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मानसून सीजन को देखते हुए हाड़ौती के सभी जिलों में एसडीआरएफ तैनात, रिजर्व फोर्स भी तैयार - SDRF DEPLOYED IN HADOTI

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 2, 2024, 9:30 PM IST

Updated : Jul 2, 2024, 9:43 PM IST

मानसून सीजन को देखते हुए हाड़ौती के सभी जिलों में एसडीआरएफ की तैनाती की गई है. आम लोगों को भी पानी जनित हादसों में लोगों की जान बचाने का डेमो दिया गया है.

SDRF DEPLOYED IN HADOTI
हाड़ौती के सभी जिलों में एसडीआरएफ तैनात (ETV Bharat Kota)

एसडीआरएफ की बी कंपनी से बारां व झालावाड़ में तैनात (ETV Bharat Kota)

कोटा. स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (SDRF) को मानसून सीजन को देखते हुए तैनात हाड़ौती के जिलों में कर दिया गया है. कोटा की एसडीआरएफ की बी कंपनी से बारां व झालावाड़ में भेजी गई है. जबकि कोटा जिले में भी दो टीमों की तैनाती शहर व ग्रामीण में की गई है. इसके अलावा रिजर्व फोर्स भी रखा गया है. वहीं बूंदी में अजमेर से टीम आई है. आगामी मानसून सीजन में आपात स्थिति से निपटने में यह टीम में काम करेगी.

कोटा संभाग में जल जनित हादसों में करीब दो दर्जन लोगों की मौत हर साल हो जाती है. एसडीआरएफ की कंपनी कमांडेंट एकता हाडा ने बारां व झालावाड़ में जाकर टीम की तैयारी का निरीक्षण भी किया है. एसडीआरएफ के प्लाटून कमांडर श्यामलाल का कहना है कि प्रत्येक टीम में 11-11 जवान हैं. एसडीआरएफ के जवानों को साल भर की प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके अलावा कोलकाता, पुणे और वड़ोदरा में नेशनल वाइड रेस्क्यू की ट्रेनिंग भी दिलाई जाती है. यहां पर बड़े ट्रेनिंग संस्थान भी बने हुए हैं. फ्लड रेस्क्यू में काम आने वाले सभी उपकरण हमारे पास हैं.

पढ़ें: भारी बारिश के बीच टापू में फंसे लोग, जानिए क्या है हकीकत ? - mock drill in jaipur

हाड़ौती में ज्यादा होते है जल जनित हादसे: श्यामलाल का कहना है कि हाड़ौती के जिलों में नदियों में घटनाएं ज्यादा होती हैं. ऐसे में बाढ़ के चलते होने वाली जनहानि को रोकने के लिए पारंगत किया है. जिसमें कुछ जवानों को स्कूबा डाइविंग, पानी में स्थिर और 500 मीटर की दूरी तय करना भी सिखाया है. लंबी दूरी की तैराकी इन्हें सिखाई गई है. इसके साथ ही डूबने से बचाने का अभ्यास, टापू पर फंसे हुए लोगों को किस तरह से निकालना शामिल है. जिसमें बोट और बिना नाव के लाइफ सपोर्ट जैकेट के जरिए लोगों को सुरक्षित बचाने व स्कूबा डाइविंग भी सिखाई है, जिससे काफी गहरे पानी में डूबने वाले को बचाया जा सके.

पढ़ें: मानसून की कोटा और जोधपुर में धमाकेदार एंट्री, पहली बारिश में शहर हुए तरबतर - Rain in rajasthan

महिला जवान भी शामिल: करण सिंह का कहना है कि रेस्क्यू टीम में महिला जवान भी शामिल हैं. इन्हें तैरकर लाइफ जैकेट के जरिए पानी से लोगों को बाहर लाना है. अलग-अलग तरीके से लोगों को पानी में डूबने से बचाने का अभ्यास भी कराकर भेजा है. जवानों को बोट का ऑपरेशन में भी पारंगत किया है, ताकि आपात स्थिति में यह बोट को चला सके और लोगों को पानी से बाहर निकाला जा सके. मानसून सीजन में रेस्क्यू के दौरान अचानक उपयोग आने वाले सभी उपकरणों की मेंटेनेंस और ट्रायल भी दिलाया गया है.

पढ़ें: बाइक को बचाने के चक्कर में बहा युवक, सामने आई हैरान करने वाली तस्वीर - Rain In Pali

ताकली डैम पर आम लोगों को दी थी ट्रेनिंग: जिले में ताकली नदी पर नया डैम बना है. इसमें बारिश कम होने से पानी कम है, लेकिन हमारी टीम ने वहां पर डेमो दिया है. जिसमें ज्यादा पानी और बाढ़ में फंसे लोगों को निकाले के बारे में बताया गया. किसी का सेल्फी लेते समय पैर फिसल गया और पानी में गिर गया, तो उसको बाहर से कैसे ही निकाला जाए. यह आम आदमियों को सिखाया है. सीपीआर का प्रशिक्षण जवानों और आम लोगों को भी दिया गया है.

एसडीआरएफ की बी कंपनी से बारां व झालावाड़ में तैनात (ETV Bharat Kota)

कोटा. स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (SDRF) को मानसून सीजन को देखते हुए तैनात हाड़ौती के जिलों में कर दिया गया है. कोटा की एसडीआरएफ की बी कंपनी से बारां व झालावाड़ में भेजी गई है. जबकि कोटा जिले में भी दो टीमों की तैनाती शहर व ग्रामीण में की गई है. इसके अलावा रिजर्व फोर्स भी रखा गया है. वहीं बूंदी में अजमेर से टीम आई है. आगामी मानसून सीजन में आपात स्थिति से निपटने में यह टीम में काम करेगी.

कोटा संभाग में जल जनित हादसों में करीब दो दर्जन लोगों की मौत हर साल हो जाती है. एसडीआरएफ की कंपनी कमांडेंट एकता हाडा ने बारां व झालावाड़ में जाकर टीम की तैयारी का निरीक्षण भी किया है. एसडीआरएफ के प्लाटून कमांडर श्यामलाल का कहना है कि प्रत्येक टीम में 11-11 जवान हैं. एसडीआरएफ के जवानों को साल भर की प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके अलावा कोलकाता, पुणे और वड़ोदरा में नेशनल वाइड रेस्क्यू की ट्रेनिंग भी दिलाई जाती है. यहां पर बड़े ट्रेनिंग संस्थान भी बने हुए हैं. फ्लड रेस्क्यू में काम आने वाले सभी उपकरण हमारे पास हैं.

पढ़ें: भारी बारिश के बीच टापू में फंसे लोग, जानिए क्या है हकीकत ? - mock drill in jaipur

हाड़ौती में ज्यादा होते है जल जनित हादसे: श्यामलाल का कहना है कि हाड़ौती के जिलों में नदियों में घटनाएं ज्यादा होती हैं. ऐसे में बाढ़ के चलते होने वाली जनहानि को रोकने के लिए पारंगत किया है. जिसमें कुछ जवानों को स्कूबा डाइविंग, पानी में स्थिर और 500 मीटर की दूरी तय करना भी सिखाया है. लंबी दूरी की तैराकी इन्हें सिखाई गई है. इसके साथ ही डूबने से बचाने का अभ्यास, टापू पर फंसे हुए लोगों को किस तरह से निकालना शामिल है. जिसमें बोट और बिना नाव के लाइफ सपोर्ट जैकेट के जरिए लोगों को सुरक्षित बचाने व स्कूबा डाइविंग भी सिखाई है, जिससे काफी गहरे पानी में डूबने वाले को बचाया जा सके.

पढ़ें: मानसून की कोटा और जोधपुर में धमाकेदार एंट्री, पहली बारिश में शहर हुए तरबतर - Rain in rajasthan

महिला जवान भी शामिल: करण सिंह का कहना है कि रेस्क्यू टीम में महिला जवान भी शामिल हैं. इन्हें तैरकर लाइफ जैकेट के जरिए पानी से लोगों को बाहर लाना है. अलग-अलग तरीके से लोगों को पानी में डूबने से बचाने का अभ्यास भी कराकर भेजा है. जवानों को बोट का ऑपरेशन में भी पारंगत किया है, ताकि आपात स्थिति में यह बोट को चला सके और लोगों को पानी से बाहर निकाला जा सके. मानसून सीजन में रेस्क्यू के दौरान अचानक उपयोग आने वाले सभी उपकरणों की मेंटेनेंस और ट्रायल भी दिलाया गया है.

पढ़ें: बाइक को बचाने के चक्कर में बहा युवक, सामने आई हैरान करने वाली तस्वीर - Rain In Pali

ताकली डैम पर आम लोगों को दी थी ट्रेनिंग: जिले में ताकली नदी पर नया डैम बना है. इसमें बारिश कम होने से पानी कम है, लेकिन हमारी टीम ने वहां पर डेमो दिया है. जिसमें ज्यादा पानी और बाढ़ में फंसे लोगों को निकाले के बारे में बताया गया. किसी का सेल्फी लेते समय पैर फिसल गया और पानी में गिर गया, तो उसको बाहर से कैसे ही निकाला जाए. यह आम आदमियों को सिखाया है. सीपीआर का प्रशिक्षण जवानों और आम लोगों को भी दिया गया है.

Last Updated : Jul 2, 2024, 9:43 PM IST
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