सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में इस साल गेहूं की पैदावार कम होगी, क्योंकि जिले में इस साल गेहूं की खेती का रकबा एक हजार हेक्टेयर घट गया है. यानी रबी वर्ष 2024-25 में जिले में 25,700 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई हुई है. जबकि, 2023-24 में 26,700 हेक्टेयर पर फसल की पैदावार हुई थी.
इसलिए घट रहा गेहूं का रकबा
कृषि विभाग के अनुसार पिछले साल जिले में 54 हजार मीट्रिक टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इस साल इस खेती का रकबा घटने से विभाग ने 49 हजार मीट्रिक टन लक्ष्य निर्धारित किया है. यानी पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार उत्पादन लक्ष्य में भी कमी आई है. विभाग के मुताबिक रबी की इस प्रमुख फसल की खेती का रकबा घटने की मुख्य वजह लोगों का रुझान व्यावसायिक फसलों की तरफ बढ़ना भी माना जा रहा है. वहीं, दूसरा कारण ये भी है कि पिछले साल बारिश देरी से होने के कारण भी कई किसान समय पर फसल की बिजाई नहीं कर सके.
2023-24 में बढ़ा था गेहूं का रकबा
बता दें कि 2021-22 में सिरमौर जिले में 25,000 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई की गई थी. 2022-23 में ये आंकड़ा बढ़कर 25,500 हेक्टेयर पहुंचा. 2023-24 में गेहूं की खेती की ओर किसानों का रुझान काफी बढ़ा और खेती के रकबे में बढ़ोतरी के साथ ये आंकड़ा भी 26,700 हेक्टेयर पहुंच गया था, जो इस बार बढ़ने की बजाय घट गया है.
अच्छी फसल के लिए बारिश पर निर्भरता
लिहाजा, इस साल गेहूं की पैदावार में भी कमी आएगी. पिछले दिनों अच्छी बारिश के चलते जिले के विभिन्न हिस्सों में फसल की अच्छी पैदावार हुई है. आगे भी मौसम ने किसानों का साथ दिया तो कृषि विभाग अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकता है. यदि किसानों को मौसम का साथ नहीं मिलेगा तो स्वाभाविक तौर पर उत्पादन में कमी आएगी. सिरमौर का 70 फीसदी हिस्सा असिंचित क्षेत्र है. जहां किसान सिर्फ इंद्रदेव के रहमोकरम पर ही निर्भर हैं. जिले के निचले इलाकों में ही किसानों के पास सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं.
वहीं, कृषि विभाग सिरमौर के उपनिदेशक डॉ. राजकुमार ने बताया, "इस साल गेहूं योग्य खेती में कमी आई है. इस बार जिले में 25,700 हेक्टेयर भूमि पर फसल की बिजाई की गई है. विभाग ने 49 हजार मीट्रिक टन लक्ष्य रखा है. समय-समय पर बारिश होती रही तो गेहूं की पैदावार भी अच्छी होगी."