ETV Bharat / state

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में उम्रदराज चालक कर रहे ई रिक्शा संचालन, पर्यटकों की सुरक्षा दांव पर - KEOLADEO NATIONAL PARK BHARATPUR

भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में उम्रदराज चालक ई रिक्शा संचालन कर रहे हैं. इससे पर्यटकों की सुरक्षा दांव पर है.

Keoladeo National Park Bharatpur
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (ETV Bharat Bharatpur)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 4, 2025, 7:25 PM IST

भरतपुर: विश्व धरोहर सूची में शामिल केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान अपनी जैव विविधता और पक्षियों की अद्वितीय प्रजातियों के लिए मशहूर है, लेकिन अब यह प्रशासनिक लापरवाही का शिकार हो रहा है. हाल ही में हुए एक दर्दनाक हादसे ने न केवल एक व्यक्ति की जान ले ली, बल्कि पर्यटकों की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. खासकर, ई-रिक्शा संचालन में उम्र की सीमा तय न होने से यह समस्या और भी विकराल हो गई है. 31 दिसंबर को उद्यान में एक ई-रिक्शा पलटने से 74 वर्षीय चालक साजन सिंह की मौत हो गई, जबकि तीन पर्यटक गंभीर रूप से घायल हो गए. इस घटना ने प्रशासन की अनदेखी और प्रबंधन की खामियों को उजागर कर दिया है.

प्रशासन की खामोशी, हादसे का इंतजार? हादसे के बाद उद्यान निदेशक मानस सिंह ने चालकों की उम्र सीमा तय करने के लिए मुख्यालय को प्रस्ताव भेजने की बात कही है. हालांकि कई होटल कारोबारियों और रिक्शा चालकों ने सवाल उठाए हैं कि इस दिशा में कदम पहले क्यों नहीं उठाए गए? क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा था?. रिक्शा चालकों ने सवाल उठाते हुए कहा कि हादसे के बाद उम्र सीमा तय करने का प्रस्ताव भेजने की बात कही जा रही है, लेकिन प्रशासन के अब तक के रवैये को देखते हुए यह सिर्फ औपचारिकता लगती है.

पढ़ें: घना में ई-रिक्शा पलटा, चालक की मौत, दो पर्यटक घायल, ट्रक को बचाने के दौरान हुआ हादसा

होटल व्यवसाई देवेंद्र सिंह का कहना है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जैसे प्रतिष्ठित स्थल पर ऐसी घटनाएं प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती हैं. यह जरूरी है कि न केवल ई-रिक्शा चालकों की उम्र सीमा तय हो, बल्कि उनके स्वास्थ्य परीक्षण और ड्राइविंग कौशल का भी नियमित रूप से आकलन हो. वहीं ई रिक्शाचालक प्रीतम का कहना है कि उम्र का निर्धारण होना चाहिए.अगर प्रशासन समय रहते ठोस कदम नहीं उठाता, तो केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का नाम पर्यटन और संरक्षण की उपलब्धियों के बजाय प्रशासनिक विफलताओं के लिए जाना जाएगा. पर्यटकों और चालकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है, जिसे अब गंभीरता से लेने की आवश्यकता है.

बिना उम्र सीमा के संचालन,जान से खिलवाड़: बता दें कि उद्यान में ई-रिक्शा चालकों की उम्र का कोई निर्धारण नहीं है. घना में करीब 125 ई रिक्शा संचालित हैं, जिनमें से कई बुजुर्ग जिनकी उम्र 70 वर्ष से अधिक है, पर्यटकों को लेकर ई रिक्शा चलाते हैं. यह न केवल उनकी शारीरिक क्षमता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि पर्यटकों की सुरक्षा को भी जोखिम में डालता है.

भरतपुर: विश्व धरोहर सूची में शामिल केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान अपनी जैव विविधता और पक्षियों की अद्वितीय प्रजातियों के लिए मशहूर है, लेकिन अब यह प्रशासनिक लापरवाही का शिकार हो रहा है. हाल ही में हुए एक दर्दनाक हादसे ने न केवल एक व्यक्ति की जान ले ली, बल्कि पर्यटकों की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. खासकर, ई-रिक्शा संचालन में उम्र की सीमा तय न होने से यह समस्या और भी विकराल हो गई है. 31 दिसंबर को उद्यान में एक ई-रिक्शा पलटने से 74 वर्षीय चालक साजन सिंह की मौत हो गई, जबकि तीन पर्यटक गंभीर रूप से घायल हो गए. इस घटना ने प्रशासन की अनदेखी और प्रबंधन की खामियों को उजागर कर दिया है.

प्रशासन की खामोशी, हादसे का इंतजार? हादसे के बाद उद्यान निदेशक मानस सिंह ने चालकों की उम्र सीमा तय करने के लिए मुख्यालय को प्रस्ताव भेजने की बात कही है. हालांकि कई होटल कारोबारियों और रिक्शा चालकों ने सवाल उठाए हैं कि इस दिशा में कदम पहले क्यों नहीं उठाए गए? क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा था?. रिक्शा चालकों ने सवाल उठाते हुए कहा कि हादसे के बाद उम्र सीमा तय करने का प्रस्ताव भेजने की बात कही जा रही है, लेकिन प्रशासन के अब तक के रवैये को देखते हुए यह सिर्फ औपचारिकता लगती है.

पढ़ें: घना में ई-रिक्शा पलटा, चालक की मौत, दो पर्यटक घायल, ट्रक को बचाने के दौरान हुआ हादसा

होटल व्यवसाई देवेंद्र सिंह का कहना है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जैसे प्रतिष्ठित स्थल पर ऐसी घटनाएं प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती हैं. यह जरूरी है कि न केवल ई-रिक्शा चालकों की उम्र सीमा तय हो, बल्कि उनके स्वास्थ्य परीक्षण और ड्राइविंग कौशल का भी नियमित रूप से आकलन हो. वहीं ई रिक्शाचालक प्रीतम का कहना है कि उम्र का निर्धारण होना चाहिए.अगर प्रशासन समय रहते ठोस कदम नहीं उठाता, तो केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का नाम पर्यटन और संरक्षण की उपलब्धियों के बजाय प्रशासनिक विफलताओं के लिए जाना जाएगा. पर्यटकों और चालकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है, जिसे अब गंभीरता से लेने की आवश्यकता है.

बिना उम्र सीमा के संचालन,जान से खिलवाड़: बता दें कि उद्यान में ई-रिक्शा चालकों की उम्र का कोई निर्धारण नहीं है. घना में करीब 125 ई रिक्शा संचालित हैं, जिनमें से कई बुजुर्ग जिनकी उम्र 70 वर्ष से अधिक है, पर्यटकों को लेकर ई रिक्शा चलाते हैं. यह न केवल उनकी शारीरिक क्षमता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि पर्यटकों की सुरक्षा को भी जोखिम में डालता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.