जबलपुर: जबलपर में सरकारी एंबुलेंस सेवा 108 के दो ड्राइवर और एक मेडिकल टेक्नीशियन को कलेक्टर ने सस्पेंड कर दिया है. एक दुर्घटना में घायलों को सरकारी अस्पताल ले जाने की जगह एंबुलेंस चालक निजी अस्पताल लेकर पहुंच गया. जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं कि आखिर एंबुलेंस के ड्राइवर को निजी अस्पताल वाले ऐसी क्या सेवा देते हैं जिसके चलते सरकारी सुविधा का फायदा यह निजी अस्पतालों को पहुंचा रहे हैं.
एक्सीडेंट में मारे गए थे 7 लोग
जबलपुर की सिहोरा माजगवा में हाईवा एक ऑटो के ऊपर पलट गया था. इस दुर्घटना में सात लोगों की मौत हो गई थी और 10 लोग घायल हुए थे. यह घटना जबलपुर और कटनी के ठीक बीच में हुई थी. जैसे ही दुर्घटना हुई पुलिस ने मौके पर एंबुलेंस बुलवाई और घायलों को नजदीकी सरकारी अस्पताल ले जाने के लिए कहा. पहले घायल सिहोरा के सरकारी अस्पताल पहुंचे लेकिन इनमें दो घायल ऐसे थे जिन्हें सिहोरा में इलाज नहीं दिया जा सकता था, इसलिए इन्हें जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया.
मरीज को निजी अस्पताल लेकर पहुंची सरकारी एंबुलेंस
इन मरीजों को सरकार की 108 एंबुलेंस के माध्यम से जबलपुर रवाना किया गया, लेकिन एंबुलेंस इन्हें मेडिकल कॉलेज ले जाने की जगह एक निजी अस्पताल मोहनलाल हरगोविंद दास लेकर पहुंच गई. जब यह बात जबलपुर कलेक्टर को पता लगी की गरीब मजदूरों को जब मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया गया था तो उन्हें निजी अस्पताल क्यों ले जाया गया. जिला कलेक्टर ने इस मामले में मेडिकल टेक्नीशियन शिवानी चौधरी और 108 के दो ड्राइवर राजेंद्र पटेल और श्रवण पाठक को बर्खास्त कर दिया. वहीं 108 के ऑपरेशन मैनेजर नितिन कुमार और जोनल मैनेजर अंकुश नायडू को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
मरीजों की हालत ठीक
जिन मरीजों को 108 एम्बुलेंस जबलपुर लेकर आई थी वह कटनी की थी. जबलपुर संभाग के स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक डॉक्टर संजय मिश्रा का कहना है कि, ''अब इस मामले की जांच चल रही है कि 108 एम्बुलेंस मरीज को लेकर निजी अस्पताल क्यों गई.'' हालांकि मरीजों की स्थिति ठीक है और उन्हें दोबारा सिहोरा अस्पताल ट्रांसफर कर दिया है.
कलेक्टर ने मांगा एक माह का रिकॉर्ड
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने इस मामले में स्वास्थ्य अधिकारियों और 108 एंबुलेंस चलने वाली कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक की और बीते एक माह में इन एम्बुलेंसों ने कितने मरीजों को कौन से अस्पताल पहुंचाया है, इसकी जानकारी मांगी है. दीपक सक्सेना का कहना है कि, ''इससे स्पष्ट हो जाएगा की कौन सा अस्पताल यह घोटाला करवा रहा है.'' जबलपुर के समाजसेवी अखिलेश त्रिपाठी का कहना है कि, ''जबलपुर में हर मरीज को निजी अस्पताल तक पहुंचाने पर एम्बुलेंस के स्टाफ को 5000 से ₹10000 दिया जाता है. इसलिए सरकारी अस्पतालों के बाहर भी खड़ी एंबुलेंस वाले लोगों को निजी अस्पतालों तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं.''