नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गली मोहल्लों में खेलने वाले बच्चों की क्रीड़ा संबंधित दिक्कतों के मामले पर स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अधिवक्ता सिद्धांत मनराल को न्याय मित्र नियुक्त किया है. न्याय मित्र याचिका की अगली सुनवाई की तिथि पर अदालत को सुझाव देंगे कि खेलों से वंचित बच्चों के लिए खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने में आम समाज कैसे योगदान दे सकता है. ताकि इन बच्चों को बेहतर नागरिक बनाने में मदद मिल सके. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई.
बच्चों ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखा था पत्र: मुख्य न्यायाधीश को गली मोहल्ले में खेलने वाले बच्चों ने पत्र लिखा था. पत्र में बच्चों ने कहा कि उनके आसपास या पड़ोस में कोई खेल का मैदान नहीं है और जब भी वो स्कूल के बाद गली में खेलने के लिए जाते हैं तो पास वाली आंटी या अंकल उनकी बॉल छुपा देते हैं. कभी-कभी उन्हें डांटते भी हैं और गली में खेलने के लिए मना कर भगा देते हैं. बच्चों की ओर से पत्र में कहा गया है कि उनको खेलने के लिए जरूरी सामान और मैदान उपलब्ध कराया जाए. साथ ही बच्चों ने विराट कोहली के साथ भी अपनी इस समस्या को सोशल मीडिया के माध्यम से साझा किया था.
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा सवाल: जिसके बाद बच्चों के पत्र का हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. इस मामले में हाईकोर्ट ने पूर्व में खेल मंत्रालय भारत सरकार,खेल निदेशक उत्तराखंड, सचिव शहरी विकास उत्तराखंड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि खेलों इंडिया के तहत कोई ऐसी पॉलिसी है, जिसके तहत बच्चों के शारीरिक विकास हेतु खेल के मैदान बनाए जा सकें. हाईकोर्ट ने कहा है कि खेल के मैदान न होने से बच्चे मोबाइल,कंप्यूटर में समय बर्बाद कर रहे हैं. जिससे उनका शारीरिक व मानसिक विकास बाधित हो रहा है.
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