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भांकरोटा अग्निकांड से मानवाधिकार आयोग व्यथित, लिखा- प्रभु न करे, ऐसी घटना का भविष्य में प्रसंज्ञान लेना पड़े - HUMAN RIGHTS COMMISSION

जयपुर के भांकरोटा के पास अजमेर-जयपुर हाइवे पर हुए अग्निकांड पर मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया.

HUMAN RIGHTS COMMISSION
भांकरोटा अग्निकांड से मानवाधिकार आयोग व्यथित (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 4 hours ago

जयपुर : भांकरोटा अग्निकांड ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. घटना में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस घटना के बाद जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग भी उठ रही है. अब इस घटना को लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रसंज्ञान लिया है. मानवीय संवेदनाओं को झकझोरने वाली इस घटना पर आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जीआर मूलचंदानी द्रवित हो गए और उन्होंने नोटिस में लिखा कि प्रभु न करे, मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली, ऐसी किसी घटना का प्रसंज्ञान भविष्य में कभी लेने के लिए विवश होना पड़े. आयोग ने मुख्य सचिव, गृह सचिव, कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर और एनएचएआई के अध्यक्ष को हादसे को लेकर नोटिस जारी कर 17 जनवरी तक जवाब मांगा है.

स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया : राज्य मानवाधिकार आयोग ने अग्निकांड पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए लिखा कि भोपाल त्रासदी के बाद भारत सरकार ने वर्ष 1991 में 'लोक दायित्व अधिनियम' पास किया था. इसके तहत किसी खतरनाक गैस के रिसाव और किसी खतरनाक पदार्थ के फैलने से होने वाले परिणामों पर दायित्व निर्धारित किया गया. जयपुर शहर के अजमेर रोड पर 20 दिसंबर को सुबह गैस के एक टैंकर की दुर्घटना की वजह से भयावह अग्निकांड हुआ, जिसमें अब तक 14 व्यक्तियों की मृत्यु और 40 घायल हो गए और 32 वाहन आग की चपेट में आ गए.

इसे भी पढ़ें - भांकरोटा हादसा : मददगारों की पहचान करेगी पुलिस, डीसीपी ने बनाई विशेष टीम, 5 दिन में देगी रिपोर्ट - JAIPUR FIRE INCIDENT

आयोग के अध्यक्ष ने नोटिस में लिखा कि NHAI के मानकों के अनुरूप रोड कट से हटकर मनमाने रूप से डिवाइडर के मिडियन का कट, रिंग रोडों पर बन रहे विभिन्न आवागमन बिंदुओं, मुडाव व घुमाव रास्तों और क्लोवर लीफ का मानक रूप से समयानुकूल न बनना, वाहन चालकों को अनियमित व उचित टेस्ट के बिना चालक लाइसेंस का जारी होना, चालकों अधिक काम करना, पर्याप्त नींद न लेना, घातक गैस व पदार्थों के भंडारण का स्थान विभिन्न लोक कार्य क्षेत्रों में किया जाना कहीं न कही लापरवाही को दर्शाता है. इसके साथ ही भीड़ भरे शहरी इलाकों में खतरनाक गैस आदि के परिवहन का आवागमन, अनियमित यातायात, पुलिस व्यवस्था, विभिन्न यातायात बिंदुओं पर अनियमित यातायात सघनता, वाहनों के रख-रखाव में बरती गई उपेक्षा, वाहनों के अनियमित बिना परमिट व फिटनेस सार्वजनिक मार्गों पर चलना, मानव द्वारा बरती गई उपेक्षा, लापरवाही के साथ ही मानव नियंत्रण से दूर कुछ ईश्वरीय कृत्य व न टालने योग्य दुर्घटनाओं का होना भी इन भयंकर घटनाओं के मुख्यदायी कारण रहते हैं.

आवश्यक दिशा निर्देश जरूरी : आयोग के अध्यक्ष के अनुसार सीतापुरा तेल भंडारण में हुए अग्निकांड को जयपुर निवासी अभी भूल भी नहीं पाए हैं. वहीं, 20 दिसंबर को दिल दहला देने वाली गैस टेंकर के आग की दुर्घटना घटित हो गई. इस घटना का प्रसंज्ञान घटना की दूरस्थ प्रभाव व भयावह स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए मानवीय पहलू के अनुकूल लिया जाना, अनिवार्य व अपरिहार्य होने के कारण इस विषय में संपूर्ण विवरण प्राप्त करके घटना से प्रभावित लोगों को मानवीय राहत व क्षतिपूर्ति के विषय का अध्ययन करके आवश्यक निर्देश प्रसारित करना भी अनिवार्य है.

इसे भी पढ़ें - भांकरोटा अग्निकांड : हादसे में घायलों की मदद करने वालों को दिया जाएगा पुरस्कार - BHANKROTA LPG GAS ACCIDENT

विभाग कर रहे आदेशों की अवहेलना : आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जीआर मूलचंदानी ने लिखा कि प्रभु न करे कि इस प्रकार के दायित्व संबंधी मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली किसी घटना का प्रसंज्ञान भविष्य में कभी लेने के लिए विवश होना पड़े. घटना दुखद व गंभीर है. केंद्र सरकार, राज्य सरकार और तेल कंपनी की ओर से क्षतिपूर्ति की राशि जारी की गई है. दुर्घटना इतनी गंभीर है कि कई मृत शरीरों को डीएनए से पहचाना जा रहा है और दो की पहचान अभी भी बाकी है.

जीवित व्यक्तियों का जलना व प्राइवेट बसों में मानक के अनुकूल आपातकालीन दरवाजों का बसों में न पाया जाना, ऐसी घटनाओं की गंभीरता को और अधिक गंभीर बना देता है. साथ ही ऐसे वाहनों का सार्वजनिक मार्गों पर चलना, जिसमें आपातकालीन दरवाजे मानक के अनुसार स्थापित नहीं हो और जिनका फिटनेस व परमिट कालातीत हो, इस बात को इंगित करते हैं कि परिवहन व यातायात विभाग अपने दायित्व को कानूनी रूप से अनुपालन नहीं कर रहे हैं.

जयपुर : भांकरोटा अग्निकांड ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. घटना में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस घटना के बाद जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग भी उठ रही है. अब इस घटना को लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रसंज्ञान लिया है. मानवीय संवेदनाओं को झकझोरने वाली इस घटना पर आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जीआर मूलचंदानी द्रवित हो गए और उन्होंने नोटिस में लिखा कि प्रभु न करे, मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली, ऐसी किसी घटना का प्रसंज्ञान भविष्य में कभी लेने के लिए विवश होना पड़े. आयोग ने मुख्य सचिव, गृह सचिव, कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर और एनएचएआई के अध्यक्ष को हादसे को लेकर नोटिस जारी कर 17 जनवरी तक जवाब मांगा है.

स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया : राज्य मानवाधिकार आयोग ने अग्निकांड पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए लिखा कि भोपाल त्रासदी के बाद भारत सरकार ने वर्ष 1991 में 'लोक दायित्व अधिनियम' पास किया था. इसके तहत किसी खतरनाक गैस के रिसाव और किसी खतरनाक पदार्थ के फैलने से होने वाले परिणामों पर दायित्व निर्धारित किया गया. जयपुर शहर के अजमेर रोड पर 20 दिसंबर को सुबह गैस के एक टैंकर की दुर्घटना की वजह से भयावह अग्निकांड हुआ, जिसमें अब तक 14 व्यक्तियों की मृत्यु और 40 घायल हो गए और 32 वाहन आग की चपेट में आ गए.

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आयोग के अध्यक्ष ने नोटिस में लिखा कि NHAI के मानकों के अनुरूप रोड कट से हटकर मनमाने रूप से डिवाइडर के मिडियन का कट, रिंग रोडों पर बन रहे विभिन्न आवागमन बिंदुओं, मुडाव व घुमाव रास्तों और क्लोवर लीफ का मानक रूप से समयानुकूल न बनना, वाहन चालकों को अनियमित व उचित टेस्ट के बिना चालक लाइसेंस का जारी होना, चालकों अधिक काम करना, पर्याप्त नींद न लेना, घातक गैस व पदार्थों के भंडारण का स्थान विभिन्न लोक कार्य क्षेत्रों में किया जाना कहीं न कही लापरवाही को दर्शाता है. इसके साथ ही भीड़ भरे शहरी इलाकों में खतरनाक गैस आदि के परिवहन का आवागमन, अनियमित यातायात, पुलिस व्यवस्था, विभिन्न यातायात बिंदुओं पर अनियमित यातायात सघनता, वाहनों के रख-रखाव में बरती गई उपेक्षा, वाहनों के अनियमित बिना परमिट व फिटनेस सार्वजनिक मार्गों पर चलना, मानव द्वारा बरती गई उपेक्षा, लापरवाही के साथ ही मानव नियंत्रण से दूर कुछ ईश्वरीय कृत्य व न टालने योग्य दुर्घटनाओं का होना भी इन भयंकर घटनाओं के मुख्यदायी कारण रहते हैं.

आवश्यक दिशा निर्देश जरूरी : आयोग के अध्यक्ष के अनुसार सीतापुरा तेल भंडारण में हुए अग्निकांड को जयपुर निवासी अभी भूल भी नहीं पाए हैं. वहीं, 20 दिसंबर को दिल दहला देने वाली गैस टेंकर के आग की दुर्घटना घटित हो गई. इस घटना का प्रसंज्ञान घटना की दूरस्थ प्रभाव व भयावह स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए मानवीय पहलू के अनुकूल लिया जाना, अनिवार्य व अपरिहार्य होने के कारण इस विषय में संपूर्ण विवरण प्राप्त करके घटना से प्रभावित लोगों को मानवीय राहत व क्षतिपूर्ति के विषय का अध्ययन करके आवश्यक निर्देश प्रसारित करना भी अनिवार्य है.

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विभाग कर रहे आदेशों की अवहेलना : आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जीआर मूलचंदानी ने लिखा कि प्रभु न करे कि इस प्रकार के दायित्व संबंधी मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली किसी घटना का प्रसंज्ञान भविष्य में कभी लेने के लिए विवश होना पड़े. घटना दुखद व गंभीर है. केंद्र सरकार, राज्य सरकार और तेल कंपनी की ओर से क्षतिपूर्ति की राशि जारी की गई है. दुर्घटना इतनी गंभीर है कि कई मृत शरीरों को डीएनए से पहचाना जा रहा है और दो की पहचान अभी भी बाकी है.

जीवित व्यक्तियों का जलना व प्राइवेट बसों में मानक के अनुकूल आपातकालीन दरवाजों का बसों में न पाया जाना, ऐसी घटनाओं की गंभीरता को और अधिक गंभीर बना देता है. साथ ही ऐसे वाहनों का सार्वजनिक मार्गों पर चलना, जिसमें आपातकालीन दरवाजे मानक के अनुसार स्थापित नहीं हो और जिनका फिटनेस व परमिट कालातीत हो, इस बात को इंगित करते हैं कि परिवहन व यातायात विभाग अपने दायित्व को कानूनी रूप से अनुपालन नहीं कर रहे हैं.

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