जयपुर : आज हर घर में कुछ गमले या गार्डन एरिया तो होता ही है, जिनमें डेकोरेटिव, फूल और सब्जियों के पौधे होते हैं. इन्हें संवारने के लिए आप अपने किचन वेस्ट का इस्तेमाल करके कंपोस्ट बना सकते हैं. जयपुर का ग्रेटर निगम प्रशासन घरों में होम कंपोस्टिंग करवा रहा है. घर में पेड़ पौधों से निकलने वाले सूखे पत्ते, किचन में से निकलने वाले ग्रीनवेस्ट (फल-सब्जियों के छिलके और बचे हुए खाने) से काला सोना बनाया जा रहा है. इस खाद को घर के ही बगीचों और गमलों में इस्तेमाल भी कर रहे हैं. जयपुर की वार्ड 134 की एक गृहणि ने बताया कि 2 महीने पहले उन्होंने किचन से निकलने वाले कचरे को घर में ही रखें प्लास्टिक की बाल्टी और मटकों में स्टोर करना शुरू किया और फिर इससे दो तरह की खाद तैयार हो रही है. एक गीली खाद और दूसरी सूखी खाद.
होम कंपोस्टिंग से डंपिंग यार्ड पर काम होगा ग्रीन गार्बेज : ग्रेटर नगर निगम के डीसी हेल्थ नवीन भारद्वाज ने बताया कि शहरों में कचरा बहुत बड़ी चुनौती है. बड़ी मात्रा में कचरे को डंपिंग यार्ड तक पहुंचाना पड़ता है, जो जमीन और एनवायरमेंट को भी प्रदूषित करता है, जिसे अब होम कंपोस्टिंग के माध्यम से काउंटर करने की कोशिश की जा रही है. हर घर से निकलने वाले ग्रीन गार्बेज को घर पर ही कंपोस्ट करना शुरू किया है. इससे डंपिंग यार्ड पर गार्बेज की मात्रा भी कम होगी. नियमों की अगर बात करें, तो जो संस्था 100 किलो से ज्यादा गार्बेज जनरेट कर रही है, उन्हें बल्क वेस्ट जनरेट की श्रेणी में रखते हुए अपना कंपोस्टिंग प्लांट लगाना अनिवार्य है. इसके अलावा शहर में जो घर है उनमें भी गार्डन एरिया या प्लांट्स लगाए जाते हैं. ऐसे में इस कांसेप्ट को उन घरों में भी प्रमोट किया जा रहा है. घर में जो भी गीला कचरा प्रोड्यूस हो रहा है, उसे लेकर एक एनजीओ और निगम मिलकर लोगों को ट्रेंड कर रहा है कि कैसे घर में निकलने वाले ग्रीनवेस्ट को ब्लैक गोल्ड में कन्वर्ट करें.
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फल-सब्जी के छिलके और चाय पत्ती सबसे ज्यादा कारगर : घरों में पहुंचकर लोगों को होम कंपोस्टिंग करना सिखा रही फिनीलूप वॉलिंटियर आचुकी ने बताया कि होम कंपोस्टिंग करने के लिए गीले कचरे की जरूरत पड़ती है. फिर चाहे फल-सब्जी के छिलके हों, बचा हुआ खाना हो, चाय पत्ती हो या पेड़ पौधों से निकलने वाले कचरा, जिसे इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि घर में बचे हुए भोजन में प्रोटीन वाले सामग्री को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और इसी तरह ज्यादा तले-भुने खाने को भी अवॉइड करना चाहिए, क्योंकि इनसे गंध आती है और फिर लोगों को लगता है कि वो होम कंपोस्टिंग नहीं कर पाएंगे. उन्होंने बताया कि जिस तरह घर में चाय से दिन की शुरुआत होती है. इसी चाय पत्ती को धोकर एक पिट में या फिर किसी भी मटके-बाल्टी में डालकर कंपोस्ट तैयार कर सकते हैं. डायरेक्ट चाय पत्ती डालने से कीड़े पनपने का डर रहता है. चाय पत्ती के साथ यदि फल-सब्जी के छिलकों को भी मिक्स कर लेते हैं, तो इससे एक अच्छी खाद तैयार हो सकती है, क्योंकि उसमें फल सब्जी के गुण भी होते हैं, जिससे एक ऑर्गेनिक खाद तैयार होती है, जो पेड़-पौधों की ग्रोथ के लिए बहुत अच्छी रहती है.
ये है खाद बनाने का तरीका : किचन में जो सब्जियां, सलाद या फल काटे जाते हैं, उनके छिलके और बचे हुए भोजन से खाद बना सकते हैं. इन्हें नियमित एक बिन में इकट्ठा करें. जब पूरा बिन भर जाए, तो उसे बंद करके 15-20 दिन तक के लिए छोड़ दें. इस दौरान किचन वेस्ट की पिकलिंग होगा और जब 15-20 दिन बाद इस बिन को खोलेंगे तो उसमें से तेज गंध आएगी और किचन वेस्ट के ऊपर सफेद रंग की फंगस लगी दिखेगी. इसका मतलब है कि आपके किचन वेस्ट की पिकलिंग बहुत अच्छे से हुई है. इसके बाद किसी दूसरे बड़े डिब्बे, बाल्टी या गमले में कोकोपिट के साथ किचन वेस्ट की लेयर बनाएं. इसे हर 3-4 दिन पर एक बार डंडे या खुरपी से चलाएं, ताकि उसमें अंदर तक हवा जाती रहे. इस प्रक्रिया में बेक्टीरिया को कचरे को खाद बनाने के लिए हवा और ऑक्सीजन की जरूरत होती है. ऐसे में डिब्बे को किसी ऐसी चीज से ढकें, जिससे हवा आसानी अंदर जा सके.
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स्वच्छ सर्वेक्षण में भी मिलेंगे अंक : मालवीय नगर डीसी अर्शदीप बरार ने बताया कि लोग सेल्फ सफिशिएंट बने इस प्रयास के तहत लोग गीला और सूखा कचरा सेग्रीगेट भी करें और गीले कचरे से होम कंपोस्टिंग भी करें. उनके क्षेत्र में करीब 80 से ज्यादा घरों में होम कंपोस्टिंग शुरू कर दी गई है. इसके अलावा कम्युनिटी कंपोस्टिंग भी शुरू की गई है, जो लोग किसी कारण घर में कंपोस्टिंग नहीं कर सकते तो कम्युनिटी पिट पर उनका गार्बेज कलेक्ट होगा और वहां पर कंपोस्टिंग होगी. यदि ये प्रक्रिया शहर के हर घर में शुरू हो जाएगी, तो इससे ग्रीन गार्बेज भी कम इकट्ठा होगा और स्वच्छता सर्वेक्षण में भी इसके अच्छे अंक मिलेंगे.