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उच्च शिक्षित पत्नी भी भरण पोषण की हकदार, एमपी हाईकोर्ट का अहम आदेश, पति की याचिका खारिज - MP High Court

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि अगर पत्नी उच्च शिक्षित है तो इसका ये मतलब नहीं है कि पति भरण-पोषण की राशि न दे. इस प्रकार हाईकोर्ट ने पति की याचिका को खारिज कर दिया.

MP High Court
उच्च शिक्षित पत्नी भी भरण पोषण की हकदार (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 9, 2024, 10:03 AM IST

इंदौर। पति द्वारा पत्नी को भरण पोषण भत्ता नहीं देने के लिए लगाई गई याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. इंदौर हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता राहुल पटेल ने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए पुनरीक्षण की मांग को लेकर याचिका लगाई थी. राहुल पटेल ने कोर्ट को जानकारी दी कि 19 नवंबर 2011 को हिंदू रीतिरिवाज से उसने हेमलता मालवीय से शादी की, लेकिन शादी के कुछ दिनों बाद दोनों में विवाद हो गया. इसके बाद दोनों अलग-अलग रहने लगे.

पति ने फैमिली कोर्ट के खिलाफ लगाई याचिका

याचिकाकर्ता ने बताया "उसने तलाक को लेकर फैमिली कोर्ट में याचिका लगाई थी. जिस पर फैमिली कोर्ट ने उसे ₹9 हजार प्रति माह पत्नी को भरण पोषण के रूप में देने के आदेश दिए." इसी आदेश के पुनरीक्षण की मांग को लेकर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली. याचिका में दलील दी गई कि पत्नी उच्च शिक्षित है. कमाने में सक्षम है. अतः उसे भरण पोषण की आवश्यकता नहीं है. याचिकाकर्ता की विभिन्न दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया.

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पीड़ित महिलाओं को राहत देगा ये फैसला

हाईकोर्ट ने पति की याचिका खारिज कर दी. इसके साथ ही टिप्पणी की कि "पति इतना कमा लेता है कि वह पत्नी को भरण पोषण दे सकता है. कोई महिला यदि शिक्षित है तो इस आधार पर उसे भरण पोषण से वंचित नहीं रखा जा सकता." बता दें कि हाईकोर्ट का यह आदेश उन महिलाओ के लिए एक नई उम्मीद की तरह है जो भरण पोषण के लिए न्याय की लड़ाई लड़ रही हैं और वे शिक्षित भी हैं.

इंदौर। पति द्वारा पत्नी को भरण पोषण भत्ता नहीं देने के लिए लगाई गई याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. इंदौर हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता राहुल पटेल ने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए पुनरीक्षण की मांग को लेकर याचिका लगाई थी. राहुल पटेल ने कोर्ट को जानकारी दी कि 19 नवंबर 2011 को हिंदू रीतिरिवाज से उसने हेमलता मालवीय से शादी की, लेकिन शादी के कुछ दिनों बाद दोनों में विवाद हो गया. इसके बाद दोनों अलग-अलग रहने लगे.

पति ने फैमिली कोर्ट के खिलाफ लगाई याचिका

याचिकाकर्ता ने बताया "उसने तलाक को लेकर फैमिली कोर्ट में याचिका लगाई थी. जिस पर फैमिली कोर्ट ने उसे ₹9 हजार प्रति माह पत्नी को भरण पोषण के रूप में देने के आदेश दिए." इसी आदेश के पुनरीक्षण की मांग को लेकर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली. याचिका में दलील दी गई कि पत्नी उच्च शिक्षित है. कमाने में सक्षम है. अतः उसे भरण पोषण की आवश्यकता नहीं है. याचिकाकर्ता की विभिन्न दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया.

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हाईकोर्ट ने पति की याचिका खारिज कर दी. इसके साथ ही टिप्पणी की कि "पति इतना कमा लेता है कि वह पत्नी को भरण पोषण दे सकता है. कोई महिला यदि शिक्षित है तो इस आधार पर उसे भरण पोषण से वंचित नहीं रखा जा सकता." बता दें कि हाईकोर्ट का यह आदेश उन महिलाओ के लिए एक नई उम्मीद की तरह है जो भरण पोषण के लिए न्याय की लड़ाई लड़ रही हैं और वे शिक्षित भी हैं.

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