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आजादी के लिए बलिदान देने वाला एक क्रांति वीर ऐसा भी था, जिसे पानीपत की एक दुकान में जिंदा जलाया - Independence Day Special 2024

Independence Day Special 2024: आज देश 78 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. आज के दिन उन सभी वीर शहीदों को नमन किया जाता है, जिन्होंने भारतवर्ष को अंग्रेजों से आजाद कराया था. आजादी के कई किस्से सुनाए और पढ़ाए जाते हैं. लेकिन इन सबके बीच कुछ अनसुने किस्से भी है. जो शायद ही आज की युवा पीढ़ी हो याद हो या पता हो. आज ऐसे ही एक शख्स की बात करेंगे जिन्होने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से आवाज उठाई थी. स्वतंत्रता दिवस पर आज हम पानीपत के ऐसे वीर शहीदों की बात करेंगे जो भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर काम कर चुके थे.

Independence Day Special
Independence Day Special (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Aug 15, 2024, 11:40 AM IST

पानीपत: देश को आजाद कराने के लिए बहुत से देशभक्तों ने कुर्बानियां दी. देश के लिए जान न्योछावर करने वाले सभी वीर शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को को हम स्वतंत्रता दिवस पर याद करते हैं. कुछ स्वतंत्रता सेनानियों के नाम तो हमारी जुबां पर इस कदर रटे हुए हैं कि शहीद पूछने पर तुरंत उन लोगों का नाम आता है. लेकिन कुछ ऐसे फ्रीडम फाइटर भी हैं, जिन्होने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से आवाज उठाई थी. स्वतंत्रता दिवस पर आज हम पानीपत के ऐसे वीर शहीदों की बात करेंगे जो भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर काम कर चुके थे.

आजादी के कुछ दिलचस्प किस्से: पानीपत के रहने वाले हंसराज उर्फ क्रांति कुमार जिन्हें 15 मार्च 1966 में पानीपत के रामलाल चौक पर एक दुकान में जिंदा जला दिया था. अंग्रेजी शासन काल में महात्मा गांधी के कहने पर 1920 में कांग्रेस में शामिल हुए. 1922 में वह पहली बार धारा 124 के तहत जेल में गए. 1926 में क्रांति कुमार भगत सिंह के संपर्क में आए और आजादी के लिए आवाज उठाने लगे. क्रांति कुमार ने अपने जीवन के लगभग साडे 13 साल अंग्रेजी शासनकाल में जेल के अंदर बिताए.

एक क्रांतिकारी वीर ऐसा भी: क्रांति कुमार का नाम पहले हंसराज हुआ करता था. हंस राज नाम का एक अंग्रेजों का मुखबिर था तो भगत सिंह ने हंसराज का नाम बदलकर क्रांति कुमार रख दिया. जब भगत सिंह को जेल से कोई भी लेख या कागज बाहर भेजना होता था या कोई भी फाइल जेल में मंगवानी होती थी, तो वह सबसे ज्यादा भरोसा क्रांति कुमार पर किया करते थे. क्रांति कुमार शहीद चंद्रशेखर आजाद द्वारा स्थापित नौजवान भारत सभा के महासचिव रहे. विभाजन के बाद वह पानीपत आकर पत्रकारिता करते रहे. 1966 में पंजाब विभाजन के दौरान भड़की हिंसा में क्रांति कुमार को पानीपत की एक दुकान में जिंदा जला दिया था.

देश के लिए बलिदान रहेगा याद: देश के लिए बलिदान देने वाले क्रांति कुमार आज सरकारी तंत्र बिल्कुल भूल चुका है. इतना ही नहीं क्रांति कुमार के दोनों बेटे में से एक लगभग 2017 में पानीपत में रहा करते थे. एक बेटा विकलांग हो चुका था. वहीं, दूसरा बेटा होटलों पर झूठे बर्तन धोता देखा गया था. मीडिया में काफी चर्चाओं के बाद कांति कुमार का बेटा विनय भी गायब हो गया.

ये भी पढ़ें: आजादी के नायकों की वीरगाथा, इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में लिखे हैं जिनके नाम - Independence Day 2024

ये भी पढ़ें:देश को आजाद कराने में हरियाणा के सेनानियों का रहा अहम योगदान, कुरुक्षेत्र का ये संग्रहालय युवाओं में भरता है देशभक्ति का जोश - Independence Day Special 2024

पानीपत: देश को आजाद कराने के लिए बहुत से देशभक्तों ने कुर्बानियां दी. देश के लिए जान न्योछावर करने वाले सभी वीर शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को को हम स्वतंत्रता दिवस पर याद करते हैं. कुछ स्वतंत्रता सेनानियों के नाम तो हमारी जुबां पर इस कदर रटे हुए हैं कि शहीद पूछने पर तुरंत उन लोगों का नाम आता है. लेकिन कुछ ऐसे फ्रीडम फाइटर भी हैं, जिन्होने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से आवाज उठाई थी. स्वतंत्रता दिवस पर आज हम पानीपत के ऐसे वीर शहीदों की बात करेंगे जो भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर काम कर चुके थे.

आजादी के कुछ दिलचस्प किस्से: पानीपत के रहने वाले हंसराज उर्फ क्रांति कुमार जिन्हें 15 मार्च 1966 में पानीपत के रामलाल चौक पर एक दुकान में जिंदा जला दिया था. अंग्रेजी शासन काल में महात्मा गांधी के कहने पर 1920 में कांग्रेस में शामिल हुए. 1922 में वह पहली बार धारा 124 के तहत जेल में गए. 1926 में क्रांति कुमार भगत सिंह के संपर्क में आए और आजादी के लिए आवाज उठाने लगे. क्रांति कुमार ने अपने जीवन के लगभग साडे 13 साल अंग्रेजी शासनकाल में जेल के अंदर बिताए.

एक क्रांतिकारी वीर ऐसा भी: क्रांति कुमार का नाम पहले हंसराज हुआ करता था. हंस राज नाम का एक अंग्रेजों का मुखबिर था तो भगत सिंह ने हंसराज का नाम बदलकर क्रांति कुमार रख दिया. जब भगत सिंह को जेल से कोई भी लेख या कागज बाहर भेजना होता था या कोई भी फाइल जेल में मंगवानी होती थी, तो वह सबसे ज्यादा भरोसा क्रांति कुमार पर किया करते थे. क्रांति कुमार शहीद चंद्रशेखर आजाद द्वारा स्थापित नौजवान भारत सभा के महासचिव रहे. विभाजन के बाद वह पानीपत आकर पत्रकारिता करते रहे. 1966 में पंजाब विभाजन के दौरान भड़की हिंसा में क्रांति कुमार को पानीपत की एक दुकान में जिंदा जला दिया था.

देश के लिए बलिदान रहेगा याद: देश के लिए बलिदान देने वाले क्रांति कुमार आज सरकारी तंत्र बिल्कुल भूल चुका है. इतना ही नहीं क्रांति कुमार के दोनों बेटे में से एक लगभग 2017 में पानीपत में रहा करते थे. एक बेटा विकलांग हो चुका था. वहीं, दूसरा बेटा होटलों पर झूठे बर्तन धोता देखा गया था. मीडिया में काफी चर्चाओं के बाद कांति कुमार का बेटा विनय भी गायब हो गया.

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