पटना: पटना हाईकोर्ट ने राज्य में बगैर पर्यावरण सहमति के ही ईंट भट्ठों को डेढ़ मीटर तक मिट्टी की खुदाई करने के मामले पर सुनवाई की. राज्य सरकार द्वारा अनुमति दिये जाने के मामले पर सुनवाई करते हुए संबंधित दोनों अधिसूचना को रद्द कर दिया. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने अभय कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई की.
ईंट भट्टों के लिए मिट्टी खुदाई पर सुनवाई: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रौशन ने कहा कि खंडपीठ ने याचिका को मंजूर कर लिया. भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए इस प्रकार की बड़े पैमाने पर खुदाई की अनुमति देना ठीक नहीं है, क्योंकि इस तरह की खुदाई से जमीन की उर्वरा शक्ति को बरकरार नहीं रखा जा सकता है. कोर्ट ने छूट सिर्फ कुम्हार वगैरह को ही दिया जा सकता है. जो छोटे स्तर पर मिट्टी की खुदाई करते हैं.
जनहित याचिका में रद्द करने की मांग की गयी थी: उन्होंने बताया कि कोर्ट ने सरकार अधिकार से ज्यादा शक्ति किसी प्राधिकार को नहीं दे सकती है और वो भी इस प्रकार से की डेढ़ मीटर तक खोदने की छूट दे दी जाए. इस जनहित याचिका में उस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गयी थी. इसमें ईंट भट्ठों के लिये खास मौसम में किसी खास जमीन की खुदाई कर मिट्टी निकालने की अनुमति राज्य सरकार के माइंस व जियोलॉजी विभाग के अवर सचिव द्वारा नियम में संशोधन करके 14 सितंबर 2020 को दी गई है.
नियमों को गलत तरीके से व्याख्या कर दी गई थी क्लीयरेंस: जनहित याचिका में ये शिकायत की गयी कि वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के नियमों को गलत तरीके से व्याख्या कर अनिवार्य पर्यावरण क्लीयरेंस से भी मुक्त रखने का काम किया गया था. इस जनहित याचिका में ये कहा गया था कि नियमतः इस प्रकार की छूट छोटे तबके के माइनिंग के लिए दी गई है, न कि ईंट भट्ठों जैसे बड़े पैमाने पर मिट्टी की खुदाई करने वालों के लिए.
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