देहरादून: उत्तराखंड में पिरूल के उपयोग को बढ़ाने के लिए पिछले लंबे समय से प्रयास किए जा रहे हैं. इसके तहत पिरुल से बायोगैस उत्पादन, जैविक खाद और ग्रीन हाइड्रोजन के रूप में उपयोगिता के प्रयास हुए हैं. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इसी संबंध में इंडियन ऑयल और विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बात करते हुए इस पर कार्य को आगे बढ़ाने के लिए कहा है.
उत्तराखंड में अब पिरूल से कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है. इस दिशा में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इंडियन ऑयल के अधिकारियों और विभिन्न विभागों के सचिवों के साथ बैठक करते हुए जरूरी दिशा निर्देश जारी किए हैं. उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं के लिए चीड़ की पत्तियां (पीरूल) भी जिम्मेदार माना जाता है. ऐसे में जंगलों से पीरूल को एकत्रित करते हुए एक तरफ वनाग्नि की घटनाओं को कम करने की कोशिश की जा रही है. दूसरी तरफ इसके जरिए स्थानीय लोगों को रोजगार देने और राजस्व एकत्रित करने का भी प्लान तैयार किया जा रहा है.
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इंडियन ऑयल के साथ बैठक करते हुए कई महत्वपूर्ण निर्देश भी जारी किए हैं. मुख्य सचिव ने ऊर्जा, वन विभाग, ग्रामीण विकास विभाग और पंचायती राज जैसे विभागों के साथ इंडियन ऑयल के अधिकारियों की एक कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं. यह कमेटी प्रदेश में पीरूल को कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन में प्रयोग करने, जैविक खाद और ग्रीन हाइड्रोजन के रूप में उपयोगिता का अध्ययन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. इसके अलावा इंडियन ऑयल को इस संबंध में एक आंतरिक कमेटी गठित कर डिटेल फीजिबिलिटी रिपोर्ट शासन को जल्द से जल्द देने के लिए भी कहा गया है. इसके अलावा गढ़वाल और कुमाऊं में संभावित एक-एक स्थान करने के भी निर्देश जारी किए गए हैं.
उत्तराखंड में पिरूल की हर साल करीब 1.3 से 2.4 एमएमटी सकल उपलब्धता है. राज्य में करीब चार लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चीड़ के जंगल फैले हुए हैं. इस तरह प्रति हेक्टेयर दो से तीन टन पिरुल उपलब्ध है. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस प्रोजेक्ट पर इंडियन ऑयल समेत राज्य के विभिन्न विभागों को भी सक्रियता के साथ काम करने के लिए कहा है. राज्य सरकार इस प्रोजेक्ट के जरिए स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार को खड़ा करने की कोशिश कर रही है. इसके लिए स्थानीय लोगों को जंगलों से पिरूल एकत्रित कर आमदनी करने का मौका दिया गया है. इस प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद राज्य को भी राजस्व प्राप्त हो सकेगा.