जबलपुर। देश और प्रदेश में भीषण गर्मी से लोगों की हालत खराब है. एमपी के जबलपुर में तेज गर्मी की वजह से आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं. शुक्रवार को जबलपुर में मेडिकल कॉलेज में खड़ी एक एंबुलेंस में अचानक आग लग गई. यह तो गनीमत थी कि उस समय एंबुलेंस में कोई मरीज मौजूद नहीं था. अधिकारियों का कहना है कि 'संभवत शार्ट सर्किट से आग लगी होगी, लेकिन इस घटना ने मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाओं पर भी सवाल खड़ा किया है कि महाकौशल के इस सबसे बड़े अस्पताल में आग की दुर्घटना से बचने के लिए कोई ठीक-ठाक इंतजाम नहीं है.
मेडिकल कॉलेज में खड़ी एंबुलेंस जलकर खाक
जबलपुर में गर्मी अपने चरम पर है. तापमान लगभग 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. जबलपुर में बीते कुछ सालों से इतनी अधिक गर्मी नहीं देखी गई. आम आदमी तो परेशान है ही, वहीं आग लगने की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं. मेडिकल कॉलेज परिसर में एक 108 एंबुलेंस खड़ी हुई थी. अचानक इसमें से धुआं निकलने लगा और देखते ही देखते इसमें आग लग गई. जब आग बढ़ने लगी, तब दमकल विभाग को सूचना दी गई. दमकल विभाग थोड़ी ही देर में मेडिकल परिसर में पहुंचा, लेकिन तब तक गाड़ी पूरी तरह जल चुकी थी. यह तो गनीमत थी की एंबुलेंस के भीतर रखे हुए ऑक्सीजन सिलेंडर मौके पर निकाल लिए गए. अगर यह आग की पकड़ में आ जाते तो बहुत बड़ा विस्फोट हो सकता था. इस एंबुलेंस में ऑक्सीजन के कई सिलेंडर रखे हुए थे.
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महाकौशल के सबसे बड़े अस्पताल में नहीं माकुल व्यवस्थाएं
इस घटना ने मेडिकल कॉलेज की आग से निपटने की तैयारी की पोल खोल दी है. जबलपुर का मेडिकल कॉलेज महाकौशल इलाके की सबसे बड़ी अस्पताल है. इसमें एक साथ हजारों मरीजों का इलाज होता है, लेकिन मेडिकल कॉलेज में दुर्घटना के समय आग बुझाने की कोई व्यवस्था नहीं थी. अगर नगर निगम की टीम नहीं आती तो, यह दुर्घटना बड़ी हो सकती थी. हालांकि जिस समय एंबुलेंस में आग लगी, उस समय एंबुलेंस में कोई मरीज नहीं था, लेकिन आग बुझाने की तैयारी भी ठीक-ठाक नहीं थी. गौरतलब है कि जबलपुर में 2 साल पहले एक निजी अस्पताल में आग लग गई थी और उसके बाद सारे निजी अस्पतालों को फायर एनओसी और आग बुझाने के प्रबंध करने के आदेश दिए गए थे, लेकिन मेडिकल कॉलेज की इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि दूसरों के अस्पतालों में व्यवस्था करवाने वाले व्यवस्थापक अपनी ही अस्पताल में व्यवस्था नहीं करवा पाए.