शिमला: मां श्री भीमाकाली टेंपल ट्रस्ट रामपुर बुशहर की संपत्ति पर अवैध कब्जा करने से जुड़े मामले में दाखिल की गई याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. यही नहीं, अदालत ने याचिकाकर्ता पर पांच हजार रुपए की कॉस्ट भी लगाई. याचिकाकर्ता ने उसे संपत्ति से बेदखल करने वाले आदेश को लेकर राहत की मांग की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने बेदखली आदेश जायज ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी.
मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने की. मां श्री भीमाकाली मंदिर ट्रस्ट से जुड़े इस मामले के तथ्यों के अनुसार ट्रस्ट ने कस्बा बाजार रामपुर बुशहर में अपनी संपत्ति पर एक इमारत बनाई हुई है. इस पुरानी इमारत को ट्रस्ट ने बाई देवी नामक महिला को किराए पर दिया था. बाई देवी की मौत के बाद जिस व्यक्ति ने किराए पर दी गई इमारत को संभाला उसने मंदिर ट्रस्ट के साथ कोई इकरारनामा नहीं किया. इस प्रकार इकरारनामा न करने पर मंदिर ट्रस्ट ने वर्ष 1995 में व्यक्ति को इमारत से बेदखल करने का मामला दर्ज करवाया.
ये मामला रामपुर स्थित आयुक्त कार्यालय में दर्ज किया गया. फिर 20 मार्च 2007 को प्रार्थी और मंदिर ट्रस्ट में समझौता हुआ. समझौते के अनुसार प्रार्थी को इमारत खाली करनी थी और मंदिर ट्रस्ट की तरफ से नई इमारत बनाए जाने पर उसे एक दुकान किराए पर दी जानी थी. इस समझौते को देखते हुए रामपुर के आयुक्त की अदालत ने मंदिर ट्रस्ट की याचिका का निपटारा कर दिया. समझौते को दरकिनार करते हुए प्रार्थी ने इमारत को खाली नहीं किया और खुद ही इसे तोड़ते हुए ट्रस्ट की भूमि पर नई आरसीसी की इमारत खड़ी कर दी.
इस पर निर्माण को रोकने और उसे तोड़ने के लिए ट्रस्ट ने बार बार व्यक्ति को नोटिस जारी किए, लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी. इसके बाद मंदिर ट्रस्ट के हक में आए एसडीएम रामपुर और मंडल आयुक्त शिमला की अदालतों के फैसलों को प्रार्थी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने प्रार्थी के आचरण को देखते हुए कहा कि उसके मन में कानून के राज के प्रति कोई सम्मान नहीं है. हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए प्रार्थी को पांच हजार रुपए कॉस्ट की राशि हिमाचल प्रदेश आपदा राहत कोष में जमा करने के आदेश दिए. साथ ही प्रार्थी को बेदखल करने के एसडीएम व मंडल आयुक्त की अदालतों के फैसले को भी जायज ठहराया.