शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने फैमिली पेंशन से जुड़े मामले को अदालती आदेश के अनुसार निपटाने में विफल रहने पर पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता को 10 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है. ये कॉस्ट बीएंडआर डिवीजन एचपी पीडब्ल्यूडी चौपाल के अधिशासी अभियंता पर लगाई गई है. हाईकोर्ट ने इस कॉस्ट के साथ ही प्रार्थी के पक्ष में अदालत की तरफ से दिए गए पारिवारिक पेंशन से जुड़े फैसले की तीन सप्ताह के भीतर अनुपालना रिपोर्ट तलब की है.
हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता कौरी देवी के फैमिली पेंशन से जुड़े मामले का 10 अक्टूबर 2023 को निपटारा करते हुए कार्यकारी अभियंता को निर्देश दिया गया था कि वे मामले का निपटारा सुनिश्चित करें. एचपी पीडब्ल्यूडी के कार्यकारी अभियंता को आवश्यक कार्रवाई के लिए चार हफ्ते का समय दिया गया था. प्रतिवादियों ने निर्णय का अनुपालन नहीं किया, परिणामस्वरूप कौरी देवी ने 12 जुलाई 2024 को अनुपालना याचिका दायर की.
याचिका का नोटिस 24 सितंबर 2024 को जारी किया गया था और प्रतिवादियों को दो हफ्ते में निर्णय के कार्यान्वयन के संबंध में निर्देश अथवा जवाब दाखिल करने को कहा गया था. इसके बाद मामला 20 नवंबर 2024 को न्यायालय के समक्ष लिस्ट किया गया और उस दिन अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कार्यकारी अभियंता के दिनांक 04 अक्टूबर 2024 के निर्देश रिकॉर्ड पर रखे. इन निर्देशों में निर्णय का अनुपालन करने के लिए चार सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा गया था.
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि चार सप्ताह का समय बहुत पहले बीत चुका था. फिर अतिरिक्त महाधिवक्ता को फैसले के कार्यान्वयन के बारे में नए निर्देश हासिल करने को कहा गया. साथ ही इस मामले को एक सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया. सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कार्यकारी अभियंता के दिनांक 23 नवंबर 2024 के नए निर्देश रिकॉर्ड पर रखे हैं. कोर्ट ने यह निर्देश 4 अक्टूबर 2024 को रिकॉर्ड पर रखे गए निर्देशों के समान पाए.
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का फैमिली पेंशन मामला, जिसे 10 अक्टूबर 2023 के निर्णय के तहत निपटाने का निर्देश दिया गया था, प्रतिवादियों को उस दिन से चार सप्ताह के भीतर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया था. अब नवंबर, 2024 भी खत्म हो रहा है. एक वर्ष से अधिक समय बीत चुका है. याचिकाकर्ता की शिकायतों को ध्यान में रखे बिना समय विस्तार के लिए प्रार्थना की जा रही है. तथ्य यह है कि 13 महीने बाद भी हाईकोर्ट का निर्णय लागू नहीं हुआ है. इसे देखते हुए हाईकोर्ट ने प्रतिवादियों को निर्णय को लागू करने और अनुपालन हलफनामा दाखिल करने के लिए 10,000 रुपये कॉस्ट लगाई.
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