जयपुर. जिले की सबसे बड़ी हिंगोनिया गौशाला में मौजूद पशु चिकित्सालय में हर दिन करीब 70 से 80 गायों की इलाज के दौरान मौत हो रही है. इसका एक कारण तो हीट वेव है, लेकिन दूसरा सबसे बड़ा कारण वो प्लास्टिक है, जिसे केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित कर रखा है. बावजूद इसके धड़ल्ले से शहर भर में ये सिंगल यूज प्लास्टिक इस्तेमाल भी हो रही हैं और इसमें बांधकर फेंके जाने वाली खाद्य सामग्रियों को प्लास्टिक सहित खाकर गौ माता बीमार पड़ रही हैं.
शहर में 80% गायों की मौत के लिए यही प्लास्टिक जिम्मेदार है. इस हकीकत को बयां करता है हिंगोनिया गौशाला का ऑपरेशन थिएटर, जहां पहुंचने वाली हर गाय के पेट से 30 से 50 किलो प्लास्टिक निकाला जा रहा है, ताकि उनकी जान बचाई जा सके. हिंगोनिया गौशाला में मरणासन्न स्थिति में लाई जाने वाली गायों के इलाज में जुटी डॉक्टर्स की टीम काफी मशक्कत के बाद इनके पेट में जमा प्लास्टिक को निकालती है. हिंगोनिया गौशाला के प्रबंधक प्रेमानंद ने बताया यहां लाई जाने वाली 80 प्रतिशत गायों के पेट में प्लास्टिक के ढेर होने के कारण वो कुपोषण का शिकार होकर असमय मौत का ग्रास बन रही हैं.
80 फीसदी गायों की मौत का कारण : गौशाला के डिप्टी डायरेक्टर डॉ राधेश्याम मीना ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान गायों के पेट से निकाले गए अपशिष्ट में 30 से 50 किलो तक जानलेवा प्लास्टिक निकलता है. इसके अलावा सिक्के, लोहे की कीलें, लेदर, बैटरी, कांच के टुकड़े तक पेट से निकलते हैं. उन्होंने बताया कि गौशाला की हालिया रिपोर्ट में जो सच सामने आया वो भी चौंकाने वाला है. गौशाला में 24 नवंबर 2023 से 31 मार्च 2024 तक 158 गौवंश का पोस्टमार्टम हुआ, जिसमें से 125 गौवंश की मौत प्लास्टिक के कारण हुई. मतलब 80 फीसदी मौत का कारण पेट में पॉलिथीन की अधिक मात्रा थी. पेट में पॉलीथिन की मात्रा बढ़ने पर फ्लूड कम बनने लगता है, जिससे पाचन क्षमता कम हो जाती है और खाना नहीं खाने से गोवंश की मौत हो जाती है.
प्लास्टिक से बेजुबान मवेशियों की मौत : ऐसा नहीं है कि आमजन इस बात को नहीं जानते कि प्लास्टिक इंसान ही नहीं, पशुधन के लिए भी काफी खतरनाक है, लेकिन चिंता की बात यह है कि सब कुछ जानने के बावजूद वो ऐसा कर रहे हैं. हालांकि, मंचों से सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने, इनकी निर्माण इकाइयों को सील करने की मांग उठती है, लेकिन धरातल पर हालात ज्यों के त्यों बने हुए हैं. प्रशासन की मानें तो पॉलिथीन पर रोक के बाद भी इसका उपयोग नहीं रुक पा रहा है. महापौर डॉ सौम्या गुर्जर ने इसे लेकर अपील भी की है कि पॉलीथिन कचरे के तौर पर सड़कों पर नहीं फेंका जाना चाहिए, क्योंकि ये प्लास्टिक बेजुबान मवेशियों के लिए मौत के सामान से कम नहीं. बहरहाल, गायों को रोटी और हरा चारा डालकर लोग पुण्य कमाते हैं, लेकिन जाने-अनजाने पॉलिथीन का इस्तेमाल कर उनकी मौत का जिम्मेदार भी बन रहे हैं.