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गौशालाएं कैसे फलती-फूलती हैं, जबलपुर सेंट्रल जेल से लेना चाहिए सबक

जबलपुर सेंट्रल जेल की गौशाला ने कैदियों का जीवन बदल दिया है. सोच तो बदली ही है, शुद्ध दूध भी मिल रहा है.

Jabalpur Central Jail
जबलपुर सेंट्रल जेल की गौशाला ने कैदियों की सोच बदली (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

जबलपुर। उमा भारती जब मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी तो उन्होंने सड़कों पर घूमने वाली गायों के संरक्षण के लिए अनोखी पहल की. उमा भारती ने जेल विभाग को आदेश दिया था कि जेल में गौशालाएं खोलें. इसके पीछे उनका तर्क था कि जेल में बंद कैदी गायों की सेवा करेंगे. इससे कैदियों को भी काम मिल जाएगा. गायें भी सुरक्षित हो जाएंगी. इसके अलावा जेल के अंदर कैदियों का गायों का शुद्ध दूध और घी मिलने लगेगा.

जेल में बंद बीमार कैदियों को दिया जाता है गायों का दूध

उमा भारती के आदेश को मानते हुए मध्य प्रदेश की सेंट्रल जेलों में गौशालाएं खोली गईं. इन्हीं में से एक गौशाला जबलपुर के सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल में खोली गई, जो आज भी संचालित हो रही है. इस गौशाला में अभी भी डेढ़ सौ से ज्यादा जानवर हैं और ये सभी देसी किस्म की गायें हैं. सेंट्रल जेल के उप अधीक्षक मदन कमलेश बताते हैं "इन गायों से लगभग 80 लीटर दूध का उत्पादन रोज होता है. इसका इस्तेमाल जेल के भीतर बंद बीमार कैदियों के लिए किया जाता है." जबलपुर सेंट्रल जेल के अधीक्षक अखिलेश तोमर का कहना है "जेल के भीतर का जीवन बहुत कठिन है लेकिन कुछ कैदी जिनका व्यवहार अच्छा रहता है, उन्हें गौशाला में सेवा के लिए लगाया जाता है."

जबलपुर सेंट्रल जेल की गौशाला बहुत कुछ सिखाती है (ETV BHARAT)
Jabalpur Central Jail
जबलपुर सेंट्रल जेल की गौशाला में कैदी कर रहे गौसेवा (ETV BHARAT)

गौसेवा ने बदल दिया सोचने का तरीका

जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर का कहना है "गायों की सेवा करने से इन कैदियों के व्यवहार में भी परिवर्तन होता है." इसी जेल में बंद आबिद नाम के कैदी ने बताया "उसकी ड्यूटी भी गौशाला में लगाई जाती है और गायों की सेवा करने से उसे बड़ा आनंद आता है. जेल के उबाऊ जीवन से यहां शांति है और जानवरों से लगाव हो जाता है. इसलिए वह पूरे मन से ड्यूटी करते हैं."

Jabalpur Central Jail
जबलपुर सेंट्रल जेल की गौशाला (ETV BHARAT)

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जैविक खाद से जेल में सब्जियों का उत्पादन बढ़ा

जेलर मदन कमलेश बताते हैं "150 जानवरों का गोबर भी बहुत अधिक होता है. इसलिए इस गोबर से बड़े पैमाने पर खाद बनाई जाती है, जिसका इस्तेमाल जेल के बगीचे और खेतों में किया जाता है. इससे जैविक खाद बनाई जाती है. जेल में लगभग 3000 कैदियों का खाना बनता है. इसमें बहुत सी सब्जी जेल के इन्हीं खेतों में उगाई जाती है और अच्छी बात यह है कि यह पूरी सब्जी जैविक तरीके से पैदा हो रही है."

जबलपुर। उमा भारती जब मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी तो उन्होंने सड़कों पर घूमने वाली गायों के संरक्षण के लिए अनोखी पहल की. उमा भारती ने जेल विभाग को आदेश दिया था कि जेल में गौशालाएं खोलें. इसके पीछे उनका तर्क था कि जेल में बंद कैदी गायों की सेवा करेंगे. इससे कैदियों को भी काम मिल जाएगा. गायें भी सुरक्षित हो जाएंगी. इसके अलावा जेल के अंदर कैदियों का गायों का शुद्ध दूध और घी मिलने लगेगा.

जेल में बंद बीमार कैदियों को दिया जाता है गायों का दूध

उमा भारती के आदेश को मानते हुए मध्य प्रदेश की सेंट्रल जेलों में गौशालाएं खोली गईं. इन्हीं में से एक गौशाला जबलपुर के सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल में खोली गई, जो आज भी संचालित हो रही है. इस गौशाला में अभी भी डेढ़ सौ से ज्यादा जानवर हैं और ये सभी देसी किस्म की गायें हैं. सेंट्रल जेल के उप अधीक्षक मदन कमलेश बताते हैं "इन गायों से लगभग 80 लीटर दूध का उत्पादन रोज होता है. इसका इस्तेमाल जेल के भीतर बंद बीमार कैदियों के लिए किया जाता है." जबलपुर सेंट्रल जेल के अधीक्षक अखिलेश तोमर का कहना है "जेल के भीतर का जीवन बहुत कठिन है लेकिन कुछ कैदी जिनका व्यवहार अच्छा रहता है, उन्हें गौशाला में सेवा के लिए लगाया जाता है."

जबलपुर सेंट्रल जेल की गौशाला बहुत कुछ सिखाती है (ETV BHARAT)
Jabalpur Central Jail
जबलपुर सेंट्रल जेल की गौशाला में कैदी कर रहे गौसेवा (ETV BHARAT)

गौसेवा ने बदल दिया सोचने का तरीका

जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर का कहना है "गायों की सेवा करने से इन कैदियों के व्यवहार में भी परिवर्तन होता है." इसी जेल में बंद आबिद नाम के कैदी ने बताया "उसकी ड्यूटी भी गौशाला में लगाई जाती है और गायों की सेवा करने से उसे बड़ा आनंद आता है. जेल के उबाऊ जीवन से यहां शांति है और जानवरों से लगाव हो जाता है. इसलिए वह पूरे मन से ड्यूटी करते हैं."

Jabalpur Central Jail
जबलपुर सेंट्रल जेल की गौशाला (ETV BHARAT)

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जेलर मदन कमलेश बताते हैं "150 जानवरों का गोबर भी बहुत अधिक होता है. इसलिए इस गोबर से बड़े पैमाने पर खाद बनाई जाती है, जिसका इस्तेमाल जेल के बगीचे और खेतों में किया जाता है. इससे जैविक खाद बनाई जाती है. जेल में लगभग 3000 कैदियों का खाना बनता है. इसमें बहुत सी सब्जी जेल के इन्हीं खेतों में उगाई जाती है और अच्छी बात यह है कि यह पूरी सब्जी जैविक तरीके से पैदा हो रही है."

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