लखनऊ : एक दंपत्ति को शादी के 32 साल बाद भी बच्चा नहीं हुआ. निराश दंपत्ति ने 50 साल की उम्र में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) कराने का फैसला लिया. इसका खर्च उनकी हैसियत से अधिक था. इस पर उन्होंने अपनी जमीन तक बेच डाली. एक निजी सेंटर पर दो बार आईवीएफ कराया, लेकिन दोनों ही बार यह फेल हो गया. दंपत्ति का आरोप है कि निजी सेंटर ने जरूरी जांचे कराए बिना ही वसूली के लिए यह प्रक्रिया कराई. चार लाख से अधिक की वसूली कर सेंटर ने अपना पल्ला झाड़ लिया. पीड़ित दंपत्ति की शिकायत का संज्ञान लेकर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सीएमओ को जांच के निर्देश दिए हैं. सीएमओ ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है.
वसूले चार लाख : उन्नाव स्थित पटकापुर निवासी पुत्तन ने बताया कि उनकी पत्नी गुड़िया (50) को शादी के 32 साल बाद भी बच्चे न होने पर वह हजरतगंज स्थित एक निजी आईवीएफ सेंटर में इलाज के लिए पहुंच थे. जहां पहली बार आईवीएफ कराने पर प्रोसीजर फेल हो गया. डॉक्टर ने दोबारा से प्रोसीजर कराने की बात कही. दूसरी बार भी यह फेल हो गया. आरोप है सेंटर ने दो बार आईवीएफ प्रोसिजर के लिए चार लाख रुपये से अधिक की वसूली कर ली.
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पीड़ित का आरोप है, कि निजी सेंटर में सभी जांचें ठीक से नहीं कराई गईं थीं. इसके अलावा प्रोसीजर में भी लापरवाही की गई है. पीड़ित ने उपमुख्यमंत्री को शिकायत कर वसूल किए गए रुपये वापस दिलाने और आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई कराने की मांग की है.
क्या है आईवीएफ : ये प्राकृतिक रूप से गर्भधारण में विफल दंपतियों के लिए गर्भधारण का माध्यम है. आईवीएफ प्रोसीजर में महिला के शरीर में होने वाली निषेचन की प्रक्रिया (महिला के अंडे व पुरुष के शुक्राणु का मिलन) को बाहर लैब में किया जाता है. लैब में बने भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है.
निजी नर्सिंग होम के डॉ. एपी सिंह ने कहा, कि मामले कि जांच की जा रही है. दोनों पक्षों को रिपोर्ट लेकर आने के लिए कहा गया है. रिपोर्ट देखने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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