जबलपुर : हर जिले के कलेक्ट्रेट में एक रिकॉर्ड रूम होता है. इस रिकॉर्ड रूम में ढेर सारे बस्ते होते हैं, इन्हें पुलिंदा भी कहा जाता है. इनमें कलेक्ट्रेट में हुए हर मुकदमे का रिकॉर्ड रखा जाता है, लेकिन इस रिकार्ड को सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती होती है. जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने रिकॉर्ड रूम की व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन किया है. यहां कपड़े के बस्तों की जगह अब प्लास्टिक के डिब्बों ने ले ली है. कुछ दिनों में इसका फायदा आम लोगों को भी मिलने लगेगा.
कलेक्ट्रेट के रिकॉर्ड रूम में 69 साल पुराने दस्तावेज
कलेक्ट्रेट से संपत्ति या जमीन खरीद-फरोख्त से जुड़े पुराने कागजात निकलवाना बहुत टेढ़ी खीर होती है. नकल निकालने में कलेक्ट्रेट के कर्मचारी महीनों का समय लगा देते हैं. इसमें गलती सिर्फ कर्मचारियों की नहीं है बल्कि उस व्यवस्था की भी है, जिसमें इन कागजात को रखा जाता है. कलेक्ट्रेट में ज्यादातर जमीन जायदाद से जुड़े मुकदमों के कागजात बस्तों में बांधकर रखे जाते हैं. यह परंपरा अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है. कलेक्ट्रेट के रिकॉर्ड रूम में ऐसे सैकड़ों बस्ते मिल जाएंगे, जिनमें 50 से 60 साल पुराने कागजात रखे हुए हैं. पुरानी कागजातों को सुरक्षित रखने के लिए इनमें फफूंद नाशक और फंगस नाशक पाउडर भी डाला जाता है, जिसकी वजह से कर्मचारियों को भी परेशानी होती है.
जबलपुर कलेक्टर की सराहनीय पहल
जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने इन बस्तों की छुट्टी कर दी है. रिकॉर्ड को और व्यवस्थित किया जा रहा है. सबसे पहले तो हर मुकदमे से जुड़े हुए रिकॉर्ड को छोटी पॉलिथीन में अलग-अलग करके पैक किया जा रहा है. इसके बाद नंबर के अनुसार और समय के अनुसार इन्हें जमाया जा रहा है. इन्हें बस्ते की बजाय प्लास्टिक के एक बड़े डिब्बे में बंद किया जा रहा है. इसके बाद इन्हें बराबर नंबरिंग से रिकॉर्ड रूम में रखा जा रहा है.
दस्तावेजों के डिब्बों को सॉफ्टवेयर से जोड़ा जाएगा
एडिशनल कलेक्टर दीपाली शुक्ला का कहना है "यह काम केवल वस्तुओं से पेटी तक का नहीं है बल्कि इन डिब्बों की नंबरिंग की जा रही है. इसके आधार पर एक सॉफ्टवेयर बनाया जाएगा और सॉफ्टवेयर में हर डिब्बे की जानकारी दर्ज की जाएगी. किसी भी जमीन से संबंधित किसी मुकदमे की नकल चाहिए तो केवल सॉफ्टवेयर में कुछ एंट्रीज करने के बाद हमें यह पता लग जाएगा कि वह डिब्बा कहां रखा हुआ है. अभी तक नकल निकलवाने में जो समय बर्बाद होता था, उतना समय बर्बाद नहीं होगा."
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कलेक्ट्रेट के अधिकारी व कर्मचारी काम में जुटे
जबलपुर कलेक्टरेट में साढ़े 5 हजार बस्ते हैं. इन बस्तों को लगभग 11 हजार डिब्बों में बंद किया जा रहा है. इस काम में राजस्व विभाग के अधिकारी से लेकर कर्मचारी सभी लगे हैं. बड़े अधिकारी निगरानी कर रहे हैं और छोटे कर्मचारी कागजों को पैक करके जमा रहे हैं. जहां एक तरफ सरकारी दफ्तर 5 बजे बंद हो जाते हैं, वहीं, जबलपुर कलेक्ट्रेट में रात 8 बजे तक राजस्व विभाग के कर्मचारी रिकॉर्ड को दुरुस्त करते हुए नजर आ रहे हैं. यह काम लगातार कई दिनों तक चलेगा.