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संभल जाएं कहीं आपके बच्चे भी तो नहीं हैं शिकार, बच्चों में साइलेंट ब्लड प्रेशर के साथ आर्गन फेलियर का खतरा - High Blood Pressure In Children - HIGH BLOOD PRESSURE IN CHILDREN

अब बच्चों में भी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या तेजी से बढ़ रही है. इसे लेकर आपको सतर्क रहना होगा. भोपाल एम्स की एक स्ट्डी में ये सनसनीखेज खुलासा हुआ कि बच्चों में साइलेंट बल्ड प्रेशर के कारण आर्गन फेलियर का खतरा बढ़ गया है.

HIGH BLOOD PRESSURE INCREASE IN CHILDREN
अब बच्चों में भी तेजी से बढ़ रही हाई ब्लड प्रेशर की समस्या (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 18, 2024, 7:51 PM IST

भोपाल। अब तक हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप की बीमारी वयस्कों की मानी जाती थी. बच्चों में इसका असर नहीं होता था और ना ही देखा जाता, लेकिन अब यह सोच बदलनी पड़ेगी. दरअसल बच्चों में भी अब हाई ब्लड प्रेशर की समस्या तेजी से बढ़ रही है. इसको लेकर एम्स भोपाल में एक अध्ययन भी किया गया है. जिसमें कई चौकानें वाले मामले सामने आएं हैं.

40 प्रतिशत बच्चों में मोटापे के कारण हाई ब्लड प्रेशर

मोटापे के कारण बच्चे हाई ब्लड प्रेशर का शिकार हो रहे हैं. ब्लड प्रेशर अधिक होने की वजह से उनको दिल की बीमारियां भी घेर रही हैं. हृदय की मोटाई भी ज्यादा हो रही है. एम्स में ऐसे 60 बच्चों की जांच की गई, जो मोटापे से पीड़ित थे. उनमें सामने आया कि 60 में से 40 फीसदी यानि 24 बच्चे हाई ब्लड प्रेशर के शिकार मिले. इन सभी बच्चों की उम्र 18 वर्ष से कम थी. इन 24 बच्चों में से 68 प्रतिशत बच्चों में ब्लड प्रेशर का असर हार्ट पर भी नजर आया.

साइलेंट ब्लड प्रेशर के साथ आर्गन फेलियर का खतरा

60 में से जिन 24 बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या सामने आई. उनका रक्तचाप मापने के लिए एबीपीएम विधि का उपयोग किया गया. जिसके बाद इन 24 बच्चों में से 22 बच्चों में साइलेंट ब्लड प्रेशर के लक्षण देखने को मिले. वहीं 25 प्रतिशत बच्चों में आर्गन फेलियर होने के लक्षण भी दिखाई दिए.

'मोटापे से पीड़ित बच्चों के ब्लड प्रेशर की कराएं जांच'

भोपाल एम्स के डायरेक्टर डॉ अजय सिंह ने बताया कि "दीर्घकालिक हृदय संबंधी जोखिमों को कम करने के लिए इसके लक्षणों को पहचानना और समय पर उसका इलाज कराना जरूरी है. ऐसी कठिन परिस्थियों से बचने के लिए निरंतर बच्चों के ब्लड प्रेशर की जांच भी करानी चाहिए. खासकर मोटापे से पीड़ित बच्चों के लिए यह जरुरी हो जाता है."

'स्कूलों में भी हो ब्लड प्रेशर जांच की व्यवस्था'

एम्स डायरेक्टर डॉ अजय सिंह के अनुसार "बच्चों का उच्च रक्तचाप मूल्यांकन करने के लिए स्कूलों में भी प्राथमिक व्यवस्थाएं होनी चाहिए. स्कूल इन जांचों के लिए आदर्श स्थान है. बच्चों में हृदय रोग के भविष्य के बढ़ते खतरे को कम करने के लिए ब्लड प्रेशर की जांच कराना अनिवार्य है. जिससे समय पर उपचार किया जा सके."

ये भी पढ़ें:

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बच्चों में तेजी से बढ़ रहा हाई ब्लड प्रेशर

परंपरागत रूप से वयस्कों की बीमारी माने जाने वाला हाई ब्लड प्रेशर अब बच्चों में भी तेजी से बढ़ रहा है. यह बड़े पैमाने पर बचपन के मोटापे में वैश्विक वृ‌द्धि के कारण है. दीर्घकालिक हृदय संबंधी समस्या को कम करने के लिए इसकी पहचान जरूरी है. उच्च रक्तचाप से पीड़ित युवाओं को वयस्कता में गंभीर हृदय संबंधी जोखिम का 2 से 3 गुना अधिक खतरा होता है. ऐसे में बच्चों के ब्लड प्रेशर की जांच कराना अनिवार्य हो गया है.

भोपाल। अब तक हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप की बीमारी वयस्कों की मानी जाती थी. बच्चों में इसका असर नहीं होता था और ना ही देखा जाता, लेकिन अब यह सोच बदलनी पड़ेगी. दरअसल बच्चों में भी अब हाई ब्लड प्रेशर की समस्या तेजी से बढ़ रही है. इसको लेकर एम्स भोपाल में एक अध्ययन भी किया गया है. जिसमें कई चौकानें वाले मामले सामने आएं हैं.

40 प्रतिशत बच्चों में मोटापे के कारण हाई ब्लड प्रेशर

मोटापे के कारण बच्चे हाई ब्लड प्रेशर का शिकार हो रहे हैं. ब्लड प्रेशर अधिक होने की वजह से उनको दिल की बीमारियां भी घेर रही हैं. हृदय की मोटाई भी ज्यादा हो रही है. एम्स में ऐसे 60 बच्चों की जांच की गई, जो मोटापे से पीड़ित थे. उनमें सामने आया कि 60 में से 40 फीसदी यानि 24 बच्चे हाई ब्लड प्रेशर के शिकार मिले. इन सभी बच्चों की उम्र 18 वर्ष से कम थी. इन 24 बच्चों में से 68 प्रतिशत बच्चों में ब्लड प्रेशर का असर हार्ट पर भी नजर आया.

साइलेंट ब्लड प्रेशर के साथ आर्गन फेलियर का खतरा

60 में से जिन 24 बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या सामने आई. उनका रक्तचाप मापने के लिए एबीपीएम विधि का उपयोग किया गया. जिसके बाद इन 24 बच्चों में से 22 बच्चों में साइलेंट ब्लड प्रेशर के लक्षण देखने को मिले. वहीं 25 प्रतिशत बच्चों में आर्गन फेलियर होने के लक्षण भी दिखाई दिए.

'मोटापे से पीड़ित बच्चों के ब्लड प्रेशर की कराएं जांच'

भोपाल एम्स के डायरेक्टर डॉ अजय सिंह ने बताया कि "दीर्घकालिक हृदय संबंधी जोखिमों को कम करने के लिए इसके लक्षणों को पहचानना और समय पर उसका इलाज कराना जरूरी है. ऐसी कठिन परिस्थियों से बचने के लिए निरंतर बच्चों के ब्लड प्रेशर की जांच भी करानी चाहिए. खासकर मोटापे से पीड़ित बच्चों के लिए यह जरुरी हो जाता है."

'स्कूलों में भी हो ब्लड प्रेशर जांच की व्यवस्था'

एम्स डायरेक्टर डॉ अजय सिंह के अनुसार "बच्चों का उच्च रक्तचाप मूल्यांकन करने के लिए स्कूलों में भी प्राथमिक व्यवस्थाएं होनी चाहिए. स्कूल इन जांचों के लिए आदर्श स्थान है. बच्चों में हृदय रोग के भविष्य के बढ़ते खतरे को कम करने के लिए ब्लड प्रेशर की जांच कराना अनिवार्य है. जिससे समय पर उपचार किया जा सके."

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बच्चों में तेजी से बढ़ रहा हाई ब्लड प्रेशर

परंपरागत रूप से वयस्कों की बीमारी माने जाने वाला हाई ब्लड प्रेशर अब बच्चों में भी तेजी से बढ़ रहा है. यह बड़े पैमाने पर बचपन के मोटापे में वैश्विक वृ‌द्धि के कारण है. दीर्घकालिक हृदय संबंधी समस्या को कम करने के लिए इसकी पहचान जरूरी है. उच्च रक्तचाप से पीड़ित युवाओं को वयस्कता में गंभीर हृदय संबंधी जोखिम का 2 से 3 गुना अधिक खतरा होता है. ऐसे में बच्चों के ब्लड प्रेशर की जांच कराना अनिवार्य हो गया है.

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