देहरादूनः उत्तराखंड में 23 अक्टूबर 2014 को देहरादून के इतिहास का सबसे क्रूर हत्याकांड को अंजाम दिया गया था. देहरादून के आदर्श नगर में दीपावली की रात एक बेटे ने अपने माता-पिता समेत 5 लोगों को मौत की नींद सुला दिया था. इस घटना की याद एक बार फिर इसलिए ताजा हुई है क्योंकि फांसी की सजा का इंतजार कर रहा आरोपी हरमीत को हाईकोर्ट ने फिलहाल कोई राहत नहीं दी है. हाईकोर्ट ने देहरादून सत्र न्यायालय के फैसले को सुरक्षित रखा है.
पटाखों का शोर और कत्ल: घटना राजधानी देहरादून के चकराता रोड पर स्थित आदर्शनगर कॉलोनी की है. बताया जाता है कि हरमीत ने 23 अक्टूबर 2014 को ऐसा खूनी खेल खेला था जिसको आज भी सोचकर लोग सहम जाते हैं. यह घटना उस वक्त हुई जब पूरा देहरादून दीपावली का उत्सव मना रहा था. आसपास पटाखों का शोर और चारों तरफ दीपावली का जश्न था. चकराता रोड स्थित आदर्शनगर कॉलोनी में रहने वाले पंजाबी परिवार के बेटे हरमीत भी सभी के साथ त्योहार मनाकर घर जा चुका था. लेकिन फिर उसके बाद कुछ ऐसा हुआ जिसने जश्न के माहौल को दुख और दशहत में बदल दिया.
घटनाक्रम के अनुसार दीपावली की रात हरमीत ने पहले अपने पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, गर्भवती बहन हरजीत कौर, तीन साल की भांजी सहित बहन के कोख में पल रहे गर्भ की भी निर्मम तरीके से चाकू गोदकर हत्या कर दी थी. इस पूरे हत्याकांड में हरमीत का एकलौता भांजा कमलजीत था, जो उस रात जिंदा बचा था. भांजे कमलजीत ही इस पूरे हत्याकांड का एकलौता चश्मदीद था.
85 बार चाकू से किया हमला: हैरानी की बात ये है कि जब इस हत्याकांड के बाद शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया तो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने सबको हैरान कर दिया. बताया जाता है कि चार लोगों के ऊपर हरमीत ने 85 बार चाकू से वार किया था. जिसमें सबसे ज्यादा हमले उसने अपने पिता जय सिंह पर किए थे. पिता के ऊपर लगभग 28 से अधिक हमले करने के बाद उसका जब मन नहीं भरा तब उसने अपनी मां के ऊपर 27 हमले किए थे. अपनी गर्भवती बहन को भी उसने इसी बर्बरता से मौत के घाट उतारा था.
पुलिस ने इस मामले में कोर्ट के सामने ठोस सबूत और अपना मजबूत पक्ष रखा. लिहाजा, देहरादून कोर्ट ने अपनी सुनवाई में आरोपी हरमीत को मौत की सजा सुनाई थी. हालांकि, बताया जाता है कि 2017 तक आरोपी हरमीत अपने आप को मानसिक रूप से बीमार बताता रहा. लेकिन ऋषिकेश और दिल्ली के डॉक्टर के पैनल ने जब बारी-बारी से हरमीत का चेकअप किया तो स्थिति साफ हो गई कि वही बिल्कुल ठीक है और किसी भी बीमारी से ग्रसित नहीं है.
7 साल बाद फांसी की सजा: बता दें कि देहरादून में ये हत्याकांड 23 अक्टूबर साल 2014 को हुआ था. जबकि अगले ही दिन इस मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया था. 4 अक्टूबर 2021 को हरमीत को कोर्ट ने दोषी करार दिया था. जबकि 5 अक्टूबर 2021 को देहरादून न्यायालय ने हरमीत को फांसी की सजा सुनाई थी.
फिलहाल, पांच लोगों की हत्या के दोषी हरमीत की फांसी की सजा पर पांच जुलाई 2024 को उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
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