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अपने खर्चे से मेडिकल डिवाइस पार्क बनाएगी सुक्खू सरकार, केंद्र की मोदी सरकार के 30 करोड़ लौटाने का फैसला - Medical device park Nalagarh - MEDICAL DEVICE PARK NALAGARH

Medical device park Nalagarh: मेडिकल डिवाइस पार्क को राज्य सरकार अपने खुद के खर्चे पर बनाएगी. केंद्र सरकार से मिली राशि को सुक्खू सरकार ने लौटाने का फैसला लिया है. डिटेल में जानें आखिर क्या है मामला...

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और पीएम नरेंद्र मोदी
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और पीएम नरेंद्र मोदी (सोशल मीडिया)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 26, 2024, 9:06 PM IST

Updated : Jul 27, 2024, 1:08 PM IST

शिमला: हिमाचल के नालागढ़ में बनने वाले मेडिकल डिवाइस पार्क को राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से बनाने का निर्णय लिया है. ऐसे में प्रदेश की सुक्खू सरकार ने 265 एकड़ जमीन पर 350 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार से मिले 30 करोड़ रुपये लौटाने का फैसला लिया है.

केंद्र से प्राप्त हुई इस राशि को अगर सरकार वापस नहीं करती तो राज्य को कई आर्थिक नुकसान उठाने पड़ सकते हैं. केंद्र से मिली 30 करोड़ रुपये की राशि के बदले में राज्य सरकार को उद्योगपतियों को जमीन को एक रुपये प्रति वर्ग मीटर, बिजली 3 रुपये प्रति यूनिट के अलावा दस वर्षों तक पानी, रखरखाव और गोदाम की सुविधा बिना किसी शुल्क के प्रदान करनी पड़ेगी.

शर्तों से मुक्त होने का निर्णय

मेडिकल डिवाइस पार्क में बनने वाले अधिकांश उपकरण राज्य से बाहर बेचे जाएंगे, लेकिन इससे भी राज्य के खजाने को एनएसजीएसटी के कारण प्रत्यक्ष नुकसान होगा इसलिए राज्य सरकार ने इन शर्तों से मुक्त होने का निर्णय लिया है जिससे जमीन और अन्य संसाधनों की बिक्री से ही राज्य को आने वाले 5 से 7 सालों में 500 करोड़ रुपये का फायदा होने की उम्मीद है.

अब राज्य सरकार मेडिकल डिवाइस पार्क में आने वाले उद्योगों को अपनी उद्योग नीति के अनुसार प्रोत्साहन देगी. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य के संसाधनों को किसी भी कीमत पर लूटने नहीं दिया जाएगा. इन संसाधनों पर हिमाचल के लोगों का हक है और प्रदेशवासियों के हितों की रक्षा के लिए सरकार हर कदम उठाने को तैयार है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के हितों की रक्षा के लिए विभिन्न मोर्चों पर हक की लड़ाई लड़ी जा रही है. इसी दिशा में कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने मेडिकल डिवाइस पार्क भी खुद बनाने का निर्णय लिया है.

राजस्व घाटा ना हो इसलिए लिया फैसला

सीएम ने कहा कि अगर केंद्र सरकार की राशि नहीं लौटाते हैं तो उद्योगपतियों को अनिवार्य प्रोत्साहन प्रदान करने पड़ेंगे जिससे राज्य के खजाने पर बहुत अधिक बोझ पड़ेगा और सरकार को राजस्व का घाटा होगा.

इस परियोजना के लिए राज्य सरकार ने अब तक 74.95 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं. सीएम ने कहा कि इससे पहले राज्य सरकार ने जिला ऊना के हरोली में बन रहे बल्क ड्रग पार्क में किसी भी प्राइवेट एजेंसी की मदद नहीं लेने का निर्णय लिया है.

राज्य सरकार बल्क ड्रग पार्क के निर्माण के लिए एक हजार करोड़ रुपये अपने संसाधनों से जुटाएगी. उन्होंने कहा कि मेडिकल डिवाइस पार्क के निर्माण के लिए राज्य सरकार क्लस्टर विकास योजना के तहत सिडबी से ऋण लेगी.

अब परियोजना में फेरबदल करते हुए 25 फीसदी जमीन विशेष रूप से चिकित्सा उपकरण उद्योगों के लिए और 75 फीसदी अन्य रणनीतिक उद्योगों के लिए आवंटित की जाएगी. उन्होंने कहा कि इस औद्योगिक पार्क को हिमाचल प्रदेश में अत्याधुनिक औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा जो आने वाले सालों में आर्थिक विकास और बेहतर बुनियादी ढांचे के साथ-साथ राज्य सरकार के लिए आय का नियमित स्रोत बनेगा.

ये भी पढ़ें: नीति आयोग की बैठक से पहले इकलौते कांग्रेसी CM दिल्ली में, क्या पीएम की बैठक से वो भी करेंगे किनारा ?

शिमला: हिमाचल के नालागढ़ में बनने वाले मेडिकल डिवाइस पार्क को राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से बनाने का निर्णय लिया है. ऐसे में प्रदेश की सुक्खू सरकार ने 265 एकड़ जमीन पर 350 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार से मिले 30 करोड़ रुपये लौटाने का फैसला लिया है.

केंद्र से प्राप्त हुई इस राशि को अगर सरकार वापस नहीं करती तो राज्य को कई आर्थिक नुकसान उठाने पड़ सकते हैं. केंद्र से मिली 30 करोड़ रुपये की राशि के बदले में राज्य सरकार को उद्योगपतियों को जमीन को एक रुपये प्रति वर्ग मीटर, बिजली 3 रुपये प्रति यूनिट के अलावा दस वर्षों तक पानी, रखरखाव और गोदाम की सुविधा बिना किसी शुल्क के प्रदान करनी पड़ेगी.

शर्तों से मुक्त होने का निर्णय

मेडिकल डिवाइस पार्क में बनने वाले अधिकांश उपकरण राज्य से बाहर बेचे जाएंगे, लेकिन इससे भी राज्य के खजाने को एनएसजीएसटी के कारण प्रत्यक्ष नुकसान होगा इसलिए राज्य सरकार ने इन शर्तों से मुक्त होने का निर्णय लिया है जिससे जमीन और अन्य संसाधनों की बिक्री से ही राज्य को आने वाले 5 से 7 सालों में 500 करोड़ रुपये का फायदा होने की उम्मीद है.

अब राज्य सरकार मेडिकल डिवाइस पार्क में आने वाले उद्योगों को अपनी उद्योग नीति के अनुसार प्रोत्साहन देगी. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य के संसाधनों को किसी भी कीमत पर लूटने नहीं दिया जाएगा. इन संसाधनों पर हिमाचल के लोगों का हक है और प्रदेशवासियों के हितों की रक्षा के लिए सरकार हर कदम उठाने को तैयार है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के हितों की रक्षा के लिए विभिन्न मोर्चों पर हक की लड़ाई लड़ी जा रही है. इसी दिशा में कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने मेडिकल डिवाइस पार्क भी खुद बनाने का निर्णय लिया है.

राजस्व घाटा ना हो इसलिए लिया फैसला

सीएम ने कहा कि अगर केंद्र सरकार की राशि नहीं लौटाते हैं तो उद्योगपतियों को अनिवार्य प्रोत्साहन प्रदान करने पड़ेंगे जिससे राज्य के खजाने पर बहुत अधिक बोझ पड़ेगा और सरकार को राजस्व का घाटा होगा.

इस परियोजना के लिए राज्य सरकार ने अब तक 74.95 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं. सीएम ने कहा कि इससे पहले राज्य सरकार ने जिला ऊना के हरोली में बन रहे बल्क ड्रग पार्क में किसी भी प्राइवेट एजेंसी की मदद नहीं लेने का निर्णय लिया है.

राज्य सरकार बल्क ड्रग पार्क के निर्माण के लिए एक हजार करोड़ रुपये अपने संसाधनों से जुटाएगी. उन्होंने कहा कि मेडिकल डिवाइस पार्क के निर्माण के लिए राज्य सरकार क्लस्टर विकास योजना के तहत सिडबी से ऋण लेगी.

अब परियोजना में फेरबदल करते हुए 25 फीसदी जमीन विशेष रूप से चिकित्सा उपकरण उद्योगों के लिए और 75 फीसदी अन्य रणनीतिक उद्योगों के लिए आवंटित की जाएगी. उन्होंने कहा कि इस औद्योगिक पार्क को हिमाचल प्रदेश में अत्याधुनिक औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा जो आने वाले सालों में आर्थिक विकास और बेहतर बुनियादी ढांचे के साथ-साथ राज्य सरकार के लिए आय का नियमित स्रोत बनेगा.

ये भी पढ़ें: नीति आयोग की बैठक से पहले इकलौते कांग्रेसी CM दिल्ली में, क्या पीएम की बैठक से वो भी करेंगे किनारा ?

Last Updated : Jul 27, 2024, 1:08 PM IST
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