ETV Bharat / state

उत्तराखंड HC ने की मेडिकल वेस्ट निस्तारण मामले पर सुनवाई, पॉल्यूशन बोर्ड और सरकार ने मांगी रिपोर्ट

Hearing on medical waste disposal case उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को पिथौरागढ़ मेडिकल वेस्ट निस्तारण मामले पर सुनवाई की. सुनवाई करते हुए कोर्ट ने स्टेट पॉल्यूशन बोर्ड और सरकार ने रिपोर्ट मांगी है. मामले पर अगली सुनवाई अप्रैल माह में होगी.

File photo-Uttarakhand High Court
फाइल फोटो-उत्तराखंड हाईकोर्ट
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 26, 2024, 5:36 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिथौरागढ़ जिले में अस्पतालों और लैबों का मेडिकल वेस्ट खुले में, नदी, नालों, गड्ढों और नगर पालिका के कूड़े के डिब्बों में डाले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य प्रदूषण बोर्ड से रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से कितने सफाई कर्मचारियों को टिटनेस और हेपेटाइटिस बी के इंजेक्शन लगे हैं? इस पर शपथ पत्र पेश करने के लिए भी कहा है. मामले की अगली सुनवाई अप्रैल माह में होगी.

सुनवाई पर याचिकाकर्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि जितने भी मेडिकल वेस्ट के लिए पिट (गड्ढा) बनाए गए हैं, वे बायोमेडिकल रूल्स 2016 के तहत नहीं बनाए गए हैं. न ही सफाई कर्मचारियों को टिटनेस और हेपेटाइटिस बी के इंजेक्शन लगाए गए हैं. जिसपर कोर्ट ने सरकार से जवाब पेश करने के लिए कहा है.

मामले के मुताबिक, पिथौरागढ़ निवासी डॉक्टर राजेश पांडे ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि पिथौरागढ़ जिले में मेडिकल वेस्ट का निस्तारण के लिए कोई सुविधा नहीं है. जिस वजह से सरकारी, प्राइवेट अस्पताल और पैथ लैब का मेडिकल वेस्ट इनके द्वारा खुले में, नदी, नालों, गड्ढों और नगर पालिका के कूड़े के डिब्बों में डाला जा रहा है. जिसकी वजह से बीमारी फैलने की संभावना बढ़ रही है. इस वेस्ट को जानवर खा रहे हैं. उनके स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है. जिले में करीब 20 पैथ लैब संचालित हैं. परंतु इनका स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में रजिस्ट्रेशन तक नहीं है.

वहीं, सीएमओ पिथौरागढ़ ने भी स्वीकार किया कि जिले में मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं है. याचिका में कोर्ट से प्राथर्ना की गई है कि पिथौरागढ़ राज्य का सीमांत जिला होने के कारण जिले में एक कॉमन मेडिकल वेस्ट सेंटर बनाने के आदेश राज्य सरकार को दिए जाएं.

ये भी पढ़ेंः गर्भवती होने के कारण नहीं मिली ज्वाइनिंग, खटखटाया कोर्ट का दरवाजा, अब हुए नियुक्ति के आदेश

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिथौरागढ़ जिले में अस्पतालों और लैबों का मेडिकल वेस्ट खुले में, नदी, नालों, गड्ढों और नगर पालिका के कूड़े के डिब्बों में डाले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य प्रदूषण बोर्ड से रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से कितने सफाई कर्मचारियों को टिटनेस और हेपेटाइटिस बी के इंजेक्शन लगे हैं? इस पर शपथ पत्र पेश करने के लिए भी कहा है. मामले की अगली सुनवाई अप्रैल माह में होगी.

सुनवाई पर याचिकाकर्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि जितने भी मेडिकल वेस्ट के लिए पिट (गड्ढा) बनाए गए हैं, वे बायोमेडिकल रूल्स 2016 के तहत नहीं बनाए गए हैं. न ही सफाई कर्मचारियों को टिटनेस और हेपेटाइटिस बी के इंजेक्शन लगाए गए हैं. जिसपर कोर्ट ने सरकार से जवाब पेश करने के लिए कहा है.

मामले के मुताबिक, पिथौरागढ़ निवासी डॉक्टर राजेश पांडे ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि पिथौरागढ़ जिले में मेडिकल वेस्ट का निस्तारण के लिए कोई सुविधा नहीं है. जिस वजह से सरकारी, प्राइवेट अस्पताल और पैथ लैब का मेडिकल वेस्ट इनके द्वारा खुले में, नदी, नालों, गड्ढों और नगर पालिका के कूड़े के डिब्बों में डाला जा रहा है. जिसकी वजह से बीमारी फैलने की संभावना बढ़ रही है. इस वेस्ट को जानवर खा रहे हैं. उनके स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है. जिले में करीब 20 पैथ लैब संचालित हैं. परंतु इनका स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में रजिस्ट्रेशन तक नहीं है.

वहीं, सीएमओ पिथौरागढ़ ने भी स्वीकार किया कि जिले में मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं है. याचिका में कोर्ट से प्राथर्ना की गई है कि पिथौरागढ़ राज्य का सीमांत जिला होने के कारण जिले में एक कॉमन मेडिकल वेस्ट सेंटर बनाने के आदेश राज्य सरकार को दिए जाएं.

ये भी पढ़ेंः गर्भवती होने के कारण नहीं मिली ज्वाइनिंग, खटखटाया कोर्ट का दरवाजा, अब हुए नियुक्ति के आदेश

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.