्य थी. नौकरी व सामाजिक दबाव के कारण पहले आवेदक के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कराया था.
कोर्ट ने कहा, तलाशी व जब्ती के दौरान जांच अधिकारी को करना होगा सहयोग
एकलपीठ ने सुनवाई के बाद आवेदक को अग्रिम जमानत देते हुए अपने आदेश में कहा कि तलाशी व जब्ती के दौरान जांच अधिकारी को सहयोग करेंगे. इसके अलावा आवेदक हैंडराइटिंग व अंगूठे के नमूना, बॉडी फ्लूइड आदि प्रदान करेंगे.