इंदौर। शादी के बाद महिलाएं सिंदूर से मांग भरती हैं. हिंदू संस्कृति में इसे सुहाग की निशानी बताया गया है. सिंदूर लगाने को लेकर धार्मिक महत्व भी है. ये भी कहा जाता है कि पति की लंबी उम्र की कामना के लिए महिलाएं सिंदूर लगाती हैं. लेकिन नई युवा पीढ़ी इन पुराने रीति रिवाजों को मानने में यकीन नहीं रखती. इंदौर फैमिली कोर्ट में सिंदूर को लेकर एक ऐसा ही मामला सामने आया. कोर्ट ने महिला के सिंदूर नहीं लगाने और पति से 5 साल से अलग रहने के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. पति के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि सिंदूर लगाना सुहाग की निशानी है और ऐसा नहीं करना पति के साथ क्रूरता की श्रेणी में आता है. वहीं पत्नी के तमाम आरोपों को खारिज करते हुए पति के पास लौटने का आदेश दिया है.
पति ने पत्नी को वापस बुलाने लगाई थी याचिका
इंदौर के फैमिली कोर्ट में पति ने अपनी पत्नी को वापस मायके से अपने घर बुलाने को लेकर एक याचिका लगाई थी. याचिका में बताया गया था कि पत्नी बगैर किसी कारण के पिछले 5 साल से अलग रह रही थी. इसी मामले को लेकर कोर्ट में लंबे समय से सुनवाई चल रही थी.
सिंदूर को लेकर कलह
सुनवाई के दौरान जब जज ने पत्नी से घर छोड़ने और पति से अलग रहने का कारण पूछा तो वह कोई पुख्ता कारण कोर्ट के सामने नहीं बता पाई. उसने बताया कि उसने मांग में सिंदूर लगाना बंद कर दिया था. इस दौरान पत्नी ने अपने पति पर कई आरोप लगाते हुए कहा कि पति नशा करता है और दहेज के लिए भी परेशान करता है. इधर पीड़ित पति ने कहा कि उसने पत्नी को नहीं छोड़ा और ना ही किसी प्रकार से परेशान किया वह अपनी मर्जी से मायके में रह रही है. पति ने कोर्ट को बताया कि मेरी पत्नी ने मांग में सिंदूर लगाना बंद कर दिया था. इसी को लेकर अक्सर विवाद होता था.
कोर्ट ने 11 पन्नों में सुनाया फैसला
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैमिली कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सिंदूर को लेकर टिप्पणी की. जज ने कहा कि सिंदूर लगाना सुहाग की निशानी है और नहीं लगाना पति के साथ एक प्रकार से मानसिक क्रूरता है. कोर्ट ने पत्नी की तमाम तरह की दलीलों को खारिज करते हुए पत्नी को एक बार फिर पति के पास लौटने के आदेश दिए हैं, कोर्ट ने यह भी आदेश में लिखा कि पति ने पत्नी का त्याग नहीं किया साथ ही दोनों के बीच तलाक भी नहीं हुआ है. कोर्ट ने ये भी देखा कि जब वह वहां पहुंची तो मांग में सिंदूर नहीं था. इस मामले को लेकर कोर्ट ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के एक आदेश का भी हवाला दिया. कोर्ट ने 11 पन्नों में अपना फैसला सुनाया और पत्नी को पति के साथ रहने का आदेश दिया.