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संजौली IGMC स्मार्ट पाथ को अधूरा छोड़ने पर HC सख्त, अदालत ने मांगा स्पष्टीकरण - SHIMLA SMART CITY LIMITED

हिमाचल हाईकोर्ट ने शिमला स्मार्ट सिटी लिमिटेड से स्पष्टीकरण मांगा है. संजौली-आईजीएमसी स्मार्ट पाथ को कुछ स्थानों पर अधूरा छोड़ने को गंभीर मामला बताया है.

हिमाचल हाईकोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 21, 2024, 6:32 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने संजौली आईजीएमसी स्मार्ट पाथ को कुछ स्थानों पर अधूरा छोड़ने को गंभीर मामला बताते हुए शिमला स्मार्ट सिटी लिमिटेड से स्पष्टीकरण मांगा है. इस मामले में जनहित से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया था कि स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत बनाए जा रहे पैदल पथ को भी कुछ स्थानों पर छोड़ दिया गया है.

कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा है, तो स्पष्ट रूप से यह एक गंभीर मामला है. इस पर हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने शिमला स्मार्ट सिटी लिमिटेड को प्रतिवादी बनाने के आदेश भी जारी किए हैं. इसके अलावा आईजीएमसी के प्रिंसिपल ऑफिस से लेकर नए ट्रॉमा वार्ड तक लिफ्ट और रैंप पर जानकारी देते हुए सरकार की ओर से बताया गया कि हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग ने इस कार्य के लिए 4,64,94,297 रुपये की राशि का अनुमान तैयार किया गया है, जिसे आवश्यक प्रशासनिक अनुमोदन और व्यय मंजूरी के लिए निदेशक, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान, शिमला के माध्यम से सचिव (स्वास्थ्य) को भेजा गया है.

इस बीच, हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग ने आईजीएमसी, शिमला में प्रिंसिपल कार्यालय से नए ट्रॉमा भवन/नई ओपीडी तक दो लिफ्ट और एक रैंप प्रदान करने के लिए तकनीकी बोली के लिए निविदाएं भी आमंत्रित की हैं. कोर्ट ने ऐसी सुविधा के महत्व को ध्यान में रखते हुए आशा और विश्वास जताया कि अगली सुनवाई तक सक्षम प्राधिकारी द्वारा आवश्यक प्रशासनिक अनुमोदन और व्यय स्वीकृति प्रदान कर दी जाएगी. इस संबंध में आधिकारिक प्रतिवादियों को अगली सुनवाई की तारीख पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए गए हैं.

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने संजौली आईजीएमसी स्मार्ट पाथ को कुछ स्थानों पर अधूरा छोड़ने को गंभीर मामला बताते हुए शिमला स्मार्ट सिटी लिमिटेड से स्पष्टीकरण मांगा है. इस मामले में जनहित से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया था कि स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत बनाए जा रहे पैदल पथ को भी कुछ स्थानों पर छोड़ दिया गया है.

कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा है, तो स्पष्ट रूप से यह एक गंभीर मामला है. इस पर हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने शिमला स्मार्ट सिटी लिमिटेड को प्रतिवादी बनाने के आदेश भी जारी किए हैं. इसके अलावा आईजीएमसी के प्रिंसिपल ऑफिस से लेकर नए ट्रॉमा वार्ड तक लिफ्ट और रैंप पर जानकारी देते हुए सरकार की ओर से बताया गया कि हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग ने इस कार्य के लिए 4,64,94,297 रुपये की राशि का अनुमान तैयार किया गया है, जिसे आवश्यक प्रशासनिक अनुमोदन और व्यय मंजूरी के लिए निदेशक, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान, शिमला के माध्यम से सचिव (स्वास्थ्य) को भेजा गया है.

इस बीच, हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग ने आईजीएमसी, शिमला में प्रिंसिपल कार्यालय से नए ट्रॉमा भवन/नई ओपीडी तक दो लिफ्ट और एक रैंप प्रदान करने के लिए तकनीकी बोली के लिए निविदाएं भी आमंत्रित की हैं. कोर्ट ने ऐसी सुविधा के महत्व को ध्यान में रखते हुए आशा और विश्वास जताया कि अगली सुनवाई तक सक्षम प्राधिकारी द्वारा आवश्यक प्रशासनिक अनुमोदन और व्यय स्वीकृति प्रदान कर दी जाएगी. इस संबंध में आधिकारिक प्रतिवादियों को अगली सुनवाई की तारीख पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए गए हैं.

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