शिमला: हिमाचल में महंगाई की मार से पहले ही परेशान लोगों को अब डिपुओं में सामान खरीदते वक्त झटका लगने वाला है. वित्तीय संकट से जूझ रही सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत डिपुओं के माध्यम वितरित किए जाने वाला राशन महंगा कर दिया है. वहीं, हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के होल सेल गोदामों से डिपुओं के लिए राशन का कोटा भेजा जा रहा हैं. ऐसे में जब आज सितंबर की पहली तारीख को उपभोक्ता डिपुओं में राशन का कोटा खरीदने जाएंगे तो उन्हे अगस्त महीने की तुलना में आटा और चावल के अधिक दाम चुकाना होगा.
कल से महंगे रेट लागू: प्रदेश भर में उपभोक्ताओं को इस महीने से सस्ता राशन खरीदने के लिए अधिक दाम चुकाने होंगे. सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से दिए जाने वाले आटे और चावल के रेट बढ़ा दिए हैं. नए रेट आज यानी एक सितंबर से लागू हो रहे हैं. जिसकी अधिसूचना पहले ही जारी की जा चुकी है. इन आदेशों के मुताबिक सुक्खू सरकार ने एपीएल और बीपीएल को दिए जाने वाले आटे और चावल के दाम बढ़ाए हैं. इसके अलावा एनएफएसए को मिलने वाले राशन के भाव में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
एपीएल का चावल 3 और आटा 2.70 रूपये महंगा: हिमाचल प्रदेश में डिपुओं के माध्यम से उपभोक्ताओं को मिलने वाला आटा और और चावल महंगा हुआ है. आज से एपीएल परिवारों को चावल 13 रुपये किलो मिलेगा. अभी डिपुओं में चावल की कीमत 10 रुपए किलो है. इस तरह से चावल अब 3 रुपए प्रति किलो महंगा हुआ है. वहीं, आटे के भी अब प्रति किलो 12 रुपए चुकाने होंगे. अभी एपीएल परिवारों को 9.30 रुपये किलो के हिसाब से आटा दिया जा रहा है. इसी तरह से डिपुओं में आटा भी 2.70 रुपए महंगा हुआ है.
बीपीएल परिवारों का राशन भी महंगा: सरकार ने बीपीएल परिवारों को मिलने वाला राशन भी महंगा कर दिया है. इस श्रेणी के उपभोक्ताओं को सितंबर महीने से चावल 10 रुपए प्रति किलो और आटा 9.30 रुपए प्रति किलो से हिसाब से मिलेगा. अभी बीपीएल को चावल 6.85 रुपए प्रति किलो और आटा 7 रुपए किलो के हिसाब से दिया जा रहा है. ऐसे में बीपीएल परिवारों को चावल के 3.15 रुपए और आटे के 2.30 रुपए अधिक चुकाने होंगे.
वहीं, दाम बढ़ाने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि राशन को डिपुओं और गोदामों तक पहुंचाने का भाड़ा पहले की तुलना में कई गुणा महंगा हो गया है और राशन की कीमतें भी लगातार बढ़ रही है. केंद्र से हिमाचल को गेहूं का आवंटन होता है, लेकिन प्रदेश सरकार अपने स्तर पर गेहूं की पिसाई कर उपभोक्ताओं को आटा उपलब्ध करा रही है. ऐसे में चक्की में पिसाई भी अब महंगी हुई है. जिस कारण सरकार को 13 साल बाद आटा और चावल के भाव बढ़ाने पड़ रहे हैं.
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