नई दिल्ली: सीएम अरविंद केजरीवाल को गुरुवार को ईडी ने प्रीवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट 2002(PMLA) के तहत गिरफ्तार किया था, जिसके बाद शुक्रवार को उन्हें दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया जहां कोर्ट ने अरविंद केजरीवालो को 28 मार्च तक ED रिमांड पर भेज दिया. कानून के जानकार बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल को जिस एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है वो काफी कठोर कानून है और उसमे जमानत मिलना बहुत मुश्किल होता है. आइये जानते हैं क्या है PMLA एक्ट
क्या है PMLA एक्ट
संसद द्वारा यह एक्ट 2002 में पारित किया गया था. इसे 1 जुलाई 2005 को लागू किया गया था. इसके तहत ईडी के पास कई बड़े अधिकार हैं. इस एक्ट के तहत ईडी के पास यह अधिकार है कि वह बिना किसी वारंट के आरोपित के घर, प्रतिष्ठान, परिसर व अन्य संबंधित जगहों की तलाशी ले सकती है, जब्त कर सकती है और कुर्क कर सकती है और गिरफ्तार भी कर सकती है. पीएमएलए के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आते हैं. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डॉक्टर एपी सिंह ने बताया कि पीएमएलए की धारा 45 के तहत दर्ज मामले में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है. एपी सिंह ने बताया कि इस कानून में इतनी सख्त प्रावधान करने का मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना था. वर्ष 2012 में इस कानून में संशोधन कर बैंकों, म्युचुअल फंड्स और बीमा कंपनियों को भी इसके दायरे में लाया गया. इस कानून के तहत गिरफ्तार होने वाले आरोपित को खुद ही अपनी बेगुनाही साबित करनी पड़ती है. लेकिन, जेल में रहकर आरोपित के लिए बेगुनाही साबित करना बहुत मुश्किल होता है.
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2018 में केंद्र सरकार ने जोड़ा एक और प्रावधान
एपी सिंह ने यह भी बताया कि मौजूदा केंद्र सरकार ने वर्ष 2018 में इस कानून में एक संशोधन करके यह प्रावधान भी जोड़ दिए कि जमानत याचिका के खिलाफ लोक अभियोजक को सुनने के लिए कोर्ट के पास इस बात का मजबूत आधार होना चाहिए कि आरोपित मामले का दोषी नहीं है. साथ ही जमानत पर रहने के दौरान आरोपित द्वारा कोई अपराध करने की आशंका नहीं है.
एपी सिंह ने यह भी कहा कि इन सब शर्तों को देखते हुए केजरीवाल को जमानत मिलना आसान नहीं होगा. इसका एक कारण यह भी है कि केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं और वह एक ताकतवर पद पर बैठे हैं. ऐसे में वह अपने खिलाफ जांच को प्रभावित भी कर सकते हैं. इसलिए केजरीवाल को जेल के अंदर कितने समय रहना पड़ेगा यह कहना मुश्किल है. वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट और अन्य जिला अदालतों में प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ता अंकित मेहता ने बताया कि पीएमएलए एक्ट को हमारे देश में मुख्य रूप से मनी लॉन्ड्रिंग को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया था, जिससे कि इस अपराध को करने वाले अपराधी उचित सजा पा सकें.
एडवोकेट मेहता ने बताया कि पीएमएलए एक्ट के तहत मामला साबित होने पर तीन साल से सात साल और अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है. उल्लेखनीय है कि ईडी ने केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार किया था. इस घोटाले में ईडी की ओर से की गई ये 16वीं गिरफ्तारी है.
इससे पहले आम आदमी पार्टी के दो बड़े नेता पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी गिरफ्तार किये गये हैं. सिसोदिया एक साल से और संजय सिंह 6 महीने से तिहाड़ जेल में हैं. वहीं सत्येंद्र जैन भी जेल में है.
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