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संगमरमर के कलाकारों को नहीं मिल रहे सही कदरदान, भेड़ाघाट के कलाकार ने बयां किया दर्द

Bhedaghat marble sculptor tells his pain : पहले के दौर में कलाकारों को मूर्ति बनाने में महीना भर लग जाता था लेकिन उस जमाने में इन मूर्तियों के अच्छे दाम मिला करते थे लेकिन अब हालात बदल गए हैं.

Bhedaghat marble sculptor tells his pain
संगमरमर के कलाकारों को नहीं मिल रहे सही कदरदान
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 12, 2024, 1:01 PM IST

संगमरमर के कलाकारों को नहीं मिल रहे सही कदरदान

जबलपुर. भेड़ाघाट (Bhedaghat) के संगमरमर के पत्थर पर अपनी कला से जान भर देने वाले एक कलाकार विष्णु शर्मा ने बताया कि वह संगमरमर की मूर्तियां बेचकर ही अपना जीवन यापन करते हैं. लेकिन उन्होंने अपने जीवन की जो सबसे खूबसूरत मूर्ति बनाई थी, उस मूर्ति को आज तक कोई खरीदार नहीं मिला है. विष्णु शर्मा का कहना है कि यदि लोग खरीदना शुरू कर दें तो आज 64 योगिनी मंदिर जैसी मूर्तियां भी बनाई जा सकती हैं. लेकिन कलाकारों को सही कदरदान नहीं मिल रहे हैं.

Bhedaghat marble sculptor tells his pain
विष्णु शर्मा द्वारा 1997 में बनाई गई अद्भुत कलाकृति

50 साल पहले शुरू हुआ था कला का सफर

जबलपुर स्थित अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल भेड़ाघाट पहुंचने वाले पर्यटकों ने सड़क किनारे बैठे संगमरमर की मूर्तियां बेचते कलाकारों को जरूर देखा होगा. भेड़ाघाट में आज से लगभग 50 साल पहले मदन सिन्हा नाम के एक कलाकार भेड़ाघाट आए थे और उन्होंने यहां के लोगों को संगमरमर पर मूर्तियां बनाने की कला सिखाई थी. उन्हीं पहले कलाकारों में विष्णु शर्मा नाम के कलाकार भी शामिल थे, जिन्होंने भेड़ाघाट में संगमरमर के पत्थर से मूर्तियां बनाना शुरू किया था.

संगमरमर मूर्तियों के नहीं मिल रहे दाम

जब इस कला की भेड़ाघाट में शुरुआत हुई थी तब यहां बेहद खूबसूरत मूर्तियां बनती थीं. एक-एक मूर्ति को बनाने में कलाकारों को महीना भर लग जाता था लेकिन उस जमाने में इन मूर्तियों के अच्छे दाम मिला करते थे लेकिन अब हालात बदल गए हैं और अब एक से एक मूर्तियों को भी अच्छे दाम नहीं मिलते.

Bhedaghat marble sculptor tells his pain
विष्णु शर्मा द्वारा बनाई गई इस कलाकृति में गणपति नृत्य मुद्रा में हैं

27 साल पहले बनाई थी ये अद्भुत कलाकृति

विष्णु शर्मा का कहना है कि वे बीते 40 सालों से मूर्तियां बनाते आ रहे हैं. उन्होंने अपनी बनाई लाखों मूर्तियां बेची हैं लेकिन उन्होंने अपने जीवन की जो सबसे खूबसूरत मूर्ति बनाई थी उसे खरीदने वाला अब तक कोई नहीं मिला. विष्णु शर्मा ने एक नृत्य गणेश की मूर्ति बनाई है यह लगभग 1 फीट की एक कलाकृति है, जो सॉफ्ट स्टोन पर बनी है. विष्णु कहते हैं कि उन्होंने यह मूर्ति लगभग 45 दिनों तक लगातार बड़ी बारीकी से काम करके बनाई थी और इसे 1997 में तैयार कर लिया था. इस मूर्ति को बनाने के लिए वे उनके घर के ठीक सामने पहाड़ी पर बनी 64 योगिनी मंदिर के भीतर काम किया करते थे. विष्णु शर्मा का कहना है कि उनकी इस छोटी सी मूर्ति में 64 योगिनी मंदिर के भीतर की मूर्तियों की झलक मिल जाएगी. इस छोटी सी मूर्ति में उन्होंने अपनी पूरी जान फूंक दी थी. उन्हें उम्मीद थी कि उनकी यह मूर्ति कोई अच्छा खरीदार खरीद लेगा.

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1 लाख रु में मूर्ति बेचने की जिद

कलाकार ने आगे बताया कि उन्होंने इस मूर्ति का दाम 1 लाख रु तय किया है. उन्होंने इस मूर्ति को लेकर मध्य प्रदेश सरकार के मृगनयनी विभाग से भी चर्चा की. पता लगा कि मृगनयनी मोटा कमीशन लेता है, लहजा उनकी बात नहीं बन पाई उसके बाद उनकी मूर्ति को खरीदने के लिए कई लोग आए लेकिन किसी ने भी विष्णु शर्मा के तय किए हुए दम पर उसे नहीं खरीदा. अब इस कलाकार की जिद है कि इस मूर्ति को तब तक नहीं बेचा जाएगा जब तक उसे उसके मन माफिक दाम ना मिल जाए.

संगमरमर के कलाकारों को नहीं मिल रहे सही कदरदान

जबलपुर. भेड़ाघाट (Bhedaghat) के संगमरमर के पत्थर पर अपनी कला से जान भर देने वाले एक कलाकार विष्णु शर्मा ने बताया कि वह संगमरमर की मूर्तियां बेचकर ही अपना जीवन यापन करते हैं. लेकिन उन्होंने अपने जीवन की जो सबसे खूबसूरत मूर्ति बनाई थी, उस मूर्ति को आज तक कोई खरीदार नहीं मिला है. विष्णु शर्मा का कहना है कि यदि लोग खरीदना शुरू कर दें तो आज 64 योगिनी मंदिर जैसी मूर्तियां भी बनाई जा सकती हैं. लेकिन कलाकारों को सही कदरदान नहीं मिल रहे हैं.

Bhedaghat marble sculptor tells his pain
विष्णु शर्मा द्वारा 1997 में बनाई गई अद्भुत कलाकृति

50 साल पहले शुरू हुआ था कला का सफर

जबलपुर स्थित अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल भेड़ाघाट पहुंचने वाले पर्यटकों ने सड़क किनारे बैठे संगमरमर की मूर्तियां बेचते कलाकारों को जरूर देखा होगा. भेड़ाघाट में आज से लगभग 50 साल पहले मदन सिन्हा नाम के एक कलाकार भेड़ाघाट आए थे और उन्होंने यहां के लोगों को संगमरमर पर मूर्तियां बनाने की कला सिखाई थी. उन्हीं पहले कलाकारों में विष्णु शर्मा नाम के कलाकार भी शामिल थे, जिन्होंने भेड़ाघाट में संगमरमर के पत्थर से मूर्तियां बनाना शुरू किया था.

संगमरमर मूर्तियों के नहीं मिल रहे दाम

जब इस कला की भेड़ाघाट में शुरुआत हुई थी तब यहां बेहद खूबसूरत मूर्तियां बनती थीं. एक-एक मूर्ति को बनाने में कलाकारों को महीना भर लग जाता था लेकिन उस जमाने में इन मूर्तियों के अच्छे दाम मिला करते थे लेकिन अब हालात बदल गए हैं और अब एक से एक मूर्तियों को भी अच्छे दाम नहीं मिलते.

Bhedaghat marble sculptor tells his pain
विष्णु शर्मा द्वारा बनाई गई इस कलाकृति में गणपति नृत्य मुद्रा में हैं

27 साल पहले बनाई थी ये अद्भुत कलाकृति

विष्णु शर्मा का कहना है कि वे बीते 40 सालों से मूर्तियां बनाते आ रहे हैं. उन्होंने अपनी बनाई लाखों मूर्तियां बेची हैं लेकिन उन्होंने अपने जीवन की जो सबसे खूबसूरत मूर्ति बनाई थी उसे खरीदने वाला अब तक कोई नहीं मिला. विष्णु शर्मा ने एक नृत्य गणेश की मूर्ति बनाई है यह लगभग 1 फीट की एक कलाकृति है, जो सॉफ्ट स्टोन पर बनी है. विष्णु कहते हैं कि उन्होंने यह मूर्ति लगभग 45 दिनों तक लगातार बड़ी बारीकी से काम करके बनाई थी और इसे 1997 में तैयार कर लिया था. इस मूर्ति को बनाने के लिए वे उनके घर के ठीक सामने पहाड़ी पर बनी 64 योगिनी मंदिर के भीतर काम किया करते थे. विष्णु शर्मा का कहना है कि उनकी इस छोटी सी मूर्ति में 64 योगिनी मंदिर के भीतर की मूर्तियों की झलक मिल जाएगी. इस छोटी सी मूर्ति में उन्होंने अपनी पूरी जान फूंक दी थी. उन्हें उम्मीद थी कि उनकी यह मूर्ति कोई अच्छा खरीदार खरीद लेगा.

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1 लाख रु में मूर्ति बेचने की जिद

कलाकार ने आगे बताया कि उन्होंने इस मूर्ति का दाम 1 लाख रु तय किया है. उन्होंने इस मूर्ति को लेकर मध्य प्रदेश सरकार के मृगनयनी विभाग से भी चर्चा की. पता लगा कि मृगनयनी मोटा कमीशन लेता है, लहजा उनकी बात नहीं बन पाई उसके बाद उनकी मूर्ति को खरीदने के लिए कई लोग आए लेकिन किसी ने भी विष्णु शर्मा के तय किए हुए दम पर उसे नहीं खरीदा. अब इस कलाकार की जिद है कि इस मूर्ति को तब तक नहीं बेचा जाएगा जब तक उसे उसके मन माफिक दाम ना मिल जाए.

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