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अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस: आहड़ संग्रहालय में 4 हजार साल पहले की सभ्यता के अवशेष, जानिए खासियत - International Museum Day

International Museum Day 2024 उदयपुर के आहड़ संग्रहालय में चार हजार साल पहले की सभ्यता के अवशेष मौजूद हैं. इस संग्रहालय में प्राचीन मटके, सिल बट्टा, अलग-अलग भगवानों की मूर्तियां. भगवान श्री कृष्ण के अलग-अलग अवतार की मूर्तियां रखी गई हैं.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 18, 2024, 6:33 AM IST

आहड़ संग्रहालय उदयपुर (ETV Bharat Udaipur)

उदयपुर. हर साल 18 मई को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जाता है. मेवाड़ में भी ऐतिहासिक प्राचीन धरोहरों को संजोकर रखा गया है. ऐसी ही प्राचीन धरोहरें उदयपुर के आहड़ संग्रहालय में मौजूद हैं. यहां पर चार हजार वर्ष पूर्व की सभ्यता के पुरावशेष रखे गए हैं. इसे देखने के लिए देश-दुनिया से लोग पहुंचते हैं. इसे आहड़ सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है. इस संग्रहालय में प्राचीन संग्रह पात्र, मूर्तियों में कच्छप अवतार, जैन तीर्थंकर, पाषाण मत्स्यावतार, चक्र कूप, आधारयुक्त तश्तरी आकर्षित करती है.

4 हजार वर्ष पूर्व की सभ्यता : संग्रहालय से जुड़े महेंद्र सिंह ने बताया कि 1960 में राजस्थान सरकार के पुरातत्त्व एवं संग्रहालय विभाग द्वारा इस संग्रहालय का निर्माण किया गया था. आहड़ का वैभवशाली इतिहास लगभग 4 हजार वर्ष पुराना है. इस उत्खनन कार्य का नेतृत्त्व स्वर्गीय डॉ. एच. डी. संकालिया द्वारा किया गया था. यह पहली बार था, जब यहां से प्राप्त सफेद रंग से चित्रित काले एवं लाल रंग के पात्रों को उनकी विशेष बनावट व तकनीक के आधार पर इस संस्कृति को "आहड़ संस्कृति" नाम दिया गया. इस संग्रहालय में विभिन्न प्रकार की 7वीं सदी से 16वीं सदी तक की मूर्तियों का संग्रहण भी है. ये मूर्तियां आहड़ एवं दक्षिण पूर्वी राजस्थान से प्राप्त हिन्दू और जैन देवी-देवताओं की हैं. इनमें कुछ मूर्तियां तो बहुत आकर्षक हैं. संग्रहालय में इस क्षेत्र के लघु चित्र भी प्रदर्शित किये गए हैं, जो तत्कालीन लोगों की कला के बारे में बताते हैं. इसके अलावा संग्रहालय में अस्त्र-शस्त्र भी रखे गए हैं.

इसे भी पढ़ें-जयपुर में बनेगा धातु से बनी मूर्तियों का म्यूजियम, देश-विदेश की कला को मिलेंगे आयाम

संग्रहालय में विशेष : इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि यहां 4 हजार वर्ष पुरानी सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए थे. उन्होंने बताया कि 1960 के दौरान इस संग्रहालय का निर्माण कराया गया था. यहां प्राचीन सामग्रियों को रखा गया है. उन्होंने बताया कि हजारों वर्ष पुराने पत्थर औजार और अन्य सामग्री भी यहां देखने को मिलती है. उन्होंने कहा कि संग्रहालय से मानव सभ्यता और मानव के विकास की कहानी को भली-भांति समझा जा सकता है.

संग्रहालय में हैं यह सामग्रियां : चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि आहड़ सभ्यता ताम्र पाषाण कालीन संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है. इसमें मुख्य रूप से ताम्र से निर्मित पुरावस्तुओं का उपयोग देखने को मिलता है. ये नाम आहड़ नदी के किनारे मिला था. इसके अतिरिक्त आहड़ सभ्यता में टेराकोटा (Terracotta) कलाकृति देखने को भी मिलती है. Terra का अर्थ है मिट्टी और cotta का मतलब पकी हुई, अर्थात पकी मिट्टी से बनी पुरावस्तुएं, जिनमें स्टोन बाल, झावे आदि शामिल हैं. इसके अलावा इसमें प्राचीन मटके, सिल बट्टा, अलग-अलग भगवानों की मूर्तियां. भगवान श्री कृष्ण के अलग-अलग अवतार की मूर्तियां रखी गई हैं. बता दें कि संग्रहालय दिवस के अवसर पर यहां आने वाले पर्यटकों के लिए प्रवेश नि:शुल्क रखा गया है.

आहड़ संग्रहालय उदयपुर (ETV Bharat Udaipur)

उदयपुर. हर साल 18 मई को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जाता है. मेवाड़ में भी ऐतिहासिक प्राचीन धरोहरों को संजोकर रखा गया है. ऐसी ही प्राचीन धरोहरें उदयपुर के आहड़ संग्रहालय में मौजूद हैं. यहां पर चार हजार वर्ष पूर्व की सभ्यता के पुरावशेष रखे गए हैं. इसे देखने के लिए देश-दुनिया से लोग पहुंचते हैं. इसे आहड़ सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है. इस संग्रहालय में प्राचीन संग्रह पात्र, मूर्तियों में कच्छप अवतार, जैन तीर्थंकर, पाषाण मत्स्यावतार, चक्र कूप, आधारयुक्त तश्तरी आकर्षित करती है.

4 हजार वर्ष पूर्व की सभ्यता : संग्रहालय से जुड़े महेंद्र सिंह ने बताया कि 1960 में राजस्थान सरकार के पुरातत्त्व एवं संग्रहालय विभाग द्वारा इस संग्रहालय का निर्माण किया गया था. आहड़ का वैभवशाली इतिहास लगभग 4 हजार वर्ष पुराना है. इस उत्खनन कार्य का नेतृत्त्व स्वर्गीय डॉ. एच. डी. संकालिया द्वारा किया गया था. यह पहली बार था, जब यहां से प्राप्त सफेद रंग से चित्रित काले एवं लाल रंग के पात्रों को उनकी विशेष बनावट व तकनीक के आधार पर इस संस्कृति को "आहड़ संस्कृति" नाम दिया गया. इस संग्रहालय में विभिन्न प्रकार की 7वीं सदी से 16वीं सदी तक की मूर्तियों का संग्रहण भी है. ये मूर्तियां आहड़ एवं दक्षिण पूर्वी राजस्थान से प्राप्त हिन्दू और जैन देवी-देवताओं की हैं. इनमें कुछ मूर्तियां तो बहुत आकर्षक हैं. संग्रहालय में इस क्षेत्र के लघु चित्र भी प्रदर्शित किये गए हैं, जो तत्कालीन लोगों की कला के बारे में बताते हैं. इसके अलावा संग्रहालय में अस्त्र-शस्त्र भी रखे गए हैं.

इसे भी पढ़ें-जयपुर में बनेगा धातु से बनी मूर्तियों का म्यूजियम, देश-विदेश की कला को मिलेंगे आयाम

संग्रहालय में विशेष : इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि यहां 4 हजार वर्ष पुरानी सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए थे. उन्होंने बताया कि 1960 के दौरान इस संग्रहालय का निर्माण कराया गया था. यहां प्राचीन सामग्रियों को रखा गया है. उन्होंने बताया कि हजारों वर्ष पुराने पत्थर औजार और अन्य सामग्री भी यहां देखने को मिलती है. उन्होंने कहा कि संग्रहालय से मानव सभ्यता और मानव के विकास की कहानी को भली-भांति समझा जा सकता है.

संग्रहालय में हैं यह सामग्रियां : चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि आहड़ सभ्यता ताम्र पाषाण कालीन संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है. इसमें मुख्य रूप से ताम्र से निर्मित पुरावस्तुओं का उपयोग देखने को मिलता है. ये नाम आहड़ नदी के किनारे मिला था. इसके अतिरिक्त आहड़ सभ्यता में टेराकोटा (Terracotta) कलाकृति देखने को भी मिलती है. Terra का अर्थ है मिट्टी और cotta का मतलब पकी हुई, अर्थात पकी मिट्टी से बनी पुरावस्तुएं, जिनमें स्टोन बाल, झावे आदि शामिल हैं. इसके अलावा इसमें प्राचीन मटके, सिल बट्टा, अलग-अलग भगवानों की मूर्तियां. भगवान श्री कृष्ण के अलग-अलग अवतार की मूर्तियां रखी गई हैं. बता दें कि संग्रहालय दिवस के अवसर पर यहां आने वाले पर्यटकों के लिए प्रवेश नि:शुल्क रखा गया है.

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