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सावन के आखिरी सोमवार पर भगवान शिव को प्रसन्न करने में जुटे भक्त, भोलेनाथ की ससुराल में उमड़ी भीड़ - Haridwar Daksheshwar Mahadev Temple - HARIDWAR DAKSHESHWAR MAHADEV TEMPLE

Sawan Somwar 2024, Daksh Prajapati Temple Haridwar सावन के आखिरी सोमवार पर तमाम शिवालयों और मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है. हर कोई भगवान शिव को प्रसन्न कर आशीर्वाद पाना चाहता है. भगवान शिव के ससुराल दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भी भक्त उमड़े हुए हैं. कहा जाता है कि पूरे सावन के महीने में भगवान शिव यहां विराजमान होते हैं. जानिए क्या है मान्यता...

Sawan Somwar 2024
दक्षेश्वर महादेव मंदिर (फोटो सोर्स- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 19, 2024, 1:39 PM IST

Updated : Aug 19, 2024, 3:08 PM IST

दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों की भीड़ (वीडियो- ETV Bharat)

हरिद्वार: आज सावन का पांचवां और आखिरी सोमवार है. यानि शिव की भक्ति का सबसे अच्छा दिन और प्रिय दिन है. मान्यता है कि भगवान शिव को सोमवार का दिन काफी प्रिय होता है. यही वजह है कि इस दिन भगवान शिव की भक्ति और उनका जलाभिषेक करने पर अपार कृपा मिलती है. यही वजह है कि हरिद्वार के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से भक्तों का हुजूम देखने को मिल रहा है. हर कोई आखिरी सोमवार पर शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने को लालायित नजर आ रहा है.

भगवान शंकर करते हैं मुरादें पूरी: माना जाता है कि पूरे महीने यानी सावन में भगवान शिव अपनी ससुराल कनखल स्थित दक्ष प्रजापति मंदिर में निवास करते हैं. यही से सृष्टि का संचालन और लोगों का कल्याण करते हैं. ऐसे में भगवान शंकर का जलाभिषेक किया जाए तो वे प्रसन्न होते हैं और सभी मुरादें भी पूरी करते हैं. हरिद्वार के दक्षेश्वर महादेव मंदिर समेत अन्य शिवालयों में भी भोले के भक्त भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए उमड़े हुए हैं.

Sawan Somwar 2024
दक्ष प्रजापति मंदिर (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

भगवान शिव की ससुराल दक्षेश्वर महादेव मंदिर में लगा भक्तों का तांता: भगवान शिव की ससुराल कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की कतार लगी हुई है. सावन के माह का पांचवां एवं अंतिम सोमवार होने के चलते काफी संख्या में शिवभक्त यहां भगवान शंकर को प्रसन्न करने आ रहे हैं. हालांकि, कांवड़ मेला संपन्न हो चुका है, लेकिन भोले के भक्तों का उत्साह और श्रद्धा आज भी वैसी ही नजर आ रही है.

Sawan Somwar 2024
नंदी की पूजा (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

इस बार बना अद्भुत संयोग: इस बार अद्भुत संयोग बना है कि सावन का पहला और अंतिम दिन सोमवार पड़ा है. सावन माह में पांच सोमवार पड़े हैं और आज ही रक्षाबंधन का त्यौहार भी है. दक्षेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी स्वामी विशेश्वर पुरी कहते हैं कि सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा और आराधना का खास महत्व माना जाता है. क्योंकि, सोमवार का दिन भोले शिव को पसंद होता है.

श्रावण मास में गंगाजल से अभिषेक का है विशेष महत्व: कहा जाता है कि सावन में खासकर सोमवार के दिन जलाभिषेक करने से भगवान शिव जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं. यहां भगवान शंकर की ससुराल है. यहां हर सोमवार को गंगा जल, दूध, दही शहद, धतूरा, घी आदि से अभिषेक करने का विशेष महत्व माना जाता है. श्रवण नक्षत्र में ही गंगा, भगवान शिव की जटाओं में समाई थी. इसलिए भी श्रावण मास में भगवती गंगा के जल का महादेव के ऊपर अभिषेक का विशेष महत्व है.

Sawan Somwar 2024
भगवान शिव की अराधना (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

दक्षेश्वर में भगवान शिव ने एक महीने तक स्वयंभू लिंग के रूप में रहने का दिया था वचन: पुजारी विशेश्वर पुरी कहते हैं कि भगवान शंकर ने दक्षेश्वर महादेव के रूप में एक माह स्वयंभू लिंग के रूप में रहने का वचन दिया था. सावन में उनकी ओर से किए गए वादे के अनुरूप भगवान शंकर दक्षेश्वर महादेव यानी अपनी ससुराल हरिद्वार में रहते हैं. भगवान शंकर ने देवताओं और मां लक्ष्मी को वरदान दिया था कि सती की कमी को पूरा करने के लिए वे सावन माह में यहीं निवास करेंगे. वे यहां कटे हुए सिर के रूप में विराजमान हैं.

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दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों की भीड़ (वीडियो- ETV Bharat)

हरिद्वार: आज सावन का पांचवां और आखिरी सोमवार है. यानि शिव की भक्ति का सबसे अच्छा दिन और प्रिय दिन है. मान्यता है कि भगवान शिव को सोमवार का दिन काफी प्रिय होता है. यही वजह है कि इस दिन भगवान शिव की भक्ति और उनका जलाभिषेक करने पर अपार कृपा मिलती है. यही वजह है कि हरिद्वार के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से भक्तों का हुजूम देखने को मिल रहा है. हर कोई आखिरी सोमवार पर शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने को लालायित नजर आ रहा है.

भगवान शंकर करते हैं मुरादें पूरी: माना जाता है कि पूरे महीने यानी सावन में भगवान शिव अपनी ससुराल कनखल स्थित दक्ष प्रजापति मंदिर में निवास करते हैं. यही से सृष्टि का संचालन और लोगों का कल्याण करते हैं. ऐसे में भगवान शंकर का जलाभिषेक किया जाए तो वे प्रसन्न होते हैं और सभी मुरादें भी पूरी करते हैं. हरिद्वार के दक्षेश्वर महादेव मंदिर समेत अन्य शिवालयों में भी भोले के भक्त भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए उमड़े हुए हैं.

Sawan Somwar 2024
दक्ष प्रजापति मंदिर (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

भगवान शिव की ससुराल दक्षेश्वर महादेव मंदिर में लगा भक्तों का तांता: भगवान शिव की ससुराल कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की कतार लगी हुई है. सावन के माह का पांचवां एवं अंतिम सोमवार होने के चलते काफी संख्या में शिवभक्त यहां भगवान शंकर को प्रसन्न करने आ रहे हैं. हालांकि, कांवड़ मेला संपन्न हो चुका है, लेकिन भोले के भक्तों का उत्साह और श्रद्धा आज भी वैसी ही नजर आ रही है.

Sawan Somwar 2024
नंदी की पूजा (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

इस बार बना अद्भुत संयोग: इस बार अद्भुत संयोग बना है कि सावन का पहला और अंतिम दिन सोमवार पड़ा है. सावन माह में पांच सोमवार पड़े हैं और आज ही रक्षाबंधन का त्यौहार भी है. दक्षेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी स्वामी विशेश्वर पुरी कहते हैं कि सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा और आराधना का खास महत्व माना जाता है. क्योंकि, सोमवार का दिन भोले शिव को पसंद होता है.

श्रावण मास में गंगाजल से अभिषेक का है विशेष महत्व: कहा जाता है कि सावन में खासकर सोमवार के दिन जलाभिषेक करने से भगवान शिव जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं. यहां भगवान शंकर की ससुराल है. यहां हर सोमवार को गंगा जल, दूध, दही शहद, धतूरा, घी आदि से अभिषेक करने का विशेष महत्व माना जाता है. श्रवण नक्षत्र में ही गंगा, भगवान शिव की जटाओं में समाई थी. इसलिए भी श्रावण मास में भगवती गंगा के जल का महादेव के ऊपर अभिषेक का विशेष महत्व है.

Sawan Somwar 2024
भगवान शिव की अराधना (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

दक्षेश्वर में भगवान शिव ने एक महीने तक स्वयंभू लिंग के रूप में रहने का दिया था वचन: पुजारी विशेश्वर पुरी कहते हैं कि भगवान शंकर ने दक्षेश्वर महादेव के रूप में एक माह स्वयंभू लिंग के रूप में रहने का वचन दिया था. सावन में उनकी ओर से किए गए वादे के अनुरूप भगवान शंकर दक्षेश्वर महादेव यानी अपनी ससुराल हरिद्वार में रहते हैं. भगवान शंकर ने देवताओं और मां लक्ष्मी को वरदान दिया था कि सती की कमी को पूरा करने के लिए वे सावन माह में यहीं निवास करेंगे. वे यहां कटे हुए सिर के रूप में विराजमान हैं.

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Last Updated : Aug 19, 2024, 3:08 PM IST
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