जबलपुर. भेड़ाघाट (Bhedaghat) के संगमरमर के पत्थर पर अपनी कला से जान भर देने वाले एक कलाकार विष्णु शर्मा ने बताया कि वह संगमरमर की मूर्तियां बेचकर ही अपना जीवन यापन करते हैं. लेकिन उन्होंने अपने जीवन की जो सबसे खूबसूरत मूर्ति बनाई थी, उस मूर्ति को आज तक कोई खरीदार नहीं मिला है. विष्णु शर्मा का कहना है कि यदि लोग खरीदना शुरू कर दें तो आज 64 योगिनी मंदिर जैसी मूर्तियां भी बनाई जा सकती हैं. लेकिन कलाकारों को सही कदरदान नहीं मिल रहे हैं.
50 साल पहले शुरू हुआ था कला का सफर
जबलपुर स्थित अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल भेड़ाघाट पहुंचने वाले पर्यटकों ने सड़क किनारे बैठे संगमरमर की मूर्तियां बेचते कलाकारों को जरूर देखा होगा. भेड़ाघाट में आज से लगभग 50 साल पहले मदन सिन्हा नाम के एक कलाकार भेड़ाघाट आए थे और उन्होंने यहां के लोगों को संगमरमर पर मूर्तियां बनाने की कला सिखाई थी. उन्हीं पहले कलाकारों में विष्णु शर्मा नाम के कलाकार भी शामिल थे, जिन्होंने भेड़ाघाट में संगमरमर के पत्थर से मूर्तियां बनाना शुरू किया था.
संगमरमर मूर्तियों के नहीं मिल रहे दाम
जब इस कला की भेड़ाघाट में शुरुआत हुई थी तब यहां बेहद खूबसूरत मूर्तियां बनती थीं. एक-एक मूर्ति को बनाने में कलाकारों को महीना भर लग जाता था लेकिन उस जमाने में इन मूर्तियों के अच्छे दाम मिला करते थे लेकिन अब हालात बदल गए हैं और अब एक से एक मूर्तियों को भी अच्छे दाम नहीं मिलते.
27 साल पहले बनाई थी ये अद्भुत कलाकृति
विष्णु शर्मा का कहना है कि वे बीते 40 सालों से मूर्तियां बनाते आ रहे हैं. उन्होंने अपनी बनाई लाखों मूर्तियां बेची हैं लेकिन उन्होंने अपने जीवन की जो सबसे खूबसूरत मूर्ति बनाई थी उसे खरीदने वाला अब तक कोई नहीं मिला. विष्णु शर्मा ने एक नृत्य गणेश की मूर्ति बनाई है यह लगभग 1 फीट की एक कलाकृति है, जो सॉफ्ट स्टोन पर बनी है. विष्णु कहते हैं कि उन्होंने यह मूर्ति लगभग 45 दिनों तक लगातार बड़ी बारीकी से काम करके बनाई थी और इसे 1997 में तैयार कर लिया था. इस मूर्ति को बनाने के लिए वे उनके घर के ठीक सामने पहाड़ी पर बनी 64 योगिनी मंदिर के भीतर काम किया करते थे. विष्णु शर्मा का कहना है कि उनकी इस छोटी सी मूर्ति में 64 योगिनी मंदिर के भीतर की मूर्तियों की झलक मिल जाएगी. इस छोटी सी मूर्ति में उन्होंने अपनी पूरी जान फूंक दी थी. उन्हें उम्मीद थी कि उनकी यह मूर्ति कोई अच्छा खरीदार खरीद लेगा.
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1 लाख रु में मूर्ति बेचने की जिद
कलाकार ने आगे बताया कि उन्होंने इस मूर्ति का दाम 1 लाख रु तय किया है. उन्होंने इस मूर्ति को लेकर मध्य प्रदेश सरकार के मृगनयनी विभाग से भी चर्चा की. पता लगा कि मृगनयनी मोटा कमीशन लेता है, लहजा उनकी बात नहीं बन पाई उसके बाद उनकी मूर्ति को खरीदने के लिए कई लोग आए लेकिन किसी ने भी विष्णु शर्मा के तय किए हुए दम पर उसे नहीं खरीदा. अब इस कलाकार की जिद है कि इस मूर्ति को तब तक नहीं बेचा जाएगा जब तक उसे उसके मन माफिक दाम ना मिल जाए.